Thursday, June 30, 2016

जीजा के साथ पहली सुहागरात

मैं रिंकल हूँ इस साल मेरी शादी होने वाली है मैं छोटे एक कस्बे की सीधी साधी लड़की हूँ. सुंदर और भरे बदन की मालिका. जो भी देखता बस देखता ही रह जाता. काफ़ी मनचलों ने डोरे डालने की कोशिश की मगर मैं हमेशा अपना दामन बचा कर चलती थी. मैने ठान रखा था कि अपना बदन सबसे पहले अपने पति को ही सौंपूँगी. मगर किस्मत मे तो कुछ और ही था. मेरी एक बड़ी बहन भी है गिरिजा. गिरिजा दीदी की शादी को चार साल हो गये थे. मेरा जीजा राकेश बहुत ही हॅंडसम आदमी है. बातें इतनी अच्छी करते हैं कि सुनने वाला बस उनके सम्मोहन मे बँधा रह जाता है. दीदी के मुँह से उनके बहुत किस्से सुन रखे थे. उनकी शादी से पहले कई लड़कियों से उनके संबंध रह चुके थे. कई लड़कियों से वो संभोग कर चुके थे. मैं शुरू शुरू मे उनपर बहुत फिदा थी. आख़िर साली जो ठहरी. मगर उनके कारनामे सुनने के बाद उनसे सम्हल कर रहने लगी. मैने देखा था कि वो मुझसे हमेशा चिपकने की कोशिश करते थे. मोका ढूँढ कर कई बार मुझे बाहों मे भी भर चुके थे. एक दो बार तो मेरी चूचियो को अपनी कोहनी से दाब चुके थे. मैं उनसे दूरी रखने लगी. मगर शिकारी जब देखता है कि उसका शिकार चोकन्ना हो गया है तो उसे पकड़ने के लिए तरह तरह की चाल चलता है. और निरीह शिकार उसके चालों को ना समझ कर उसके जाल मे फँस जाता है. मेरे संबंध की बातें चल रही थी. मम्मी पापा को किसी लड़के को देखने दूर जाना था. दो दिन का प्रोग्राम था. घर पर मैं अकेली रह जाती इसलिए उन्हों ने दीदी और जीजा को रहने के लिए बुलाया. वैसे मैने उनसे कहा कि मैं अकेली रह जाउन्गि लेकिन अकेली जवान लड़की को कोई भी माता पिता अकेले नही छोड़ते. दीदी और जीजा के आने के बाद मेरे मम्मी पापा निकल पड़े. जैसा मैने सोचा था उनके जाते ही राकेशजी मेरे पीछे लग गये. द्वि अर्थी बातें बोल बोल कर मुझे इशारा करते. दीदी उनकी बातें सुन कर हंस देती. मैं दीदी से कुछ शिकायत करती तो वो कहती कि जीजा साली के संबंधो मे ऐसा चलता ही रहता है. राकेश जी पर किसी बात का कोई असर नही होता था. मैं उनकी हरकतों से झुंझला उठी थी. उस दिन मैं नहा कर निकली तो राकेश जी ने मुझे अपनी बाहों मे भर कर मेरे बालों मे अपना चेहरा घुसाकर सुगंध लेने लगे. मैं गुस्से से तिलमिला उठी और उन्हे धकेलते हुए उनसे छिटक कर अलग हो गयी. “आप अपनी हदों मे रहिए नही तो मैं मम्मी पापा से शिकायत कर दूँगी” “मैने ऐसा क्या किया है. बस तुम्हारे बालों की महक ही तो ले रहा था.” कहकर राकेशजी ने वापस मुझे पकड़ना चाहा. “खबरदार अपने हाथ दूर रखिए. मुझे छूने की भी कोशिश मत करना” मगर वो बिना मेरी बातों की परवाह किए अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाए. मैं अपने को सिकोडते हुए ज़ोर से चीखी”दीदी” दीदी किचन से निकल कर आई. “क्या हुआ क्यों शोर मचा रही है” “दीदी, जीजाजी को समझा लो. वो मेरे साथ ग़लत हरकतें कर रहे हैं.” दीदी ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “क्यों रिंकल को परेशान कर रहे हो” “मैं क्या परेशान कर रहा हूँ? पूछो इससे मैने ऐसी कौन सी हरकत की है जो ये बिदक उठी” “दीदी ये मुझे अपनी बाहों मे लेकर मेरे बदन को चूमने की कोशिश कर रहे थे.” “ग़लत बिल्कुल ग़लत. मैं तो अपनी इस खूबसूरत साली के बालों पर न्योछावर हो गया था. मैं तो बस उसके सुंदर सिल्की बालों को चूम रहा था. पूछो रिंकल से अगर मैने इसके बालों के अलावा कहीं होंठ लगाए हों तो” इससे पहले की दीदी कुछ बोलती मैं बोल उठी, “नही दीदी ये आपके सामने झूठ बोल रहे हैं. इनकी कोशिश तो मेरे बदन से खेलने की थी.” दीदी ने जीजा जी की तरफ देखा तो वो कह उठे “तुम्हारी कसम गिरिजा मैं रिंकल के सिर्फ़ बालों को छू रहा था. देखो कितने सुंदर बाल हैं” ये कह कर वो मेरे पास आकर वापस मेरे बालों पर हाथ फेरने लगे. मैं गुस्से से तिलमिला कर उनको धकेलते हुए उनसे दूर हो गयी. “रहने दो रहने दो मुझे आपकी सारी हरकतें मालूम हैं. आप बस मुझसे दूर ही रहिए” मैं रुवासि हो उठी. ” अरे रिंकल क्यों इनकी हरकतों को इतना सीरीयस लेती हो. अगर ये तुम्हारे बालों को चूमना चाहते हैं तो चूम लेने दो. इस से तुम्हारा क्या नुकसान होज़ायगा.” दीदी ने समझाते हुए कहा. “अरे दीदी ये जितने भोले बन रहे हैं ना उतने हैं नही” ” रिंकल अब मान भी जा” दीदी ने फिर कहा. ” ठीक है. लेकिन ये वादा करें कि सिर्फ़ मेरे बालों के अलावा कुछ भी नही छ्छूएँगे” मैने कहा “ठीक है मैं तुम्हारी दीदी की कसम लेकर कहता हूँ की सिर्फ़ तुम्हारे बालों को ही चूमूंगा उसके अलावा मैं और किसी अंग को नही छ्छूंगा. लेकिन अगर तुम खुद ही मुझे अपने बदन को छूने के लिए कह्दो फिर?” उन्हों ने मुझे छेड़ा “फिर आपकी जो मर्ज़ी कर लेना मैं कुछ भी नही कहूँगी. मैं भी कसम खाती हूँ कि आप अगर सिर्फ़ बालों को चूमे तो मैं कुछ भी नही कहूँगी” “देख लो बाद मे पीछे मत हटना” राकेश जी ने कहा. “जी मैं आप जैसी नही हूँ. जो कहती हूँ करके रहती हूँ.” “ठीक है जब तुम राज़ी हो ही गयी हो तो ये काम आराम से किया जाए. चलो बेड रूम मे. वहाँ बिस्तर पर लिटा कर आराम से चूमूंगा तुम्हरे बालों को” उन्हों ने चहकते हुए कहा. मैने और ज़्यादा बहस नही किया और चुपचाप उनके साथ हो ली. हम बेडरूम मे आ गये. मैं बिस्तर पर लेट गयी. और अपने बदन को ढीला छोड़ दिया.दीदी ने मेरे बालों को फैला दिया. जीजाजी बिस्तर पर मेरे बगल मे बैठ कर अपने हाथों मे मेरे बाल लेकर उन्हे चूमने लगे.  | धीरे धीरे उनके होंठ मेरे सिर तक आए. मेरे सिर पर बालों को तरह तरह से चूमा फिर मुझे पीछे घूमने को कहकर मेरे गर्देन मे अपने होंठ च्छुआ दिए. गर्दन पर पहली बार किसी मर्द की गर्म साँसों के पड़ने से मन मे एक बेचैनी सी होने लगी. फिर उन्हों ने मुझे सीधा किया और मेरे बालों से उतरकर उनके होंठ मेरे माथे को चूमने लगे. मैं ये महसूस करते ही चौंक उठी. “ये क्या कर रहे हो. आपने वादा किया था कि मेरे बालों के अलावा किसी अंग को नही छ्छूएँगे.” मैने उठने की कोशिश की. “मैं वही कर रहा हूँ जो मैने वादा किया था. मैं तुम्हारे बालों को ही चूम रहा हूँ. मैने ये कहाँ कहा था कि सिर्फ़ सिर के बालों को चूमना चाहता हूँ. हां अगर ये साबित कर दो कि तुम्हारे बदन पर सिर के अलावा कहीं और बाल नहीं हैं तो छोड़ दूँगा.” मुझे सारा कमरा घूमता हुआ सा लगा. मैं अपने ही जाल मे फँस चुकी थी. सिर, बगल, योनि पर ही क्या रोएँ तो पूरे शरीर पर ही होते हैं. उफफफ्फ़ ये मैं क्या कसम ले बैठी. लेकिन अब तो देर हो चुकी थी. उसके होंठ मेरे भोन्हो से सरकते हुए मेरी आँखों के पलकों पर आगाए. उनकी होंठों का हल्का हल्का स्पर्श मुझे मदहोश कर दे रहा था. मेरी पलकों पर से घूमते हुए वापस माथे पर आकर ठहरे. फिर नाक के ऊपर से धीरे धीरे नीचे सरकने लगे. स्पर्श इतना हल्का था मानो को मेरे बदन पर मोर पंख फिरा रहा हो. मेरे रोएँ उसके स्पर्श से खड़े हो जा रहे थे. अब उसके होंठ मेरे होंठो के ऊपर आकर ठहर गये. उनके और मेरे होंठों मे सिर्फ़ कुछ मिल्लिमेटेर की दूरी थी. मैं सख्ती से आँखे भींच कर उनके होंठों के स्पर्श का इंतेज़ार कर रही थी. ये क्या कुछ देर उसी जगह ठहरने के बाद उन्हों ने अपने होंठ वापस खींच लिए. मैं उनकी इस हरकत से झुंझला कर आँखें खोल दी. पता नही क्यों आज वो इतने निष्ठुर हो गये थे. रोज तो मुझे स्पर्श करने का बहाना ढूँढते थे. मगर आज जब मैं मन ही मन चाह रही थी को वो मुझे स्पर्श करें तो वो दूरी मेनटेन कर रहे थे. वो उठ कर बैठ गये. “इसके कपड़े उतार दो. कपड़ों के उपर से मैं कैसे पूरे बदन के बालों को चूम सकूँगा.” उन्हों ने कहा. दीदी ने मेरी तरफ देखा. मैने बैठते हुए अपने हाथ ऊपर करके अपनी राजा मंदी जता दी. दीदी ने मेरी कमीज़ उतार दी. टाइट ब्रा मे कसे मेरे स्तनो को देख कर राकेश जी की आँखें बड़ी बड़ी हो गयी. फिर दीदी ने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा लूस होकर कंधे पर झूल गयी. मैने खूद अपने हाथों से उसे उतार कर तकिये के पास रख दी. मैने अपने स्तनो को अपने हाथों से धक लिया और शरमाते हुए राकेश जी की तरफ देखा. वो मुस्कुराते हुए अपनी मेरे बदन पर आँखें फिरा रहे थे. अब दीदी ने आगे बढ़कर मेरी सलवार का नाडा खोल दिया. मैने झट पास पड़ी चादर से अपने बदन को ढक लिया. दीदी ने चादर के अंदर हाथ बढ़ा कर मेरी सलवार खोल दी फिर मेरी छ्होटी सी पॅंटी को भी पैरों से उतार दिया मैं बिल्कुल नग्न हो कर लेट गयी. दीदी पास से हट गयी. राकेश जी वापस मेरे पास आकर बैठ गये. मेरे होंठो के ऊपर से बिना उन्हे च्छुए दो तीन बार अपने होठ घूमकर मेरे कानो की ओर सरक गये. उनकी गर्म साँसे अब मेरे कानो पर पड़ रही थी. मैं अब उत्तेजित होने लगी थी. कसम के कारण कुछ भी नही कर पा रही थी. बस अपने तकिये को मुत्ठियों से मसल रही थी. अब उनके होठ गले से होकर नीचे उतरने लगे. पहले उन्हों ने मुझे पेट के बल सुला दिया. फिर मेरे बदन पर से चादर हटा कर अपने होंठ मेरे गर्देन से होते हुए धीरे धीरे नीचे लाने लगे. रीढ़ की हड्ड़िक़े उपर ऊपर से लेकर मेरे कमर तक अपने होंठ फिराने लगे. कई बार तो मैं सिहरन से उच्छल पड़ती थी. मैने अपना चेहरा तकिये मे दबा रखा था. और दाँतों से तकिये को काट रही थी. उनके होठ पूरी पीठ पर फिरने के बाद उन्हों ने मुझे सीधा किया. अब मैने अपने बदन को च्चिपाने की कोई कोशिश नही की. मैं निर्लज्ज होकर अपनी दीदी की मौजूदगी मे ही उनके हज़्बेंड के सामने नग्न लेटी हुई थी. जीजा जी के होंठ मेरे गले से होते हुए मेरी चूचियो के पास आकर ठहरे. पहले उनके होठों ने मेरी चूचियो की परिक्रमा की फिर दोनो चूचियो के बीच की घाटी की सैर करने लगे. धीर धीरे उनके होंठ मेरे एक चूची पर चढ़ कर मेरे निपल के पास पहुँच गये. मेरे निपल्स उनके आगमन मे खड़े होकर एकदम सख़्त हो गये थे. राकेश जी अपने होठ मेरे निपल के चारों ओर फिराने लगे. हल्के हल्के से निपल के ऊपर भी फिराने लगे. मैं उत्तेजना से छटपटा रही थी. मुँह से अक्सर “आआहह ऊऊओह” जैसी आवाज़ें निकालने लगी मेरे पैर भी सिकुड़ने और खुलने लगे थे. मेरा सिर तकिये पर इधर उधर झटके ले रहा था. जी कर रहा था जीजा जी मेरे स्तनो को मसल मसल कर लाल कर दें. दोनो निपल्स को दन्तो से काट काट कर लहुलुहन कर दें मगर मैं किसी तरह अपने ऊपर कंट्रोल कर रही थी. उन्हों ने अपने होंठ खोले और उसे निपल के चारों ओर लगा कर गोल गोल फिराने लगे. मगर निपल पर बिल्कुल भी होंठ नही लगा रहे थे. मैं कतर आँखों से दीदी की ओर देखी. वो चुप चाप खड़ी हम दोनो की हरकतें देख रही थी. काफ़ी देर तक मेरे दोनो निपल्स के ऊपर अपने होंठ फिरने के बाद उनके होंठ मेरी नाभि की ओर बढ़ चले. नाभि के ऊपर काफ़ी देर तक होंठ फिराने के बाद बाकी पूरे पेट को चूमा. फिर नीचे की ओर सरक कर बिना मेरी योनि की तरफ बढ़े मेरे पैरों के पास आ गये. मेरे एक पैर को उठाकर उस पर अपने होंठ फिराने लगे. मुझ से अब रहा नही जा रहा था. उसके होंठ पंजों से सरकते हुए जांघों के अन्द्रूनि हिस्सों तक सफ़र करके वापस दूसरे पैर की तरफ लौट गये.  मेरी योनि से रस चू रहा था. पूरी योनि गीली हो रही थी. अब दूसरे पैर से आगे बढ़ते हुए उनके होंठ मेरे जाँघो से होते हुए मेरी योनि पर उगे बालों पर फिरने लगे. पहले उन्हों ने मेरी योनि के ऊपर सामने की तरफ उगे बालों पर काफ़ी देर तक होंठ फिराए. फिर उनके होंठ नीचे की ओर उतरने लगे. मैने अपने पैरों को जितना हो सकता था उतना फैला दिया जिससे उन्हे किसी तरह की कोई बाधा महसूस ना हो. जब उनके होंठ चींटी की गति से चलते हुए मेरी योनि के मुँह पर आए तो मैं उबाल पड़ी. “ऊऊऊहह म्‍म्म्ममममाआआअ” करते हुए मैने अपने हाथों से उनके सिर को मेरी योनि पर दबा दिया. मैं अपनी कसम खुद ही तोड़ चुकी थी. अब मुझे कोई परवाह नही थी दुनिया की अब तो सिर्फ़ एक ही ख्वाहिश थी कि जीजा जी मेरे बदन को बुरी तरह नोच डालें. मेरी योनि मे अपना लिंग डाल कर मेरी खाज मिटा दें. मेरे मुँह से मेरे मन की भावना फुट पड़ी. “ऊऊओ जीएजजीीीइ अब और मत सताओ मैईईइ हाआअर गइई. प्लीईसए मुझे मसल डालो. प्लीईएआसए” उन्हे मेरी ओर से रज़ामंदी मिल चुकी थी. वो अपनी जीभ मेरी योनि मे प्रवेश करा दिए. मेरे बदन मे एक बिजली सी दौड़ गयी और मैने अपनी योनि ऊपर की ओर उठा दी. मेरा डिसचार्ज हो गया . मगर गर्मी बिल्कुल भी कम नही हुई. मैने हाथ बढ़ाकर पॅंट के ऊपर से उनके लिंग को भींच दिया. मैने पाया कि उनका लिंग एक दम तन के खड़ा हुआ था. उन्हों ने मेरी हालत समझ कर अपने चेहरे को मेरी योनि से उठा कर अपने कपड़े खोल दिए. वो भी बिल्कुल नग्न हो गये. फिर मेरी टाँगों को अपने हाथो से पकड़ कर फैला दिया और मेरी योनि के मुहाने पर अपना लिंग रख कर फिराने लगे. मैं अपनी योनि को उनके लिंग की तरफ उठा रही थी जिससे कि वो मेरे अंदर घुस जाए. मगर वो थे कि मुझे परेशान कर रहे थे. “ह्म्‍म्म रिंकल रानी बोलो क्या चाहिए.” उन्हों ने मुस्कुराते हुए पूचछा. “ऊऊओ क्यूँ सताते हो. प्लीज़ डाल दो इसे अंदर.” “नही पहले बताओ क्या चाहिए तुम्हे.” “आपका……..आपका लिंग……आपका लिंग” “क्यों? मेरा लिंग क्यों चाहिए तुम्हे? “मुझे चोद दो प्लीज़ अपने लिंग से मुझे चोदो खूब चोदो” मैं पूरी तरह बावली हो गयी थी. “उन्हु मैं नही देने वाला तुम्हे. तुम्हे अगर इसकी भूख लग रही है तो खुद ही डाल लो इसे अपने अंदर.” मैं अब रुक नही सकी. मैने एक हाथ की चार उंगलियों से अपनी योनि के द्वार को खोला औड दूसरे हाथ से उनके लिंग को छेद पर सेट करके अपने पैरों को उनकी कमर पर लप्पेट दिया और पूरे ज़ोर से अपनी कमर को उचकाया. उनका लिंग मेरी योनि को छीलता हुआ काफ़ी अंदर तक चला गया . मैं दर्द से कराह उठी “उईईईईईई माआअ दीईदीईए आआआहह” दीदी ने मेरे बालो पर हाथ फेरते हुए कहा “बस रिंकल थोड़ा सा और सब्र कर लो बस थोड़ा दर्द और होगा. सुनिए रिंकल का ये पहला मौका है थोड़ा धीरे धीरे करना बेचारी को दर्द ना हो” अब राकेश ने मुझे परेशान करना छोड़ कर अपने लिंग को कुछ बाहर निकाला और उसे वापस एक धक्के से अंदर कर दिया. उनका लिंग मेरी झिल्ली को फाड़ते हुए अंदर प्रवेस कर गया. मैं “आआआआआअहह हह” कर उठी. उनका लिंग पूरा मेरी योनि मे फँस चुक्का था. जैसे ही उन्हों ने वापस निकाला तो उसके साथ कुछ तरल प्रदार्थ भी बाहर निकल गया . अब पता नही वो रस था याँ मेरा खून. मेरी योनि मे लग रहा था मानो आग लगी हुई है. इतनी बुरी तरह जल रहा था मानो किसी ने उसे चीर के रख दिया हो. धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और उसके जगह उत्तेजना ने लेली. वो मुझे अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे. मैं भी अपनी कमर उछाल उछाल कर उसके लिंग को अपनी योनि मे ले रही थी. काफ़ी देर तक इसी तरह चोदने के बाद उन्होंने बिस्तर पर मुझे चौपाया बना कर पीछे से अपने लिंग को वापस मेरी योनि मे डाल दिया. मैं उनसे चुदती हुए दो बार पानी छोड़ चुकी थी. काफ़ी देर तक इसी तरह करने के बाद मुझे महसूस हुआ कि उनका लिंग फूल रहा है. उन्हों ने एक जोरदार धक्का मारा तो मैं अपने को सम्हाल नही पाई और बिस्तर पर मूह के बल गिर पड़ी वो भी मेरे ऊपर गिर पड़े और उनके लंड से एक तेज धार निकल कर मेरी योनि मे समाने लगी. हम दोनो यूँ ही पड़े पड़े हाँफ रहे थे. काफ़ी देर तक यूँ ही पड़े रहने के बाद वो उठने लगे “बस….” मैने उन्हे खींचा “इतनी जल्दी हार मान गये. अभी तो मैं आपके बालों को चूमूँगी” कहकर मैने उनके हाथ को पकड़ कर अपनी ओर खींचा. वो मेरे नंगे बदन पर गिर पड़े. मैने देखा दीदी जा चुकी थी. मैने उन्हे बिस्तर पर दबा कर लिटा दिया मैं उठकर उनकी जांघों पर बैठ गयी. मैने देखा जहाँ मैं लेटी थी वहाँ चादर खून से लाल हो रहा था. मैने उनके निपल्स पर अपनी जीभ फिराने के बाद उनके निपल्स को दाँतों से काटा और उनके होंठों पर अपने होंठ रह दिए. मैने अपनी जीभ उनके मुँह मे घुसा दी और उनके मुँह मे उसकी जीभ और दाँतों पर फिराने लगी. काफ़ी देर तक मैने उनके मुँह का रस पिया फिर उठ कर उनके ढीले पड़े लंड को देखा. पहले उस लिंग को एक किस किया फिर हाथ से सहलाते हुए उसे देखने लगी. उनकी लिंग पर अभी भी हमारा रस और कुछ कतरे खून के लगे थे. मैने तकिये के पास रखी अपनी ब्रा उठाकर उनके लिंग को पोछा. फिर अपनी जीभ निकाल कर उनके लिंग को ऊपर से नीचे तक चाटा. उनके बॉल्स पर भी अपनी जीभ फिराई. उनका लिंग वापस हरकत मे आने लगा था. फिर मैने उनके लिंग को अपने मुँह मे समा लिया और उनके लिंग को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. कुछ ही देर मे उनका लिंग पहले की तरह खड़ा हो गया. अब मैने उठ कर उनके कमर के दोनो ओर घुटनो को रख कर अपनी चूत की फांकों को अपने हाथों से फैलाया और उनके लिंग को अपनी योनि पर सटा कर धीरे धीरे उनके लिंग पर बैठ गयी. मुँह से एक आआहह निकली और उनका लिंग पहली चुदाई से दुख रही मेरी योनि की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर घुस गया. फिर मैं उनके लिंग पर बैठक लगाने लगी वो मेरी चूचियो को मसल मसल का लाल कर रहे थे. करीब पंद्रह मिनूट तक इसी तरह उन्हे चोदने के बाद मैं उनके सीने पर गिर पड़ी और मेरी योनि मे रस के फव्वारे छूट गये. फिर उन्हों ने मुझे लिटा कर मेरी कमर के नीच तकिया लगा कर मेरी योनि को ऊपर उठाया और मेरी टाँगों की अपने कंधे पर रख कर मेरी योनि मे अपना लिंग घुसाने लगे. मैं उनके लिंग को अपनी चूत को चीर कर एक एक इंच अंदर जाते हुए देख रही थी | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अपने लिंग को पूरी तरह अंदर करके वो धक्के मारने लगे. मेरे मुँह से भी “औ ऊहह उउईई” जैसी आवाज़ें निकल रही थी. मुझे अब मेरी योनि और पेट मे दर्द होने लगा था. करीब बीस मिनट तक मुझे चोदने के बाद उन्हों ने अपना माल मेरी योनि मे डाल दिया. उनके साथ साथ मेरा भी वीर्य निकल गया. हम दोनो बिस्तर पर लेटे लेटे हाँफ रहे थे. दीदी ने आकर मुझे सहारा देकर उठाया. मेरे पैर बोझ नही सह पा रहे थे. बाथरूम तक जाते जाते कई बार मेरे पैर लड़खड़ा गये. मुझे नहला धुला कर बिस्तर के हवाले कर दिया. कुछ देर रेस्ट कर के मैं तरो ताज़ा हो गयी. उस दिन और अगले दिन हम ने खूब चुदाई की. मेरा तो बस मन ही नही भर रहा था. अगले दिन शाम को मम्मी पापा लौट आए. उन्हों ने आकर सूचना दी कि मेरी शादी पक्की हो गयी है. मैं ये सुन कर मुस्कुरा दी. शादी तो मेरी अब पक्की हुई लेकिन सुहागरात तो पहले ही मन चुकी थी. समाप्त आप लोग इसे झूठी कहानी ना समझाना जो सच था वही लिखी हु | आप अपनी बात मुझे मेल कर दीजिये 

सिस्टर की फ्रेंड को चोदा

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दीदी की फ्रेंड को चोदा  ये स्टोरी मेरी और मेरी सो कॉल्ड गर्ल फ्रेंड की है. जिसका नाम पायल (बदला हुआ नाम), जो की मेरी बड़ी दीदी की क्लोज फ्रेंड है. एक महीने पहले दिसम्बर की बात है. उसका हमेशा मेरे घर आना-जाना रहता है. वो मुझसे से बड़ी है, इसलिए मैं उसे हमेशा ही दीदी कहता हु. एकदम माल, रंग गोरा, हेयर लॉन्ग और ब्लैक, हाइट ५.६”, फिगर तो देखते ही मुह में पानी आ जाए ऐसा … अहहाह .. ३६डी-२८-३४. अब मैं स्टोरी पर आता हु.  पायल ज्यादातर पुरे दिन हमारे घर पर ही रहती है. वो और मेरी सिस एक कमरे में रहते है और मैं उसके साइड वाले कमरे में. हम दोनों की सिर्फ हाई- हेलो- बाई तक ही बात होती थी. एक दिन वो आई. मेरी सिस को पापा के कामसे पापा के ऑफिस जा के पैसे लाने थे. मेरे माँ-डैड दोनों बिज़नस करते है. सो, ज्यादातर घर पर मैं और मेरी सिस, हम दोनों ही होते है. उसने अपने जाने की बात पायल दीदी को शायद बताई नहीं और वो घर से चली गयी. थोड़ी देर बाद, उसकी दोस्त पायल घर आई और उसके बारे में पूछने लगी. जब मैंने उसे उसके जाने के बारे में बताया और उसको कहा – अगर तुम चाहो, तो उसका वेट कर सकती हो. वैसे मैं भी अकेले बोर हो रहा हो. शी सेड – ओके  मैं अपने कमरे में चले गया. उसने मुझे आवाज़ दी और मैं बाहर आ गया.
 शी – कुछ पियोगे?
मैं – दीदी आएगी, तो चाय बना देगी. आप क्यों तकलीफ करती हो.
 शी – मतलब, चाय पीनी है? (नॉटी स्माइल के साथ)
मैं – एक्चुअली  उसें पूछा – दूध कहाँ है? और बाकि सामान कहाँ है?
मैं (मन में) – दूध तो तुम्हारा ३६ वाला इसमें भर-भर के है. उसी को निचोड़ लो. शुगर की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
शी – हेलो?
  मैं – हाँ, वो गैस के साइड में है.

 फिर हमने साथ में लिविंग रूम में चाय पी टीवी देखते हुए. रोमेंटिक सोंग चल रहे थे. ठंडी के दिन और ऊपर से गरम चाय. वो भी गरम है देखने में. पहली बार उसे इतनी देर तक इतने पास से देखा.  शी – क्या देख रहे हो? टीवी देखो ना …
 मैं – हाँ .. सॉरी
  शी – अच्छा, तुम्हारी गर्लफ्रेंड क्या कह रही है? उसी से चैट कर रहे हो ना?
 मैं – नहीं दी. ऐसे ही WAPपे ग्रुप पर मेसेज पढ़ रहा था.
  शी – तो, क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
 मैं – नहीं, अभी तक कोई नहीं मिली.
  शी – अच्छा मिल जाएगी. मुझे तो लगता है कि तुम जिसको प्रोपोज करोगे, वो मना नहीं कर पायेगी.
 मैं – अच्छा, पक्का. ऐसा भी क्या?
  शी – हाँ
 मैं – तो आपका बॉयफ्रेंड तो होगा ही ना?
 शी – नहीं रे. किसी पे ध्यान ही नहीं दिया.
  मैं – तो अब देके देखो.
  शी – सोच रही हु.
मैंने – क्या मतलब?
शी – कुछ नहीं.  फिर,
 मैं उनके साथ कुछ फ्लिर्टी बातें करने लगा. सोचा कि अगर तीर निशाने पर लगा, तो मस्त माल चोदने को मिलेगा.
  मैं – पायल?
 शी – ओह .. मिस्टर … फ़्लर्ट करते-करते दी से डायरेक्ट पायल.
  मैं – अगर प्रॉब्लम है, तो बोल दो..
  शी – नहीं. बोलो .. क्या चाहते हो, तुम?
 मैं – तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो .. सच में. बहुत दिनों से सोच रहा हु कि आप को बोल दू. पर डरता था, कि कहीं आप ना ना कर दो.
  शी – ओह .. तो ये बात है… इसलिए इतना फ्रेंडली बिहेव हो रहा है आज…
मैं – जी
शी – मुझे सोचना पड़ेगा. तुम छोटे हो. बस ये ही फरक है. वैसे तुम लड़के अच्छे हो.  मैं – देखो पायल. प्लीज … अभी बता दो. मुझे चिंता लगी रहेगी.  शी – देखो, मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ धोखा नहीं कर सकती बट तुम्हारे जैसे लड़के को मना भी नहीं कर सकती.  मैं उठा और उसके पास जाकर बैठ गया. उसके हाथ पकडे और बोल दिया – आई लव यू.  उसके हार्टबीट बढ़ गये और उसकी गरम सांसे मेरे हाथो पर महसूस हो रही थी.
  मैं – प्लीज बोलो ना.
  शी – ऊऊक्के.. आई लव यू टू … रोहन.
मैं – आई वांट ऐ हग .. ऐ टाइट हग.
 शी – तो आजा मेरा बच्चा.  इ ह्गेदहर टाइट. अपना हाथ उसकी पीठ के ऊपर से घुमाते हुए.. उसकी नैक तक ले आया. अपने दाए हाथ से उसका टॉप शोल्डर से सरकाया. इतना गोरा बदन देखके तो मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था. क्या करू और क्या नहीं?  शी – हेलो, हग कर रहे हो, या कुछ और? इरादा क्या है?
  मैं – जी भर के प्यार करने का.
 शी – तुम्हारी सिस आ जाएगी. अभी मैं कल आउंगी. तब जो चाहो, जितना चाहो .. उतना कर लेना. खा जाना मुझे पूरा. मैं भी तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रही हु.
 मैं – ठीक है एंड आई किस ओन हर लिप्स.  उसने भी पूरा साथ दिया, टंग से खेल रही थी मेरी वो.  थोड़ी देर बाद, मेरी सिस आ गयी. कुछ देर बाद, पायल अपने घर वापस चली गयी.  रात को उसका मेसेज आया.
 शी – हाई हॉट. व्हाट आर यू डूइंग?
 मैं – नथिंग. मिस्सिंग यू हनी.
 शी – अच्छा बेबी. आई ऍम कमिंग टुमारो ना.. जस्ट वेट.
  शी – अच्छा बताओ ना. क्या पहनू तुम्हारे लिए?
 मैं – वैसे तो कार से आओगी. तो मैं तुम्हे वन पिस में देखना चाहता हु.
 शी – अच्छा, मेरे बेबी. अभी से पोस्सेस्सिव.  मैं – नहीं ऐसा कुछ नहीं है. बस इच्छा है देखने की.
 शी – अच्छा, ठीक है और अन्दर?  मेरा तो फिर से खड़ा हो गया. मैंने कण्ट्रोल किया और फिर रिप्लाई किया.
मैं – ब्लैक ब्रा एंड पेंटी विथ ट्रांसपेरेंसी.
  शी – ओके बेबी. नाउ स्लीप वेल एंड गुड नाईट. हेव ऐ सेक्सी ड्रीम विथ मी.
मैं – आ जाओ, मेरे कम्बल में.
शी – देखो. लो मैं आ गयी  इमाज़िन करते-करते सो गया.  दुसरे दिन, वो आई. सिस को दुसरे फ्रेंड के घर पर बुलाया था और खुद इधर आ गयी थी.
  मैं – वोवो, पायल लूकिंग कयूट इन ब्लैक. इट्स सूट यू.
  शी – मेरे बेबी के लिए, इतना तो कर ही सकती हु ना.
 मैं – अब ज्यादा बातें नहीं. चलो बेडरूम तुम्हारा वेट कर रहा है.
 शी – रुको मेरी जान.
 मैं – नहीं.  और उसे उठाया और ऊपर बेडरूम में लेके गया. और फेंक दिया बेड पर.  वो सीधी लेटी थी. उसके गोरे-गोरे चिकने पैर दिखने लगे थे मुझे. मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं उनपर टूट पड़ा.  पहले उसके पैरो से शुरू किया. उनको चाटा और उनको किस करते हु और उसकी ड्रेस से उसके बदन को किस करते हुए उसकी चेस्ट पर आ गया और किस करने लगा. फिर, मैंने उसके गले को किस कर रहा था और चाट रहा था.  वो जोर से मोअन कर रही थी.
 शी – ओहोहोहोह जन्न्न्नूऊऊ. यू अरे सूऊऊ हॉटटट.. कबसे तुम्हे लाइक करती थी. फाइनली, जान आई लव यू सो मच. उसके इतना बोलते ही, मैंने अपने लिप्स उसके लिप्स से जोड़ दिए और उनको चूसने लगा. मैं उसके लिप्स को हॉर्स सक कर रहा था.
शी – धीरे, खा जाओगे क्या, इन्हें? तुम्हारी ही हु बाबा..आराम से करो.  फिर मैंने उसे बिठाया और उसके वन पिस की चैन खोलनी शुरू कर दी. साथ ही उसके शोल्डर को चाटना भी शुरू किया. वो जोर-जोर से मोअन कर रही थी. उसका वन पिस निकालने के बाद, मैं उसे देखता ही रह गया. ब्लैक ट्रांसपेरेंट ब्रा और पेंटी में वो इतनी माल दिख रही थी, क्या बताऊ. उसे लिटाया और फिर उसके पेट पर अपनी टंग घुमाना चालू किया. उसके गुद्गुद्दी होने लगी और उसके मुह से सिस्कारिया निकल रही थी अहह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म. फिर, मैंने उसकी थाई को चाटना शुरू किया. वो उठी और मुझे धक्का देके बेड पर लिटाया. अब वो मेरे कपडे उतारने लगी. धीरे-धीरे किस करते-करते जब वो नीचे आई तो बोली.  शी – वो, हनी इतना बड़ा. इसे लेने में मजा आएगा. दोगे ना?मेरा  लंड ७ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा है.  मैं – हाँ स्वीटहार्ट.  फिर उसने चुसना शुरू किया. मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी हो.  मैं – अहहहः आआआआ म्मम्मम हनी. कितना प्यारा चुस्ती हो? तुम काश हमेशा ऐसे ही रहो. मुझे भी तुम्हारी चूत को चाटना है. प्लीज दो नाआआआ.  शी – ले लो नाआआआअ, ये बस तुम्हारी ही है.  फिर हम दोनों ६९ में आ गये. फिर मैंने एक ऊँगली डालकर उसकी चूत के होल को चुसना शुरू किया. वो ऐसे ही मोअन करने लगी, कि निग्रा फॉल आ जायेगा, मेरे मुह में.
 मैं – मैं छुटने वाला हु. रुको मैं तुम्हारी चूत में छुटना चाहता हु और मुझे तुम्हारा रस पीना है.  शी सेड ओके और फिर जोर-जोर से चुसना शुरू कर दिया और वो जोर से कहराने लगी.
शी – फ़ास्ट जानू… फ़ास्ट प्लीज. डोंट स्टॉप प्लीज. उसने अपने हाथ से मेरा सिर पकड़कर अन्दर घुसाना शुरू कर दिया. फ़ास्ट .. फ़ास्ट .. और भी ज्यादा फ़ास्ट… जानू .. एस एस … आई ऍम कमिंग.. प्लीज डोंट स्टॉप.  थोड़ी देर में उसने मेरे मुह में अपना पूरा पानी निकाल दिया और मैं उसे पूरा चाट गया.  जो थोड़ा बहुत लगा था मुहपे, वो उसने अपनी टंग से चाटकर साफ़ कर दिया.
 मैं – अब नहीं रहा जाता. प्लीज. आई वांट टू फक यू.
 शी – तो आ जाओ राजाआआआआआ. करलो फक.  थोड़ी देर उसने फिरसे मुहमे मेरे लंड को चुसना शुरू किया. फिर मैं बोला, मुझे तुम्हारी गांड देखते हुए चोदना है. डौगी स्टाइल में आ जाओ.  शी – ओके, मेरी जान.  फिर मेने अपना लंड आधा डाला, तो उसकी चीख निकल गयी और बोली – नहीं करना. प्लीज इसे बाहर निकालो. कभी और बाद में देखेंगे.  मैंने कहा – नहीं अभी करना है. प्यार करती थी मुझसे बेचारी. मान गयी.  मैंने दूसरा झटका मारा थोडा जोर से. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी चूत से खून बाहर आने लगा. उसकी आँखों में आसू आ गये. मैं चाहता तो नहीं था, फिर भी पूछने के लिए कहा – जान, तकलीफ ज्यादा हो रही है? नहीं करता हु. छोड़ देता हो. अगर तुम चाहो. मुझे तुम्हे ऐसे देखकर बड़ा दुख हो रहा है.  शी – अरे जान, माय बेबी. इतना केयर करते हो. प्लीज डोंट वोर्री. अपनी जान के लिए इतना दर्द तो सह ही सकती हु.  बस फिर मैंने शॉट मारना शुरू किया और बादमे उसे भी मज़ा आने लगा.  शी – अहहहहः म्म्मम्म्म्मम्म ऊऊऊऊ जानन्न्न्नन्न्न्नन्न और जोर से करो नाआआआअ. मज़ा आ रहा है. ऊऊऊऊओ म्म्मम्म्म्मम्म. जान, मैं आने वाली हु. आई ऍम अबाउट टू कम. अहहाह ,,,ऊऊओ. प्लीज डोंट स्टॉप. अहहाह……..ह्म्हम्हम्ह्म … प्लीज डोंट स्टॉप. हहहहः.  और वो छुट गयी. उसका ओर्गेसम इतना हो गया, कि वो वाइब्रेट होने लगी.  मैं – जान, मैं भी छुटने वाला हु. अहहहहहः .. एस एस एस … ऊऊओहोहोहोहो… हग मी टाइट. हाहाहा एस एस एस एस …म्म्म्मम्म्म्मम्म  और १५-२० मिनट के बाद, मैं भी छुट गया, उसकी चूत में. फिर हम साथ में नहाये. वो मेरा पहला फक था, जिसमे हम दोनों मस्त मज़ा आया.
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FOREN ME LADKI CHODI

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कहानी लगभग आठ वर्ष पुरानी है, मैं यूरोप में नौकरी करता था और जैसे किसी भी आम व्यक्ति की ज़िन्दगी में होता है, मेरे साथ भी हुआ।

एक लड़की मिली, मेरे साथ ही काम करती थी, नाम था क्रिस्टीना

 पेट इंसान से क्या नहीं करवाता, वरना शायद उसको नौकरी के लिए यूरोप नहीं आना पड़ता। उसके परिवार में तीन सदस्य थे, उसकी माताजी और एक छोटी बहन !

परिवार की जिम्मेवारी उस पर थी इसलिए वो सिर्फ अपने काम से ही मतलब रखती थी, हम लोग सिर्फ लंच ब्रेक पर ही बात कर पाते थे।

कुछ महीने साथ काम करने के बाद हमारा शाम को साथ ऑफिस से निकलना और घूमना फिरना शुरू हुआ। उसे हमेशा अपने परिवार की फ़िक्र लगी रहती थी और वो पैसे मिलते ही सबसे पहले बैंक जाकर घर पैसे ट्रान्सफर करती थी। महीने में शायद एक वो ऐसा दिन होता था जब वो मुझे अपने साथ लेकर जाती थी क्योंकि मेरे पास कार थी और हम जल्दी जाकर वापस आ जाते थे।

दोस्ती से आगे बात बढ़ नहीं रही थी, शायद हम दोनों ही को ठीक से कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरे साथ काम करने वाले एक मित्र ने तो यहाँ तक कह दिया कि मेरे बस का कुछ भी नहीं है।

खैर समय गुजरता गया और सर्दी का मौसम आ गया। एक दिन अचानक क्रिस्टीना मेरे पास आई और कहने लगी- क्या आप मेरे लिए एक बेहतर नौकरी ढूँढने में कुछ मदद कर सकते हैं?

मैंने कहा- जरूर ! पर कुछ समय लग सकता है।

थोड़ा पूछने पर पता लगा कि उसकी छोटी बहन को अमेरिका में पढ़ने का मौका मिल रहा है पर अभी स्कोलरशिप नहीं मिल रही।

हम दोनों में अच्छी दोस्ती थी इसलिए मैंने कहा- तुम चिंता मत करो और बहन को भेजने की तैयारी करो।

मेरे पास बैंक में ठीकठाक पैसे पड़े थे जो मैं उसे दे सकता था। थोड़ा मना करने के बाद क्रिस्टीना मान गई और लगभग एक महीने बाद उसने मुझे बताया कि उसकी बहन ने फर्स्ट सेमेस्टर में प्रवेश पा लिया है और सब ठीक से हो गया है। उस दिन वो बहुत खुश थी और आगे शनिवार और रविवार की छुट्टी भी थी।

उसने मुझे शाम को ऑफिस बंद होते समय डिनर साथ करने के लिए कहा, हम वैसे भी काफी समय से ऑफिस के बाद बाहर घूमने नहीं गये थे और फिर उसकी ख़ुशी में शामिल होना मुझे अच्छा लगता था। शाम को साथ निकले तो हल्की बूंदा-बांदी हो रही थी।

जब तक हम एक रेस्तराँ में पहुँचे तो बारिश तेज हो गई थी। रेस्तराँ बिल्कुल भरा था और कहीं भी बैठने की जगह नहीं मिल रही थी। मैं कुछ निराश सा हो गया था, मैंने कहा- कल सुबह मिलते हैं, ब्रेकफास्ट साथ में करेंगे और गाड़ी उसके घर की तरफ घुमा दी।

उसने कहा- अगर आप मुझको घर तक छोड़ रहे हैं तो डिपार्टमेंटल स्टोर से होते हुए चलें !

मुझे भी ठीक लगा क्योंकि मेरी भी कुछ खरीददारी बाकी थी, पास ही वालमार्ट स्टोर था, गाड़ी पार्क करके हम दोनों शॉपिंग में लग गए। मैंने अभी शॉपिंग शुरू ही की थी कि वो आई और बोली- लेट्स गो संजीव !

मैं कुछ असमंजस की स्थिति में था क्योंकि उसके हाथ मे एक शैम्पेन की बोतल और एक लप्पोनिया क्लोऊडीबेर्री की बोतल थी।

उसने कहा- हम दोनों घर पर ही डिनर करेंगे !

हम दोनों उसके घर पहुँचे और वो तैयारी में लग गई, उसने कहा- मुझको बिरयानी बनानी आती है क्योंकि मेरे पिताजी कुछ समय भारत में रहे थे और वापस आने के बाद भी बनाते रहते थे।

उसने सब कुछ ओवन में डाल कर टेम्परेचर सेट कर दिया और पूछा- आपको कोई जल्दी तो नहीं है?

आगे दो दिन की छुट्टी थी सो मैंने भी कहा- दो दिन की छुट्टी है तो क्या जल्दी है !

उसने कहा- मैं फ्रेश होकर आती हूँ।

लगभग दस मिनट बाद वो हाउसकोट पहन कर आई, यह पहली बार था जब मैंने उसकी मखमली टांगों को देखा और लगभग खो सा गया, बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं एकदम झटके से अपने ख्यलों की दुनिया से बाहर आया जब बोतल का कॉर्क खुलने की आवाज आई।

शायद उसने भी मेरी इस हालत को महसूस कर लिया था, उसने मुझे कॉर्क सूंघने को कहा। उम्दा खुशबू थी, मेरे चेहरे के भाव पढ़कर वो मुस्कुराई और पूरी अदा से दोनों गिलासों को भर दिया, चीयर्स हुआ और हम दोनों साथ बैठकर पीने लगे।

क्रिस्टीना के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव था। बातों ही बातों में उसकी बहन का ज़िक्र निकल आया तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर हल्के से चूम लिया और कहा- अगर आप मदद न करते तो इतनी जल्दी इतना सब नहीं हो पाता।

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मैंने भी उसका हाथ हल्के से दबा दिया और वो खिसक कर मेरे पास आ गई। उसका गिलास खाली हो गया था जबकि मेरा लगभग आधा भरा हुआ था, उसने सर मेरे कंधे पर टिका लिया और एक सिप मेरे गिलास से पी लिया। मैं इसको नशा तो नहीं कह सकता पर थोड़ा हल्कापन और उसकी इतनी नजदीकी कि मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उसके होठों पर होंठ टिका दिए। वो या तो इसके लिए तैयार थी या शायद यह मुझे शुक्रिया कहने का तरीका था कि लगभग कुछ दो मिनट बाद जब हम अलग हुए तो उसने कहा- बेडरूम में चलते हैं !

अंदर पहुँचने के बाद मुझे याद नहीं कि किसी ने कुछ बोला, हम दोनों एक दूसरे को बस देखते रहे और मुझे पहली बार लगा कि भारत के बाहर भी प्यार के लिए आँखों की भाषा का उपयोग किया जाता है।

वह झुकी और मेरी पैंट को मुझसे अलग कर दिया, अंडरवीयर थोड़ी नीचे किया और मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं इस नये एहसास से पागल हुआ जा रहा था। थोड़ी देर बाद खड़ा रहना मुश्किल हो गया तो मैंने उसके कंधों पर अपने हाथ टिका दिए।

वो खड़ी हुई तो मैंने उसका हाउसकोट उतार दिया। संगमरमर सा बदन मेरे सामने था केवल ब्रा और पेंटी से ढका हुआ !

मैंने ब्रा भी उतार दी और उसके उरोजों को अपने हाथों से महसूस करने लगा। फिर जब मैंने उनको चूमना शुरू किया तो पहली बार उसके मुँह से सिसकारियाँ सुनाई देने लगी। हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और उसने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। वो दुबारा मेरे लण्ड को चूसने लगी और मैं जल बिन मछली की तरह तड़पने लगा। मैंने उसको इशारा किया तो वो घूम गई और उसकी पेंटी मेरी आँखों के सामने आ गई। मैंने देखा तो वहाँ एक गीला निशान बन गया था। मैंने उसे उतारे बिना ही सिर्फ एक तरफ से अलग लिया और अपने होंठ टिका दिए, शायद मेरी तड़प का भी यही इलाज था।

जो नया स्वाद जबान को लगा शायद इससे बेहतर तो दुनिया में कोई पेय नहीं होगा। मेरी मेहनत रंग ला रही थी और मै उसके शरीर में भी अकड़न महसूस कर रहा था। 


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मैं स्खलित होने वाला था और शायद इतनी देर हो चुकी थी कि उसको कुछ बोल भी नहीं सकता था। ज्वालामुखी की तबाही कैसी होती होगी शायद यह उस दिन पता चला, लगभग 4-5 बड़े विस्फ़ोट हुये और सब शांत हो गया।उसकी याद मुझे लगभग 10 सेकंड बाद आई और ध्यान आया कि वो तो अभी बीच में ही हैं।

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और लिटा दिया, उसकी पेंटी उतारी और फिर शुरू हो गया। उसने दोनों हाथों से मेरे सर अपने अंदर दबाना शुरू कर दिया और सिसकारियों के बीच दबी आवाज में मेरा नाम भी लेना शुरू किया।

पहली बार मुझे लगा कि मैं भी किसी के काम आ सकता हूँ। उसकी ख़ुशी देखकर मेरा जोश दुगना हो गया और मैं पूरी मेहनत से अपनी जीभ से उसकी गहराइयाँ नापने लगा।

उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने उरोजों पर रख दिया और दूसरे हाथ की उंगलियाँ चूसने और धीरे धीरे चबाने लगी। उसके शरीर की अकड़न बढ़ती ही जा रही थी और मैं उसकी टांगों के बीच घुसा जा रहा था। शायद एक ज्वालामुखी का विस्फ़ोट अभी बाकी था, बस जगह बदल गई थी।

क्रिस्टीना एकदम ढीली पड़ गई, उसने मुझे ऊपर खींचा और हमारे होंठ फिर मिल गए, शायद दो ज्वालामुखियों में भी समझौता हो गया एक, अब जब भी विस्फ़ोट होगा, साथ ही में होगा।

यहाँ से मेरी और क्रिस्टीना की कहानी शुरू होती है, स्कूल छोड़ने के बाद पहली बार हिंदी में लिखने का प्रयास किया है, काफी गलतियाँ हैं कोशिश करूँगा इनको कम कर आगे की कहानियाँ बेहतर ढंग से पेश करूँ !

आपकी इमेल का इंतजार रहेगा।
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