Tuesday, December 20, 2016

एक अजनबी शहर में अनजान से चूत चुदाई

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बाद जनवरी, 2010 की है। मैं अपने पति के साथ उनके बिज़नेस के सिलसिले में ग्वालियर, मध्य-प्रदेश गई थी। पहले तो सोचा कि ट्रेन से चलते हैं पर बाद में इन्होंने कहा कि नहीं, घूमते-घूमते चलेंगे, रास्ते में आगरा, मथुरा भी देखते हुए जाएँगे। अतः हम दोनों अपनी गाड़ी से लुधियाना से पहले दिल्ली गए और फिर वहाँ से ग्वालियर की ओर चल दिए।
सारे रास्ते हम बहुत ही मज़े करते हुए गए। जब हम आगरा में थे तो मेरे पति को फोन आ गया कि ग्वालियर वाली मीटिंग किसी वज़ह से रद्द हो गई है और अब वो मीटिंग २ दिनों के बाद यानि १४ जनवरी को मोरेना में होगी क्योंकि अधिकतर सदस्य मोरेना में थे, तो हमने सोचा चलो पहले मोरेना में ही रूकते हैं बाद में ग्वालियर सिर्फ घूमने के लिए चले जाएँगे।
अतः हम मोरेना जाकर एक होटल राधिका पैलेस में रूक गए। अच्छा सा, ख़ूबसूरत होटल था। मीटिंग वाले दिन मेरे श्रीमान जी मेरे को आठ बजे ही होटल में छोड़कर, शाम में आने का कहकर चले गए। उस वक्त मैं अपने बिस्तर में लेटी हुई थी और मेरे बदन पर सिर्फ एक रेशमी नाईटी थी जिसमें मेरा बदन छुप कम और दिख ज़्यादा रहा था।
खैर मेरे पति के चले जाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठ टीवी देखती रही, फिर मैंने फोन पर चाय का ऑर्डर दिया। १० मिनटों के बाद चाय आई और जो लड़का चाय लेकर आया, मैंने देखा वो मेरे को घूर रहा था। जब मैंने अपनी ओर ध्यान दिया तो पाया कि नाईटी के नीचे खिसक जाने से मैं तो ऊपर से लगभग नंगी ही लग रही थी। मेरी गोल-मटोल, गोरी-गोरी बड़ी चूच के सिर्फ निप्पल ही ढँके थे बाकी ऊपर का सारा बाहर झाँक रहा था।
मैं भी मज़े लेने की मारी, जान-बूझकर लेटी रही और वेटर को घूरते देखती रही। जब वेटर ने २-३ बार पूछा, “मैडम, और कुछ लेंगी” तब मैंने भी पलट कर जवाब दिया, “और क्या है तुम्हारे पास देने को, अगर कोई दमदार चीज़ है तो बात कर।” पर वो झेंप गया और थैंक यू मैम कह कर चला गया। चाय पीने के बाद मैं नहाने चली गई, नहा कर तरो-ताज़ा होकर मैं बाज़ार को निकल गई और बाज़ार में इधर-उधर फालतू की शॉपिंग करती रही। करीब १२ बजे मैं वापिस होटल में आ गई।
थोड़ी देर बिस्तर पर लेट कर फिर टीवी देखा, पर मेरे को तो टीवी भी बोर कर रहा था, तो मैंने अपना लैपटॉप उठाया और अपनी फैन मेल चेक करने लगी और मेल चेक करते-करते मेरे को अपने एक फैन “स्माईल दोस्त” की मेल मिली। वो मोरेना में ही रहता था, मैंने सोचा ये मज़ा करने का अच्छा मौक़ा है अगर अच्छा नौजवान हुआ तो ठीक है नहीं तो वैसे ही मिलकर चाय पिला कर वापिस भेज दूँगी।
अतः मैंने मेल में से उसका मोबाईल नम्बर लेकर उसे कॉल किया। वो भी खाली था तो बोला, “अरे संजना जी आप कहें और हम ना आएँ, ये कैसे हो सकता है, बताईए कहाँ आना है?” जब मैंने होटल का नाम बताया तो वो बोला, “अरे मैं तो आपके बिल्कुल नज़दीक हूँ, बस ५ मिनट में ही पहुँच जाता हूँ।” ठीक ५ मिनट बाद मेरे रूम का दरवाज़े पर दस्तक हुई,
जब मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने एक संजीदा, आकर्षक, ३०-३२ साल का नौजवान, ५’८” का क़द, सुन्दर चेहरा, हाथों में फूलों का गुच्छा लिए मेरे सामने खड़ा था, हाथ मिलाया तो उसने दोनों हाथों से मेरा हाथ दबाया और हम अन्दर आ कर सोफ़े पर बैठ गए। कुछ देर हम इधर-उधर की एक दूसरे के बारे में बातें करते रहे। फिर मैंने पूछा, “क्या पीओगे?” तो उसने मेरी बड़ी चूच को देखते हुए कहा, “जो आप प्यार से पिला दें,” मैं भी उसका इशारा समझ गई थी।
ख़ैर मैंने वेटर को चिकेन लॉलीपॉप और दो ठंडी बीयर लाने का ऑर्डर दिया। फिर मैंने उससे पूछा “अरे तुम अपना नाम तो बताओ।” वो बोला, “जो आप रख दें, वहीं मेरा नाम !” मैंने कहा, “अरूप चलेगा?” वो बोला, “बिल्कुल !” बातचीत के दौरान मैं महसूस कर रही थी कि अरूप की इच्छा हो रही थी कि बस दो मिनट में वो मेरी साड़ी फाड़ कर मेरे को चोद के रख दे। पर मैंने देखा कि उसकी बातचीत बड़ी संतुलित थी, उसने एक बार भी घटिया भाषा का या गन्दे इशारे का इस्तेमाल नहीं किया,
पर उसकी आँखें मेरी ब्लाऊज़ से झाँक रहीं मेरी बड़ी चूच पर ही टिकी थीं। मैंने भी उसकी इच्छा पूरी करने के लिए अपना पल्लू नहीं सँभाला और उसको नेत्र-भोजन करवा रही थी। तभी डोर-बेल बजी, वेटर ऑर्डर लेकर आ गया। हम दोनों ने साथ बैठकर बीयर पी और चिकेन भी खाया। जैसे बीयर का सुरूर चढ़ता गया हम दोनो ज़्यादा खुलते गए, जो दूर-दूर बैठे थे बिल्कुल क़रीब होकर बैठ गए, फिर बातों-बातों में अरूप ने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया।
मैंने कहा, “यह तो वो बात हो गई कि जो सारी गाड़ी चुरा सकता था, सिर्फ एक टायर चुराकर ही खुश हो गया लगता है !” मेरी बात सुनकर अरूप ने मेरे को अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरा सिर उसकी गोद में था और उसने बड़े प्यार से मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे गालों पर किस करना शुरू किया। चुम्बन में अरूप मेरे को थोड़ा बदमाश लगा क्योंकि वो तो मेरे होठों को खा ही जाता था।
चुम्बन करते-करते उसने अपना एक हाथ मेरी बड़ी चूच पर रखा और दबाने लगा। मेरे को भी मज़ा आने लगा और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे उसने बड़े प्यार से अन्दर खींच लिया और चूसने लगा।
फिर उसने मुझसे कहा, “सन्जू, अब सब्र नहीं होता, मैं तुम्हें पूरी नंगी देखना चाहता हूँ।” मैंने कहा, “तुम्हारी गोद मैं लेटी हूँ, सारी की सारी तुम्हारी हूँ, जो चाहे कर लो, मैं मना थोड़े ही करूँगी।” मेरी मंज़ूरी मिलने के बाद उसने एक-एक करके मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोले और मेरा ब्रा के ऊपर से ही मेरी बड़ी चूच को चूमा, दबाया और फिर मेरे ब्रा की हुक खोल कर मेरी दोनों बड़ी चूच को आज़ाद किया।
मेरी दोनों छातियों को बारी-बारी से अपने हाथों में लेकर दबाया और चूचुकों को मुँह में लेकर चूसा, जिससे मेरे चूचुक कड़े हो गए। आनन्द के मारे मेरे मुँह से “ओहहहहह, आआआआहहहह, उफ्फ्फ्फ्फफ्, स्स्स्स्सीसीसीसी” जैसी आवाज़ें निकल रहीं थीं।
मेरी चूचियाँ चूसते-चूसते अरूप ने मेरी पेटीकोट और साड़ी टाँगों से उठा कर मेरी टाँगों, जाँघों और मेरी चूत पर हाथ फिराना शुरू किया। मेरी चूत पानी छोड़-छोड़ कर गीली हुई पड़ी थी। मैंने कहा, “मेरा तो सारा सामान देख लिया, अब अपना भी कुछ दिखाओ,” यह सुनकर अरूप बोला, “जानेमन, सब तुम्हारा ही तो है।” यह कह कर उसने अपनी शर्ट और बनियान उतारी, फिर पैंट, बूट्स और ज़ुराबें भी उतार दीं,
पर अन्डरवियर नहीं उतारा और कहा, “इसका उदघाटन तुम करो।” मेरे को उसके अन्डरवियर में छुपा उसका मूसल जैसा बड़ा लण्ड दिख रहा था। जब मैंने उसकी अन्डरवियर उतारी तो अन्दर से एक ८ इंच लम्बा मोटा, लोहे जैसा सख्त बड़ा लण्ड बाहर निकला।
उसने अपने बाल साफ कर रखे थे जिस कारण उसका बड़ा लण्ड और भी भयानक लग रहा था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका बड़ा लण्ड हाथ में पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मुँह में लेकर चूसने लगी। अरूप मेरे बालों में हाथ फिरता रहा और धीरे-धीरे आगे-पीछे होकर मेरा मुँह चोदता रहा। बड़ा लण्ड चुसवाते-चुसवाते वो एक ओर झुका और मेरी साड़ी और पेटीकोट खोल कर उतार दी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने उसका बड़ा लण्ड पकड़ा और उसे खींच कर अपने बिस्तर पर ले गई। वहाँ हमने ६९ की स्थिति ले ली, मैंने उसके बड़ा लण्ड को चूसा तो उसने भी अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल-डाल कर चाटी। और ९-१० मिनटर के मुख-मैथुन में हम दोनों झड़ गए। कुछ देर यूँ ही लेटे रहे फिर दोनों उठकर बाथरूम में गए, बाथ-टब में एक साथ नहाए।
नहा कर तौलिये से एक-दूसरे के बदन को पोंछा और अरूप मेरे को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले आया। जब उसने मेरे को बिस्तर पर लिटाया तो मैंने देखा कि उसका बड़ा लण्ड फिर से अकड़ गया था। मैंने कहा, “ये क्या कह रहा है?” वो बोला, “नाराज़ होकर अकड़ गया है कि मेरे को मेरी सहेली से तो मिलाया ही नहीं, ख़ुद ही सारे मज़े ले लिए, मेरे को तो मज़ा दिलाया ही नहीं !”
तो मैंने कहा, “अरे भाई किसी को नाराज़ नहीं करना चाहिए, इसकी सहेली भी इससे मिलने को बेताब है, आओ दोनों को मिला दें।” इतना सुनते ही अरूप छलाँग लगा कर मेरे ऊपर आ गया और फिर से मेरे होठों, गालों और बड़ी चूच को चूसना शुरू कर दिया।
२-४ मिनट की पूर्व-क्रिया के बाद मेरी चूत फिर से गीली हो गई। मैंने अरूप का कड़क बड़ा लण्ड हाथ में पकड़ा, अपनी टाँगें चौड़ी कीं और उसका बड़ा लण्ड अपनी चूत के मुँह पर रखा। “देखो, सहेली अपने यार का मुँह चूम रही है।” मैंने कहा। तो अरूप बोला, ” यार कहता है कि मैं तो सहेली के मुँह में ही घुस जाऊँगा,” इतना कहकर अरूप ने धक्का लगाया और उसके बड़ा लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत में घप्प से घुस गया और २-४ शॉट्स में उसने पूरा बड़ा लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि अरूप के चोदने में भी स्टाईल थी। सारा समय उसनी चुदाई एक ही गति से और लगातार की। थोड़ी देर के बाद उसने स्थित बदलने को कहा, अब उसने मेरे को घोड़ी बनने को कहा और पीछे से अपने बड़ा लण्ड को मेरी चूत में डाल कर चूत चुदाई की
कुछ देर इस तरह से चोदने के बाद वो नीचे लेट गया और मेरे को ऊपर आने को कहा, पर चोदा फिर भी उसी ने, मैंने ऊपर हवा में अपनी कमर रोक कर रखी और वो नीचे से झटके लगाता रहा। इसी दौरान मेरा जिस्म अकड़ गया और मैं झड़ गई पर वो लगा रहा। कभी दाईं ओर से, कभी बाईं ओर से, कभी मैं ऊपर, कभी वो ऊपर, चूस-चूस कर उसने मेरे होंठ सूजा दिए, पी-पीकर उसने मेरे निप्पल भी दुखा दिए पर वो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
जब दो बार झड़ने के बाद मेरी चूत दुखने लगी तो मैंने कहा, “अब झड़ भी जाओ यार, मेरी तो दुखने भी लगी है !” वो बोला, “बस काम होने ही वाला है बताओ कहा छुडाऊँ, चूत में, बड़ी चूच पर, या मुँह में?” मैंने कहा “जहाँ तुम चाहो !” तो उसने कहा, “तो ठीक है तेरी चूत में झड़ूँगा।” यह कहकर उसने अपनी गति बढ़ा दी और धाड़-धाड़ ज़ोरों से धक्के मार कर मेरे को चोदने लगा।
मेरे को दर्द तो हुआ पर मैं उसके मज़े को खराब नहीं कर सकती थी इसलिए दर्द सहती रही और २ मिनट बाद ही उसने मेरे सिर के बाल ज़ोर से पकड़ लिए और मेरे निचले होंठ को ज़ोर से अपने होठों में भींच लिया और ताबड़तोड़ झटके लगता हुआ मेरी चूत में झड़ गया। मैंने भी उसे कस के अपनी बाहों में जकड़ लिया, उसका बदन पसीने से भींगा हुआ था, साँस धौंकनी की तरह चल रही थी, दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। छूटने के बाद वो कितनी देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा।
मैं महसूस कर रही थी कि उसका कड़क बड़ा लण्ड झड़ने के बाद मेरी चूस में ही धीरे-धीरे सिकुड़ रहा था। आखिर अरूप मेरे ऊपर से नीचे उतरा और मेरी बगल में लेट गया। “संजू, ज़िन्दगी में पहली बार इतना मज़ा आया, शायद नेट पर चैटिंग करते-करते तुम्हें चोदने की जो हसरत दिल में पैदा हो गई थी उसे पूरा होने की खुशी थी, पता नहीं क्या, पर बेहद मज़ा आया।”
मैं भी खुश थी, मैंने उसके होठों को किस किया और उठकर बाथरूम को जाते हुए बोली,” एक बार और नहाया जाए?” “हाँ, पर नहाने के बाद एक दौर और चलाएँगे?” उसने कहा। तो मैंने आँखों से “हाँ” का इशारा करके बाथरूम की ओर भागी तो वो भी उठा और मेरे को पकड़ने के लिए मेरे पीछे भागा।
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Friday, December 16, 2016

कॉलेज गर्ल की चूत की पहली चुदाई टीचर ने की (Indian College girl Ki Choot Ki Pahli Chudai Teacher Ne Ki)

दोस्तो, मैं फेहमिना इक़बाल आप सबके सामने मेरी नई सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ।kahaniya024@gmail.com
मुझे मेरी पिछली कहानियों के लिए बहुत मेल आये, उन सभी का मैं बहुत बहुत आभार मानती हूँ, सभी को दिल से शुक्रिया।
मुझे बहुत से मेल में लोगों ने कहा कि मैं अपनी सबसे पहली चुदाई की कहानी यानि मैंने कैसे अपनी चूत में पहली बार लंड लेकर अपनी चूत का उदघाटन करवाया, इस घटना पर कहानी लिखूँ।
तो दोस्तो, आप सभी की गुज़ारिश सर आँखों पर… आज मैं अपनी पहली चुदाई की कहानी सबको बताती हूँ।
लड़के अपने लंड हाथ में ले लें और लड़कियों को पता ही होगा कि उन्हें क्या करना है।
बात आज से तीन साल पुरानी है जब मैं 23 साल की थी, उस वक़्त मैं घर से बाहर रहकर MBA की पढ़ाई कर रही थी, मैं हॉस्टल में रहती थी।

मेरा बॉयफ्रेंड

मेरी क्लास में बहुत से हैंडसम लड़के थे, उन्ही में से एक लड़के को मैंने अपना बॉयफ्रेंड बना लिया था। हम दोनों का प्यार दो साल तक चला, इस बीच मैंने उसके साथ बहुत मज़े लिए मगर मैंने उसे कभी भी अपनी चूत तक नहीं पहुँचने दिया, हम बस ऊपर ऊपर से ही मज़े ले लेते थे, मतलब वो मेरे बूब्स चूसता था और मैंने उसका लंड भी हिलाया था।
तो दोस्तो, अब असली कहानी पर आते हैं।

मेरा ठरकी टीचर

मेरे एक प्रोफेसर थे जिनका नाम रोहित था। वो 30 साल के गबरू जवान थे, उनकी शादी 2 साल पहले हुई थी। मैं और मेरी कुछ सहेलियाँ उनसे एक्स्ट्रा कोचिंग लेने के लिए उनके घर जाया करती थी इसलिए उनकी और मेरी बहुत अच्छी जान पहचान हो चुकी थी।
उनकी बीवी से भी मेरी अच्छी दोस्ती थी, मैं उन्हें दीदी कहती थी और वो भी मुझे छोटी बहन मानती थी।
शुरू में तो सब कुछ ठीक था मगर कुछ दिनों से में देख रही थी कि रोहित की नजर मुझ पर ठीक नहीं थी, वो क्लास में भी मुझे हंस कर देखते रहते थे।
मैंने उस बात को अपना भ्रम समझ कर अनदेखा कर दिया मगर उनकी हरकतें बढ़ती गई।
वो कोचिंग में भी मेरे पास बैठने लगे और बात बात पर मेरी कमर पर हाथ मार देते या कभी मेरी जांघों पर अपना हाथ से सहला देते थे।kahaniya024@gmail.com
एक दिन मैं कोचिंग में अपना काम कर रही थी, मैं मेज पर थोड़ी झुकी हुई थी, मैंने देखा कि रोहित तिरछी निगाह से मेरी शर्ट के अंदर झांक रहे थे और मेरे थोड़े से दिखाई दे रहे बूब्स को निहार रहे थे।
मैंने शर्ट को ठीक किया तो उन्होंने अपनी निगाह हटा ली।
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा।
एक दिन वो मेरे पीछे आकर हम सबको सवाल समझाने लगे तभी उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए। मुझे बहुत अजीब लगा मगर मैंने कुछ नहीं कहा।
थोड़ी देर बाद वो मेरे कंधे को दबाने लगे और अपनी एक उंगली को मेरी गर्दन पर सहलाने लगे।
अब मुझे गुस्सा आने लगा तो मैंने उनका हाथ हटा दिया और उन्हें गुस्से से देखने लगी।
फिर उसी दिन कोचिंग के बाद जब हम जा रहे थे तो उन्होंने मुझे रोक और बोले- फेहमिना रुको, मुझे तुमसे इस विषय के बारे में कुछ बात करनी है।
तो मैं ना चाहते हुए भी रुक गई।
अब उनके घर में हम दोनों अकेले थे क्यूंकि उनकी बीवी मायके गई हुई थी।
वो मेरे पास आये और बोले- फ़ेहमिना, तुम इस विषय में थोड़ी कमजोर हो, तुम्हें और मेहनत करनी पड़ेगी। अगर तुमने मेहनत नहीं करी तो तुम फेल हो जाओगी।
तब वो मेरे पास आये और मेरी जांघे मसलने लगे मैंने गुस्से में उनका हाथ हटा दिया और वहाँ से जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और बोले- मैं तुम्हें पास कर दूंगा, बस थोड़ा मजा लो और लेने दो।
मैं उन्हें धक्का देकर वहाँ से चली गई और हॉस्टल आ गई।
अगले दिन कॉलेज मैं जब रोहित की क्लास आई तो वो क्लास में बात बात मुझे डांटने लगे।
ये सब कोचिंग में भी होने लगा, यह रोज का हो गया था, वो किसी न किसी बात पर मुझे डांट देते या क्लास से बाहर निकाल देते, मतलब वो जानबूझ कर सबके सामने मेरी बेज़्ज़ती करने लगे।
मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा चढ़ा हुआ था, मगर मैं चुप रही।
फिर एक क्लास के छोटे से एग्जाम में मैंने उनके विषय में बहुत मेहनत करी मगर रोहित ने मुझे फिर भी फेल कर दिया।
अब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।
एक बार तो मन किया कि सब कुछ छोड़कर भाग जाऊँ मगर मैंने अपने गुस्से पर कण्ट्रोल किया और उनसे बात करने का फैसला किया।
अगले दिन जब मैं कोचिंग गई तो उस दिन भी रोहित ने मेरी बहुत बेज़्ज़ती की। मगर मैं सब चुपचाप सहने लगी।
कोचिंग खत्म होने के बाद जब सब चले गए तो मैंने सीधे रोहित से पूछा- आप क्या चाहते हो? क्यूँ सबके सामने मेरी बेज़्ज़ती करते रहते हो?
तो वो बोला- तुम्हें पता है कि मुझे क्या चाहिए और अगर तुमने मना किया तो मैं फाइनल एग्जाम में तुम्हें फेल कर दूंगा।
अब मैं सच में डर गई, मैं उनके सामने ना चाहते हुए भी रो पड़ी।
तो वो मेरे पास आये और मेरे दोनों कंधो को पकड़कर मुझे बिठाया और बोले- इसमें रोने की क्या बात है, तुम जवान हो चुकी हो और तुम्हारा भी मन करता होगा ये सब करने का।
मैंने उससे कहा- आप मेरे पीछे क्यूँ पड़े हो, आपकी शादी हो चुकी है, इतनी खूबसूरत बीवी है आपकी… फिर आप मेरे साथ ये सब क्यूँ करना चाहते हो?
वो बोले- मेरी बीवी सेक्स में मेरा बिल्कुल साथ नहीं देती, मैं हमेशा प्यासा रह जाता हूँ।
फिर मैंने कहा- प्लीज, आप मुझे छोड़ दो, मुझे शादी से पहले ये सब नहीं करना है।
तो वो मुझे फिर से समझाने लगे और फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रखकर दबा दिया मेरी हल्की सी आःह्ह्ह आइइइइइ चीख निकल गई।kahaniya024@gmail.com
मैं उन्हें मना करती रही मगर वो तो मेरी एक सुनने को तैयार नहीं थे, वो मुझे गोद में उठाकर अपने कमरे में ले गए, वहाँ मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने उस वक़्त नीली शर्ट और काली जीन्स पहनी हुई थी और अंदर नीली ब्रा पैंटी भी पहनी थी क्यूंकि उस वक़्त मैं ब्रा पैंटी पहनती थी।
उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो बस अंडरवियर में थे।
मैंने शर्म से अपना चेहरा हटा लिया।
फिर वो मेरे ऊपर आये और मुझे चूमने लगे, मैं उनका बिल्कुल भी साथ नहीं दे रही थी मगर वो लगातार मुझे किस किये जा रहे थे और एक हाथ से मेरे बूब्स दबा रहे थे।

मेरा नंगा बदन

फिर उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मेरी शर्ट उतारने की कोशिश की, मैंने एक हाथ से अपनी शर्ट पकड़ ली मगर उन्होंने खींच कर शर्ट उतार दी।
वो मेरी जीन्स का बटन खोलकर मेरी जीन्स भी उतारने लगे, मेरी बहुत कोशिश के बाद भी उन्होंने मेरी जीन्स मेरे जिस्म से अलग कर दी।
अब मैं उनके सामने नीली ब्रा पैंटी में थी।
वो थोड़ी देर तक मेरे जिस्म को ऐसे ही घूरते रहे, फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और अपने हाथ मेरी कमर पर ले जाकर मेरी ब्रा खोलने लगे।
उन्हें रोकने की मेरी बहुत कोशिशों के बाद भी उन्होंने मेरी ब्रा मेरे जिस्म से अलग कर दी, मैंने अपने हाथ से अपने बूब्स छुपाने का नाकाम प्रयास किया।
फिर वो मेरे पास आये और मेरे दोनों हाथों को मेरे बूब्स से अलग किया और मेरे निप्पल को मुंह में ले लिया। उस वक़्त मैं लगातार उसे छोड़ने को कह रही थी मगर वो मेरी बात नहीं सुन रहे थे।
अब वो खड़े खड़े ही मेरे बूब्स चूसने लगे और अपने दोनों हाथ से पैंटी के ऊपर मेरी गांड दबाने लगा और बीच बीच में मेरी गांड पर थप्पड़ भी लगा देता।
फिर उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरे होंठ चूसते हुए धीरे धीरे नीचे जाने लगे, मेरे बूब्स चूसे फिर मेरे पेट को चाटने लगे फिर मेरी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अब मुझे भी मज़ा आने लगा, मैं भी थोड़ी गर्म होने लगी।
फिर वे मेरी पैंटी उतारने लगे, तभी… मुझे पता नहीं क्या हुआ मैंने उसे पीछे धक्का दिया और अपनी पैंटी ठीक की और वही पड़ी अपनी ब्रा पहनी।
वो बोले- क्या हुआ?मैंने कहा- ये सब गलत है, मैं ये नहीं कर सकती।
अब तक मैंने ब्रा पहन ली थी तो वो गुस्से में बोला- जा साली निकल जा यहाँ से… अब तुझे फेल होने से कोई नहीं बचा सकता, मैं तेरी दो साल की मेहनत ख़राब कर दूंगा।
मैं मायूस सी वहीं बिस्तर पर बैठ गई तो वो बोले- अगर तुझे पास होना है तो मुझ से चुद ले।
मैंने उन्हें बहुत समझाया मगर वो नहीं माने और बार बार मुझे वही धमकी देने लगे।
अंत में मैं हार गई और वापस बिस्तर पर जाकर लेट गई। वो खुश हो गए और मेरी ब्रा पैंटी उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया फिर अपना भी अंडरवियर निकाल कर नंगे हो गए।
उनका लंड देखकर मेरी गांड फट गई, उनका लंड लगभग 8 इंच लंबा था।
अब वो मेरी झान्टों से भरी हुई चूत चाटने लगे।
रोहित पहला मर्द था जो मेरी चूत तक पहुँच गया था वरना अब तक मेरी बॉयफ्रेंड ने कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत सहलाई थी।
रोहित के चूत चाटने से मेरी चूत में एक अलग ही तरीके के खुजली होने लगी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर वो अपना लंड लेकर मेरे मुंह के पास आए तो मैंने उसे लंड चूसने को मना कर दिया। मुझे बहुत देर मनाने के बाद भी मैं नहीं मानी तो अंत में हार कर वो मेरी चूत फिर से चाटने लगे।
फिर उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिये और मेरी गांड को फैलाकर गांड कर छेद चाटने लगा।
मुझे बहुत अजीब सा लगा मगर मैं कुछ नहीं बोली।

मेरी चूत की पहली चुदाई

फिर उन्होंने मुझसे पूछा- कितनों से चुदी है तू अब तक?
मैंने ना में गर्दन हिला कर जवाब दिया तो बोला- वाह मेरी जान, आज जवान लड़की की सील तोड़ने में मज़ा आ जायेगा।
उन्होंने बिस्तर के नीचे से कंडोम निकाला और अपने लंड पर पहन लिया, फिर मेरी चूत पर लंड रख कर लंड को चूत पर घिसने लगे। अब मुझे भी मस्ती चढ़ चुकी थी मगर मैं ये रोहित को नहीं दिखाना चाहती थी।
फिर उन्होंने हल्के से अपना लंड मेरी चूत में अन्दर धकेला तो मेरी हल्की सी ‘आईईईई माँ आआह्ह ह्हह’ चीख़ निकल गई, मैंने कहा- रोहित यह तुम क्या कर रहे हो? मुझे दर्द हो रहा है।
‘मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में डालने की कोशिश कर रहा हूँ। अभी तुम्हारी चूत कुँवारी है, एकदम सँकरी है इसलिए पहली बार थोड़ा दर्द होगा। पर अन्दर डालने के बाद बहुत मज़ा आएगा।’ रोहित ने मुझे समझाया।
वह धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अन्दर डालने लगे। क़रीब 4 इंच तक अन्दर जाने के बाद मेरी हालत ख़राब हो गई और मैं दर्द के मारे ‘आआअह ह्हह आआईईई… माँ मार डाला… आआअ बाहर निकाल इसे आआईईई…’ चिल्ला रही थी।
रोहित से मेरा दर्द देखा नहीं गया तो वो मेरे होंठों को चूसने लगे और साथ ही मेरी चूचियों को हल्के हल्के मसलने लगे।
थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा, फिर रोहित ने देखा कि मेरा दर्द अब कम हो गया है तो उन्होंने अपना लंड थोड़ा पीछे खींचा और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगे।
थोड़ी देर ऐसा करते रहने के बाद मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा था और मैं ‘आआहहह ऊऊऊऊ ऊहह्हमम्म’ करने लगी।
मगर मैंने उसे ऐसे दिखाया कि मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है और ये सब मैं मजबूरी में कर रही हूँ।
रोहित ने पूछा- कैसा लग रहा है जान?
मैंने उसे बनावटी गुस्से में कहा- मुझे दर्द हो रहा है।
वो बोले- मेरा लंड तुम्हारी चूत में अभी आधा ही घुसा है, इसलिए दर्द हो रहा है। जब मैं पूरा लंड तुम्हारी चूत में धकेल दूँगा तब काफ़ी मज़ा आएगा।
फ़िर वो बोले- अगर मैं तुरन्त जल्दबाज़ी में पूरा घुसा दूँगा, तो दर्द से तुम्हारी जान निकल जाएगी।
रोहित ने मुझे और ज़ोर से मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और पूरी ताक़त से अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।
मैं ज़ोरों से चिल्लाई- आआहहहह रोहिततत, मररीईईई… मेरी जान निकल जाएगी…
रोहित का 8 इंच लम्बा और 2 इंच चौड़ा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ मेरी चूत के गरमागरम सिरे से जा टकराया और मेरी कुँवारी चूत परपरा कर फट गई, मेरी कुँवारी चूत से लबलबा कर खून निकलने लगा।
खून देख कर मैं रोने लगी, तो रोहित ने समझाया- जानू, पहली बार जब चूत में लंड जाता है तो हल्का सा खून निकलता ही है। अब तुम्हें दर्द नहीं होगा और बहुत ही मज़ा आएगा।
थोड़ी देर बाद जैसे जैसे मेरा दर्द कम हुआ तो रोहित ने अपना लंड मेरी चूत में आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मेरी चूत बहुत संकरी थी इसलिए उसका लंड बहुत मुश्किल से आगे-पीछे हो रहा था, मैं उसके हर शॉट पर हल्के हल्के चिल्ला रही थी।
रोहित ने धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाई और फिर ख़ूब ज़ोर ज़ोर से मेरी चुदाई शुरु कर दी।
‘आआहहह उउऊ ऊहहह ओओओ…’ मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर उसका पूरा साथ देने लगी और पूरा कमरा मेरी कुँवारी जवानी की ध्वनियों से गुंजायमान हो उठा।
मैं चिल्लाने लगी- रोहित, और ज़ोर से… आआहहह…
रोहित पूरी शक्ति और गति से मेरी चुदाई करने लगा।
रोहित पूरी मेहनत कर रहा था, उसके चेहरे पर आए पसीने यह साफ साफ बता रहे थे।
उन्होंने पूछा- फेहमिना कैसा लग रहा है?
मैंने कुछ नहीं कहा बस अपनी निगाह हटा ली।
फिर वो बोले- फेहमिना मैं कब से तुम्हें पाना चाहता था। आज मैं जी भरकर तुम्हें चोदूँगा… आआआहहह…
रोहित का लंड पूरी गति के साथ मेरी चूत को फाड़ कर अन्दर बाहर हो रहा था और मैं भी जी खोल कर उसका साथ दे रही थी क्यूंकि अब मुझे भी मज़ा आ रहा था।
रोहित मेरी चूचियों को मुँह में भर कर उन्हें भी चूस रहे थे और मुझे ख़ूब ज़ोर-ज़ोर से चोद रहे थे।
पूरा कमरा फच्च-फच्च की आवाज़ से गूँज रहा था।
इतना मज़ा मुझे अपनी ज़िन्दगी के किसी भी खेल में नहीं आया था। मैंने सोचा कि अब इसने मुझे चोद तो दिया ही है, अब मैं इसका फायदा उठाऊँगी।
फिर करीब आधे घंटे तक रोहित मेरी असीम चुदाई करता रहा, पहले उन्होंने मुझे आगे से चोदा, फिर अपनी गोद में बिठा कर… और अन्त में आगे से चोदते हुए उन्होंने अपना वीर्य मेरी कुँवारी चूत में उड़ेल दिया।
उसका कंडोम उसके वीर्य से भर गया था।
हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे, तौलिए से हमने अपने अपने अंग पोंछे और फिर एक-दूसरे की बाँहों में सिमट गए।
थोड़ी देर बाद उठ कर मैं जाने लगी तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया, रोहित ने अपने लंड फिर से मेरे हाथ में दे दिया और मैं उसका लंड धीरे-धीरे सहलाने लगी।
थोड़ी ही देर में वह तमतमा कर फनफनाने लगा था, अब उन्होंने उस पर एक डॉटेड कण्डोम लगाया और फिर से मेरे ऊपर आकर मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
इस बार थोड़ी कम तकलीफ़ के साथ उसका लंड अन्दर चला गया, वे फिर से मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे।
इस बार तो मुझे और भी अधिक मज़ा आ रहा था- आआआहहह उउऊऊऊऊ…
रोहित ने काफ़ी देर तक ज़ोरदार तरीके से मेरी चूत की चुदाई की।
अन्त में हम तैयार होने लगे।
मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था तो रोहित ने मुझे उठा लिया और बाथरूम में ले गया। हम दोनों ने स्नान किया और फिर तैयार हो गए।
रोहित ने मुझे हॉस्टल तक छोड़ दिया।
इसके बाद एग्जाम आने तक रोहित ने मुझे तीन बार और चोदा।
फाइनल एग्जाम में मुझे उनके विषय में सबसे ज्यादा मार्क्स मिले।
धन्यवाद।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी?
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जीजा साली का डर्टी सेक्स

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sali ko choda

हेलो दोस्तों, मेरा नाम राकेश है. मेरी उम्र ३६ साल है. मैं एक शादीशुदा आदमी हु और मेरे दो बच्चे है Hindi Sex Stories मेरा एक गारमेंट का बिज़नस है और जब भी कोई नया सैंपल आता है. तो मुझे मार्किट में जाना पड़ता है.
एक बार, कुछ कपड़ो के कुछ नये सैंपल आये थे, जिसके आर्डर के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ा और मैं दिल्ली चले गया. फिर मैं अपने सैंपल लेकर मार्किट में गया और वहां से काफी आर्डर ले लिए. सैंपल लेडिज गारमेंट के थे. ब्रा, पेंटी और कुछ शॉर्ट्स थेkahaniya024@gmail.com. एक दिन, मैं मार्किट में घूम रहा था, तो मैंने एक दुकान में अपने सैंपल दिखाए. तो अचानक से मुझे मेरी कजिन साली राधा दिख गयी. वो उस दूकान में अंडर-गारमेंट्स दिखा रही थी.
मैंने वहां और देर रुकना उचित नहीं समझा और वहां से निकल गया. उसने मुझे देख लिया था. उसने मुझे दुकान से बाहर निकल कर रोक लिया और पूछा – आप यहाँ कैसे? तो मैंने कहा – मैंने इस शॉप में कपडे सप्लाई करता हु. फिर उसे अपने बिज़नस के बारे में बताया. तो उसने कहा – फिर तो अच्छा है. आप मुझे कम दाम में माल दे दोगे और हँसने लगी. फिर उसने मुझसे सैंपल दिखाने को कहा, तो मैंने मना कर दिया और कहा – ये मेरे क्लाइंट की शॉप है और मैं नहीं दिखा सकता हु.
उसने ओके कहा और बोली – फिर हम कहीं और देख लेंगे और हम दोनों वहां से निकल गये. उसके पास गाडी थी. उसने मुझे गाडी में बैठने को कहा और फिर मैं उसकी गाडी में बैठ गया. उसने कहा – आप को कहाँ जाना है? मैंने उसे अपने होटल का नाम बताया. उसने मुझे होटल तक लिफ्ट दी और मैंने उसे ऊपर तक आने को कहा. वो हंस कर बोली – हाँ, आप मुझे सैंपल भी दिखा देना. हम दोनों मेरे रूम में आ गये. मैंने कोल्ड-ड्रिंक का आर्डर दिया और मैं उसे सैंपल दिखाने लगा. अंडरगारमेंट बहुत ही हॉट एंड सेक्सी थे. उसे सब पसंद आये. तो उसने पूछा, कि कौन-सा मुझे सबसे ज्यादा पसंद है? मैंने कहा – आपको जो पसंद हो. और मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था. फिर उसने कहा – मुझ पर कौन सा सूट करेगा. तो मैंने कहा – अब मैं कैसे बोला सकता हु आपको. तो उसने कहा – अगर आप अपनी गर्लफ्रेंड को देते, तो कौन सा देते. मैंने उससे पूछा, कि आपका साइज़ क्या है? उसने कहा – शायद ३२ है. तो मैंने कहा – नहीं. आप को कनफ्यूजन है, वो बोली. मैंने कहा – नहीं ठीक है.
मैंने कहा – माप कर देखो. उसने कहा – कैसे मापू. आप ही माप लीजिये. तो मैंने इंचटेप निकाली और उसका साइज़ चेक किया. तो उसकी साड़ी बीच में आ रही थी. तो उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे किया और जब मैंने उसका माप लिया, तो मेरे हाथ उसके बूब्स को छुने लगे. फिर मैंने उसके पीछे गया, तो उसने जानबूझकर अपनी गांड को पीछे किया और मेरा लंड उसकी गांड को छुने लगा. फिर उसका साइज़ ३४ आया और मैंने एक सेक्सी सेट निकाल कर उसको दे दिया. मैंने उसको बोला – ये पहनकर देखिएगा और कैसा लगा, बताइयेगा.
फिर उसने मुझे अपने घर आने का निमंत्रण दिया और एक सेक्सी सी स्माइल दी. मैंने उसे सन्डे को आने को कहा. सैटरडे को उसके हबी का फ़ोन, कि उसे किसी काम से जाना है. तो आप सन्डे मोर्निंग आ जाओ और मैं सन्डे को उसके घर चले गया. फिर, जब मैं वहां पंहुचा, तो हमने बातें की और खाना खाया. फिर उसके जाने का टाइम हो गया. तो मैंने उसे स्टेशन ड्राप किया और साथ में मेरी साली राधा भी गयी थी.
हमने उसे स्टेशन ड्राप किया और हम रिटर्न हो गये. रास्ते में उसने मुझे मूवी चलने को कहा. तो मैंने कहा – आपके हबी को अगर पता चलेगा, तो क्या सोचेगा? तो मैंने कहा – उन्हें कैसे पता चलेगा? मैं नहीं बोलूंगी. फिर उसने कहा – घर चलके पहले मैं चेंज कर लेती हु. फिर चलते है. हम उसके घर वापस आ गये और वो एक सेक्सी सी साड़ी पहनकर बाहर आई. मैंने उसे देखा, तो देखता ही रह गया. क्या कयामत लग रही थी वो. उसने मुझे होश में लाया और मुझे पूछा – क्या हुआ? मैं कहा – कुछ नहीं. बस ऐसे ही. वो एक नॉटी सी स्माइल देकर हंस पड़ी और मैं झेंप गया. हम लोग गाडी से जाने लगे, तो वो बोली – पार्किंग में दिक्कत होगी. चलो मेट्रो से चलते है. हम मेट्रो स्टेशन गये. वहां काफी भीड़ थी. मैंने कहा – इतनी भीड़. मैंने कैसे जाऊंगा आपको लेकर. वो समझ गयी और बोली – आप मेरे पीछे खड़े हो जाना और हम भीड़ में एक ट्रेन में चढ़ गये और वो मेरे आगे थे. मेरा लंड उसकी गांड को छु रहा था. उसकी गांड के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा होने लगा और उसको चुभने लगा. उसका पता चल गया, कि मेरा लंड खड़ा हो गया है. उसने मुझे कुछ नहीं कहा और बार – बार पीछे प्रेशर कर रही थी.
हम थियेटर गये और लेट हो जाने के वजह से हमें सीट नहीं मिल पा रही थी. तो हमने केबिन सीट ले ली. वहां सिर्फ हम दोनों ही बैठे हुए थे. मूवी में एक हॉट सीन आया. मैं अपने लंड को एडजस्ट करने लगा. मुझे देखकर वो हसने लगी. फिर हम मूवी देखने लगे और खतम होने के बाद घर आ गये. फिर उसने मुझे वापस से सैंपल दिखाने को कहा. तो मैंने सभी सैंपल दिखाए और उसमे एक सेक्सी ग्राउंड था. उसने कहा – ये मुझे दे दीजिये. मैंने उसे ग्राउंड दे दिया. फिर वो बोली, कि मैं ट्रायल करके आती हु और वो चेंज करके मेरे सामने आ गयी. उसने मुझे एडजस्ट करने को कहा. मैंने उसके ग्राउंड को एडजस्ट किया. तो बार – बार उसके बूब्स पर हाथ लग रहे थे. फिर मैंने उसे कहा, कि मैंने सुना है, कि आप डांस बहुत अच्छा करती है. तो वो बोली – जरुर दिखाउंगी. पर आपको भी मेरे साथ डांस करना पड़ेगा. फिर डांस के लिए म्यूजिक ओन किया और मुझे भी साथ में डांस करवाने लगी. मैंने उसकी कमर पकड़ कर करने लगा. मिनी ग्राउंड होने के कारण, उसकी कमर नंगी थी, जिससे उसकी चिकनी कमर पर मेरा हाथ चल रहा था. और कभी उसके सामने तो कभी उसके पीछे. सामने जाता.. तो उसकी चूची का स्पर्श मिलता और पीछे जाता, तो उसकी गांड में लंड रगड़ता. उसे भी मज़ा आने लगा. फिर मैंने उसे गोद में उठा लिया. जिस से मेरा एक हाथ उसकी गांड पर और दूसरा हाथ उसकी चूची के साइड में चला गया. ५ मिनट तक इसे ही रखा और फिर उसने कहा – प्लीज मुझे नीचे उतारो.. प्लीज. तो मैंने उसे नीचे उतार दिया. फिर उसके पीछे खड़ा हो कर उसके पेट को सहला रहा था.
मेरा लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था. जिससे वो गरम हो गयी और उसने मेरा लंड पकड़ लिया और कहा – ये मुझे सुबह से परेशान कर रहा है. तो मैंने उसकी चूची को पकड़ कर कहा – ये भी मुझे सुबह से तड़पा रही है. उसने कहा – जब दोनों ही तड़प रहे है, तो इसका इलाज है मेरे पास. मेरे तड़प की दवा आप हो और आपके लिए मैं हु. प्लीज इसे निकालो. मैंने तुरंत पेंट निकाल दी और उसने एकदम से मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाना शुरू कर दिया. फिर मैंने उसकी गाउन को उतार कर उसकी चूची को दबाने लगा और चूसने लगा. वो अहहहः अहहहः अहहाह करने लगी और मेरे लंड अपनी जीभ से चाटने लगी. फिर उसने मेरे लंड को अपने मुह में डाल लिया और उसे चूसने लगी. ३० मिनट एक हम एक दुसरे की बॉडी को चूस कर मज़ा लेते रहे और उसने कहा – अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता. प्लीज डाल दो. फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो बार – बार झटके मार रही थी. ताकि, मेरा लंड उसकी चूत में घुस जाए और प्लीज डालो … डालो ना … अहहहहः अहहहः ऊऊऊऊईईईईइमा… प्लीज अब डाल भी दो… मुझे और मत तड़पाओ…
करीब १५ मिनट लंड रगड़ने के बाद, मैंने अपना लंड kahaniya024@gmail.comउसकी चूत में डाला. तो वो चिल्ला उठी… ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ… बहुत मोटा है तुम्हारा. मैंने उसको अपनी जोरदार धक्को की बारिश से चोदना जारी रखा. ५ मिनट के बाद, मैंने अपने धक्के तेज किये और वो भी उचक – उचक के चुदवाने लगी. ३० मिनट की चुदाई के बाद, हम दोनों ने ही अपना – अपना पानी छोड़ दिया. फिर हम दोनों एकसाथ बाथरूम में घुस गये और एक साथ ही नहाये. हम दोनों नहाते वक्त भी एक दुसरे के शरीर को चूम रहे थे और हमने एक दुसरे के शरीर का भरपूर मज़ा लिया. फिर, हम दोनों ने रात को फिर से चुदाई की और सुबह मैं वह से चला आया. कैसी लगी आपको मेरे कहानीkahaniya024@gmail.com

Thursday, December 15, 2016

यूँ फंसी चक्कर में मैं (Yuun Fansi Chakker me Mai)

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दोस्तो, मेरा नाम सुलक्षणा है, 38 साल की गोरी चिट्टी खूबसूरत औरत हूँ, कद 5 फुट 6 इंच है, घने लंबे बाल हैं और बहुत ही अच्छा गदराया बदन है, जिस वजह से मेरी खूबसूरती में और भी चार चाँद लग जाते हैं।
आज आपको मैं अपनी कहानी सुनाती हूँ। बात 2 साल पहले की है, मेरा अपने पति से किसी वजह से तलाक हो चुका था और मैंने एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर ली।
जॉब अच्छी थी, अपना घर, अपनी कार तो मेरे पास पहले से ही थी, एक बेटी है जो स्कूल में पढ़ती है।
पति से अलग होने के बाद मैंने अपना सारा ध्यान अपने काम और घर में लगा दिया, खूब मन लगा कर मैं अपना काम कर रही थी।
ऑफिस का स्टाफ भी बहुत अच्छा था। यह बात अलग थी कि सब मेरी खूबसूरती पर फिदा थे और चोरी छुपे मेरे हुस्न को देखते थे। अपने हुस्न की तारीफ उनकी आँखों में पढ़ कर मुझे भी अच्छा लगता था। बहुत से लोगों ने मुझे लाइन दी मगर मैंने किसी की परवाह नहीं की, सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया।
एक बार किसी काम की वजह से बॉस को 15 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा तो उन्होंने मुझे उनकी जगह काम करने को कहा।
मुझे थोड़ा अजीब लगा कि यह मेहरबानी कुछ ज़्यादा ही है, मगर मुझे अपने आप को साबित करने का मौका मिल रहा था, मैंने हाँ कर दी।
बॉस के जाने के बाद मैंने बहुत ही दिल लगा कर काम किया, बड़े ही सोच समझ कर फैसले लिए।
जब बॉस वापिस आए तो मैंने उन्हें अपने काम की सारी रिपोर्ट दी, बॉस बहुत खुश हुये, उन्होंने मुझे शाबाशी दी।
वैसे मेरे बॉस मुझसे ज़्यादा बड़े नहीं थी, बस 48-49 साल के होंगे, पसंद वो भी मुझे करते थे, मगर कभी उन्होंने मुझे गलत निगाह से नहीं देखा।
मगर हमारी कंपनी का जो लीगल अडवाइज़र है न, कुणाल वो हमेशा मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखता था। वो अक्सर बॉस के कमरे में बैठा रहता और जब कभी भी मैं या ऑफिस की कोई और लड़की बॉस के केबिन में जाती, वो सबको बहुत घूरता था।
ऐसे ही एक दिन मैं किसी काम से बॉस के केबिन में गई, तो कुणाल भी वहीं बैठा था। यूँ ही बातों बातों में कुणाल ने मुझ पर तंज़ कसा कि जब किसी को पावर मिल जाती है न, तो वो उसका गलत इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आता।
मुझे उसकी बात बड़ी अजीब लगी और समझ में भी नहीं आई, मैं चुपचाप बाहर आ गई।
अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस पहुंची तो मुझे तभी बॉस ने बुला लिया।
मैं उनके केबिन में गई, उस वक़्त कुणाल भी वहीं बैठा था, दोनों बहुत सी फाइलें और रजिस्टर खोल कर बैठे थे, जैसे कोई हिसाब किताब लगा रहे हों।
मैंने जाकर बॉस और कुणाल दोनों को गुड मॉर्निंग कहा और उनके पास ही खड़ी होकर देखने लगी कि वे क्या कर रहे हैं।
बॉस ने मुझे बैठने को कहा, मेरे साथ वो दोनों भी अपनी अपनी जगह पे बैठ गए।
बॉस ने मुझे बताया कि उनके जाने के बाद मैंने जो 15 दिन उनका काम संभाला था उस दौरान, दो बिज़नस डील्स में करीब साढ़े छः लाख की घपलेबाज़ी हुई है।
मेरे तो पैरों तले से ज़मीन निकल गई, मैंने उनके सारे पेपर चेक किए, और जब मैंने सारा हिसाब लगा कर देखा तो करीब साढ़े छः लाख रुपये गायब थे, चेक के बजाए मैंने ही कैश पैसे देने को कहा था, और पेमेंट नहीं हुई थी।
अब इतने पैसे तो मेरे पास भी नहीं थे कि मैं अपनी जेब से दे देती, मगर असल बात यह थी, मेरी नौकरी भी तो जाती थी।
मैं तो परेशान हो गई, मैंने हर डीटेल को चेक किया। मगर हर तरफ से घपलेबाजी का इशारा मेरी तरफ ही हो रहा था। मैंने बॉस से बात की कि अब इसका क्या हल हो सकता है?
बॉस ने कुणाल की तरफ देखा।
वो बोला- वही हम भी सोच रहे हैं, आप हमारी कंपनी कि एक मेहनती और ईमानदार एम्प्लोयी हैं, आप पर हमें पूरा विश्वास है, मगर जो हुआ है, उसका भी हल निकालना है और हम आपको भी नहीं खोना चाहते, न ही यह चाहते हैं कि आपके घर पुलिस आए।
पुलिस का नाम सुन कर तो मैं सच में डर गई, और मेरे डर को शायद कुणाल ने भाँप लिया। वो उठ कर मेरे पास आया और बड़े ही शालीन तरीके से मेरे पास बैठ गया और बोला- आप ऐसा करो, अच्छे से याद करो और बताओ कि आपने वो पैसे किसको दिये थे, क्योंकि सेफ की चाबी आपके ही पास थी।
मगर मैंने पैसे दिये नहीं थे तो पैसे कैसे निकल गए, वो भी बंद सेफ से। मैं बहुत परेशान थी, मैं अपना सर पकड़ कर बैठ गई, कुणाल ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और तसल्ली देने लगा।
परेशानी और डर की वजह से मैं रोने लगी।
कुनाल ने मुझे चुप करवाया और अपनी सीट पे जा कर बैठने को कहा।
मैं अपने केबिन में आ गई। थोड़ी देर बाद जब कुछ संभली तो ऑफिस का प्यून मेरे पास आया। मुझे पानी दिया पीने को और बोला- मैडम जी, एक बात कहूँ?
मैंने कहा- कहो!
वो बोला- यह जो आपके साथ हो रहा है न, यह कोई नई बात नहीं है। आपसे पहले भी ऐसे हो चुका है।
‘मतलब?’ मैंने पूछा।
वो बोला- ये जो कुणाल बाबू हैं न, सब कुछ इनकी ही चाल है, खुद ही घपला करवा देते हैं और फिर खूबसूरत लड़कियों को अपने जाल में फंसा लेते हैं।
मैं समझ गई कि मैं कुणाल के जाल में फंसी हूँ। अब मैं सिर्फ यह देखना चाहती थी कि वो मुझसे क्या चाहता है, बात तो साफ थी कि उसकी गंदी नज़र मुझ पर थी।
दो दिन बाद मैं अपने केबिन में बैठी थी और घर जाने से पहले अपना सामान समेट रही थी, तभी मेरा मोबाइल बजा।
मैंने देखा कुणाल का फोन था, मैंने हैलो कहा तो वो उधर से बोला- बात ऐसी है कि आज शाम को मेरी मीटिंग अपने एक बहुत ही सीनियर वकील से है, जिससे मैं आपका केस डिस्कस करने वाला हूँ, प्रशांतजी (मेरे बॉस) भी वहीं होंगे, अगर आपकी ज़रूरत पड़ी तो मैं आपको बुला लूँगा, क्या आप आएंगी?
मेरे पास और क्या चारा था, मैंने कहा- जी आ जाऊँगी, कितने बजे आना है?
वो बोला- शाम 7 बजे की मीटिंग है, याद रखिएगा।
मैं घर जाते वक़्त यही सोच रही थी कि कुणाल मुझसे क्या चाहता है, यह बात तो साफ थी कि उसकी मुझ पर गंदी निगाह थी, मगर अगर उसने कुछ उल्टी सुल्टी डिमांड रख दी तो क्या मैं उसकी बात मान पाऊँगी।
मैं बहुत कुछ सोच रही थी, अगर पैसे देने पड़े, अगर मुझे नौकरी से निकाल दिया गया, और अगर कुणाल ने मुझे कोई अनुचित मांग मानने को कहा तो?
घर आ कर मैं सबसे पहले नहाई, और नहाते नहाते मैंने सोच लिया कि यह नौकरी मुझे नहीं खोनी, यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, मेरी पहचान है, चाहे कुछ भी हो जाये, मैं उनकी हर बात मान जाऊँगी, बस नौकरी नहीं जानी चाहिए।

मैंने अपने बगल के बाल साफ किए, यही नहीं अपनी कमर के नीचे के बाल (झांट) भी बिल्कुल साफ कर दिए, सारी बॉडी पे लोशन लगाया।
करीब 7 बजे फिर से फोन आया, और कुणाल बोला- हैलो, सुलक्षणा जी, वकील साहब से टाइम मिल गया है, क्या आप अभी आ सकती हैं?
मैंने पूछा- कहाँ आना है?
वो बोला- होटल सन बीम में, हम आपका इंतज़ार कर रहे हैं।
मैंने फोन काटा, कपड़े बदले, बेशक मेरे बूब्स बड़े हैं, फिर भी पैड वाली ब्रा पहनी के थोड़े और भरे भरे बूब्स लगे, हल्के सी ग्रीन कलर की साटिन की साड़ी पहनी, बढ़िया सा मेकअप किया ताकि और हॉट लगूँ।
शीशे में देखा, बहुत ही धांसू लग रही थी।
गाड़ी लेकर मैं होटल पहुंची, कुणाल मुझे गेट पे ही मिल गया, वो मुझे ऊपर पाँचवी मंज़िल पे अपने रूम में ले गया।
उस वक़्त 8 बज रहे थे।
जब मैं रूम में एंटर हुई तो देखा वहाँ तो बस प्रशांतजी और कुणाल ही थे।
मेरे पूछने से पहले ही कुणाल ने कह दिया- वो वकील साहब से सारी बात डिस्कस हो चुकी है, उन्हें जल्दी जाना था, अब सिर्फ आपसे पूछना है।
मैं जाकर सोफ़े पे बैठ गई, प्रशांतजी भी बैठे थे, कुणाल ने एक ड्रिंक बनाई और मुझे दी।
मुझे अपने आप में थोड़ी बहादुरी, थोड़ी दिलेरी पैदा करने के लिए, ड्रिंक ज़रूरी थी, मैंने एक ही बार सारी ड्रिंक पी ली और कुणाल से
कहा- वन मोर प्लीज़!
वो झट से एक और ड्रिंक बना लाया।
मैंने गिलास हाथ में पकड़ा और पूछा- जी अब बताइये क्या चाहते हैं आप?
मेरी टोन बता रही थी कि मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ, अब सिर्फ उन्होंने अपने अंदर के जानवर को बाहर निकालना था।
बात कुणाल ने ही शुरू की, थोड़ा इधर उधर घुमा कर वो बोला- अगर आपको हमारी इच्छा पूरी करने में कोई दिक्कत न हो, तो सब कुछ वैसा ही हो जाएगा, जैसे पहले था।
‘क्या इच्छा है आपकी?’ मैंने पूछा।
‘एक मर्द को एक खूबसूरत औरत से क्या चाहिए!’ वो बोला।
‘मेरे पास न तो देने के लिए इतने पैसे हैं, और न ही मैं यह नौकरी खोना चाहती हूँ।’ कह कर मैं उठी और बालकनी के पास जा
कर खड़ी हो गई।
कुणाल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पे रखे, मैं चुपचाप खड़ी रही, उसने अपने एक हाथ से मेरे बाल मेरे कंधे से हटाये और मेरे कंधे का जो हिस्सा मेरे ब्लाउज़ से बाहर था, वहाँ पे अपने होंठो से चूम किया।
मेरे कंधे से एक बिजली की लहर दौड़ी जो मेरे दोनों बूब्स से होते हुये, मेरी योनि में सनसनाहट पैदा करती हुई मेरे पाँव तक गई।
करीब दो बरस बाद मुझे किसी मर्द ने इस तरह से छुआ था।
मैंने कुछ प्रीतिक्रिया नहीं की, तो कुणाल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया- तुम जानती हो सुलक्षणा, मैंने जब से तुम्हें देखा है, मैं तो तुम्हारा दीवाना हुआ पड़ा हूँ, तुम बेहद खूबसूरत हो।
कहते कहते उसने अपना हाथ मेरे पेट पे फेरा।
मगर किसी मर्द के छूने भर के एहसास से मेरे अंदर तो हलचल मच गई थी, मैंने अपना सिर पीछे को गिराया और उसके कंधे पे टिका दिया और अपनी आँखें बंद कर ली।
कुणाल ने अपने दोनों हाथ ऊपर लेजा कर मेरे दोनों बूब्स को पकड़ लिया और बड़े आहिस्ता आहिस्ता से दबाये। जब मैंने फिर भी कोई प्रीतिक्रिया नहीं की तो कुणाल ने मेरा हाथ पकड़ा और वापिस सोफ़े के पास ले गया।
मैं खड़ी रही, कुणाल ने मेरे कंधे से मेरा ब्रोच खोला, साड़ी का पल्लू बड़े आराम से नीचे गिरा दिया। आज पहले बार ऐसा हुआ था कि मेरा पल्लू मेरे बॉस के सामने नीचे गिरा था।
प्रशांत जी भी जो बैठे देख रहे थे, गिलास रख कर उठ कर आए और मेरे सामने खड़े हो गए।
मैंने अपनी आखें बंद ही रखी।
कुणाल अपनी कमर पीछे से मेरे हिप्स पे लगा के खड़ा था और मुझे एहसास हो रहा था कि उसका लण्ड मेरे हिप्स के बीच में घिस रहा था।
पहले प्रशांतजी ने मेरे दोनों बूब्स अपने हाथ में पकड़े, उन्हे दबाया, और मेरे ब्लाउज़ में से बाहर दिख रहे मेरे क्लीवेज को चूमा, और अपनी जीभ से चाटा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं चुपचाप खड़ी उन मर्दो की करतूतें देख रही थी। फिर प्रशांतजी ने मेरी साड़ी की चुन्नट एक एक करके खोली और मेरी साड़ी उतार कर सोफ़े पर फेंक दी।
कुणाल ने मुझे गोद में उठा लिया और बेड पे ले गया, मुझे प्यार से बेड पे लिटाया, प्रशांतजी ने मेरे सेंडिल उतारे और सेंडिल उतार कर मेरे पाँव चूमे, मेरे पाँव की उँगलियों और अँगूठों को मुँह में लेकर चूसा।
वो मेरे पाँव के अंगूठे चूस रहे थे और झंझनाहट मेरी योनि में हो रही थी। मुझे लगा जैसे मेरी योनि गीली हो गई है।
इतनी देर में कुणाल ने अपने सारे कपड़े उतार दिये, सिर्फ एक चड्डी को छोड़ कर। मगर उसकी चड्डी में भी उसका तना हुआ लण्ड साफ दिख रहा था।
वो मेरी बगल में आ कर लेट गया और अपने हाथों से उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोले और मेरा ब्लाउज़ उतार दिया। मेरी ब्रा में से मेरा बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था, जिस पर दोनों ने हाथ फिरा कर देखा।
उधर प्रशांतजी ने अपने हाथों से पहले मेरा पेटीकोट मेरे घुटनो तक उठाया, मेरी टाँगो को पाँव से लेकर घुटनों तक चूमते चाटते वो घुटनों तक आ गए।
जब उन्होंने देखा कि कुणाल मेरे होंठ चूस रहा है और सिर्फ एक चड्डी में हैं, उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।
कुणाल ने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और मेरे गालों को चूमा और फिर अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये।उसने मेरे होंठ चूसे, मैंने उसका साथ दिया, मैंने भी उसके होंठ चूसे।
दो साल बाद मैं किसी पुरुष से सेक्स करने जा रही थी, नही तो अपने पति से तलाक के बाद जब कभी भी दिल किया, अपने हाथों से ही अपनी सेक्स की भूख शांत कर लेती थी, मगर आज तो दो दो मर्द मुझे भोगने को तैयार खड़े थे, मेरी तरफ से पूरी सहयोग मिलता देख उनके भी होंसले बढ़ गए थे।
बेहद शांत रहने वाले प्रशांतजी ने मेरी पेंटी उतारी और मेरी टाँगें खोल कर अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया और सबसे पहले मेरी
चूत को अपने दाँतों से काट खाया।
मैं सिहर गई, मगर दोनों मर्दों को जोश चढ़ गया था।
कुणाल ने मेरी ब्रा ऐसे खींच कर उतारी कि उसके दोनों स्ट्रैप ही टूट गए, मेरी दोनों छातियों अपने सख्त हाथों में पकड़ के कुणाल ने मसल दिया, मेरे मुख से दर्द से चीख निकल गई।
उसके बाद वो बदहवासों की तरफ मेरी छातियों को नोचने लगा, कभी दबाता, कभी निचोड़ता, कभी काटता।
जितना आनन्द मुझे प्रशांतजी से अपनी चूत चटवा कर आ रहा था उतना ही दर्द मुझे कुणाल मेरी छातियों को मसल कर दे रहा था। उसके दबाने से मेरी दोनों छातियाँ लाल हो गई थी।
उसने अपनी चड्डी उतार दी और मैंने उसका करीब 6 इंच का मोटा काला लण्ड हवा में लहराता दिखा। फिर वो मेरी छाती पर आ बैठा और उसने अपना लण्ड मेरे होठों से लगा दिया, मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
मैं तो सिर्फ उसका लण्ड चूसना चाहती थी, मगर उसने तो अपनी कमर चला कर मेरा मुख चोदन शुरू कर दिया।
एक दो बार तो ऐसा लगा जैसे मुझे उल्टी हो जाएगी, इतनी ज़ोर से उसका लण्ड मेरे गले के अंदर जा कर लगा।
प्रशांतजी के चाटने से मेरी चूत पानी पानी हो रही थी।
थोड़ी देर चाटने के बाद प्रशांतजी ने मेरी चूत पे अपना लण्ड रखा और अंदर ठेल दिया।
अब मेरे दोनों मुख लण्ड से भरे पड़े थे और दोनों में चुदाई हो रही थी।
करीब 5 मिनट की डबल चुदाई के बाद दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली, अब प्रशांतजी मुझे लण्ड चुसवा रहे थे और कुणाल मुझे चोद रहा था।
मगर प्रशांतजी बड़े प्यार से मेरा ख्याल रखते हुये मुझे लण्ड चुसवा रहे थे और मैं भी पूरा मन लगा कर उनका लण्ड चूस रही थी।
कुणाल मेरी चूत को भी बेदर्दी से चोद रहा था, शायद इसी वजह से मैं झड़ गई, जबर्दस्ती की चुदाई में मैं जल्दी स्खलित हो जाती हूँ। स्खलित होते वक़्त जो मैं कसमसाई, उसी कारण प्रशांतजी का भी वीर्यपात मेरे मुख में ही हो गया।
मैंने उनकी आँखों में देखा, उन्होंने अपना सिर हिला कर मुझे इशारा किया कि ‘पी जाओ’ और मैं उनका सारा वीर्य अंदर निगल गई।
झड़ने के बाद प्रशांत जी मेरी बगल में ही लेट गए, उन्होंने दो सिगरेट सुलगाई और एक मुझे दे दी।
हम दोनों सिगरेट पीने लगे।
इसी दौरान, कुणाल ने भी अपनी मर्दांगी के रस से मेरी चूत को सरोबार कर दिया।
वो मेरे ऊपर ही लेट गया और मेरी ही सिगरेट लेकर पीने लगा।
‘जानती हो सुलक्षणा, जिस दिन तुम्हें पहली बार देखा था, मेरा तभी तुम पे मन आ गया था और मैंने यह सोच लिया था कि एक न एक दिन तुम्हें ज़रूर अपना बनाऊँगा।’ कुणाल बोला।
‘और उसके लिए चाहे मुझ पर झूठा केस ही क्यों न बनाना पड़े?’ मैंने कहा।
‘अरे!’ कह कर वो हंस दिया- अब क्या बताऊँ, तुम हो ही इतनी हसीन कि प्रशांत भी तुम्हें हर हाल में हासिल करना चाहता था।
‘सच में?’ मैंने पूछा- अगर प्रशांतजी कहते तो इनके लिए तो मेरी हमेशा से हाँ थी।’ मैंने कहा।
इस बार हम तीनों हंस पड़े।
उस रात उन दोनों मर्दों ने मुझे तीन तीन बार चोदा। सुबह 6 बजे मैं घर वापिस आई।
और उसके बाद मैं आज कंपनी की मैनेजर हूँ। एक पते की बात बताती हूँ आपको, सेंटर (चूत) की सिफ़ारिश के आगे सब फेल है।
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बरसात की रात एक लड़की के साथ (Barsat Ki Raat Ek Ladki Ke Sath)

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दोस्तो, आप सभी ने मेरी कहानियाँ को इतना प्यार दिया, उसके लिए धन्यवाद।
आपके सामने फिर अपनी एक कहानी लेकर हाज़िर हुआ हूँ, उम्मीद है इसे पढ़ कर मुझे मेल जरूर करोगे।
मेरे ऑफिस में ही काम करने वाली लड़की, जिसका नाम अनुष्का था, के साथ मिल कर मुझे एक प्रोजेक्ट पर काम करना था।
हमें अपने प्रोजेक्ट के लिए कुछ दिन कंप्यूटर पर काम करना था और कुछ दिन बाहर फील्ड में जाकर काम करना था।

मेरी जूनियर सेक्सी लड़की

अनुष्का का रंग काफी गोरा और भाबी जी घर पर हैं! की अनीता उर्फ़ अन्नू जैसा सेक्सी जिस्म था, वो लुधियाना में गर्ल्स पीजी में रहती थी।
मैं भी उन दिनों मैं अलग रूम लेकर ही रहता था।
मैं कम्पनी की तरफ से दिए गए काम को पूरा करने के लिए कुछ दिनों से अनुष्का से मिल कर काम कर रहा था।
एक दिन शाम का समय था बरसात का मौसम था, हम दोनों एक गाँव से वापिस आ रहे थे। मैं बाइक पे था और अनुष्का मेरे पीछे बैठी थी।
शाम के करीब 7 बजने वाले थे हम ऑफिस का काम करके वापिस आ रहे थे कि अचानक बरसात शुरू हो गई।
मैंने बाइक को सड़क के एक किनारे एक पेड़ के नीचे रोक दिया और हम दोनों वहाँ रुक कर बरसात रुकने की प्रतीक्षा करने लगे।
लेकिन बरसात थी कि और तेज हुए जा रही थी।
हमने ऑफिस में फ़ोन कर दिया कि अब हम ऑफिस के बजाये सीधा अपने पीजी में जायेंगे, क्योंकि वैसे भी ऑफिस का समय ख़त्म हो चुका था।
बॉस को हमने फ़ोन पर रिपोर्ट दे दी थी।
मेरा प्लान था कि रास्ते में जाते हुए अनुष्का को रास्ते में उसके पीजी में छोड़ दूंगा।
जब हमने देखा कि पेड़ के नीचे भी हम पर पानी गिरने लगा है तो हमने वहाँ से बारिश में ही निकलने का फैसला लिया।
हम बरसात में ही आगे बढ़ते जा रहे थे, बारिश भी तेज हो गई थी, हम दोनों पूरे भीग चुके थे।

गीले कपड़ों में

अनुष्का की शर्ट उसके बदन के साथ चिपक गई थी और उसकी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी, इधर मेरी भी शर्ट भीगने की वजह से मेरी बनियान दिख रही थी।
अनुष्का बाइक पे दोनों टाँगें इधर उधर करके मुझे अच्छी तरह से पकड़ कर बैठ गई, अनुष्का के मम्मे मेरी पीठ पे टच कर रहे थे, जिसकी वजह से मेरे अंदर थोड़ा थोड़ा मीठा सेक्सी एहसास होने लगा था, शायद ऐसा एहसास अनुष्का को भी हो रहा था, वो इसीलिएजब बाइक किसी खड्डे में लगता तो वो आह भर कर जोर से मुझे पकड़ लेती।
मेरा लंड भी थोड़ा तन गया था, मैंने बाइक को रोड के एक किनारे एक बिल्डिंग की दीवार के पास रोक लिया, वहाँ कोई नहीं था, बस वहाँ बरसात से बचने का थोड़ा इंतजाम लग रहा था।
अनुष्का बाइक से उतरते ही बोली- क्यों, अब आप रुक क्यों गये सर?
मैंने कहा- बारिश को थोड़ा थम लेने दो, बारिश बहुत तेज है ऐसे में बाइक चलने में दिक्कत हो रही है।
थोड़ा थोड़ा अँधेरा भी होने लगा था, अनुष्का को ठण्ड लग रही थी, उसके दांत कम्पने लगे।
मैंने अनुष्का कि हालत देख कर कहा- अनुष्का, तुम तो बहुत कांप रही हो।
अनुष्का ने बताया कि उसे बहुत ठण्ड लग रही है।
कम्पन की वजह से अनुष्का के मम्मे भी हिल रहे थे।
मैंने उसे थोड़ा इंतज़ार करने को कहा, मैं अनुष्का को बोला- अगर तुम ठीक समझो तो आज रात मेरे रूम पर रुक जाओ, कल सन्डे है, कल चले जाना, क्योंकि उसका पीजी शहर के दूसरी तरफ़ हमारे ऑफिस के नजदीक था।
तो पहले तो वो तैयार न हुई, परन्तु मेरे ज्यादा जोर देने पे वो बोली- पर सर, मेरे पास कोई कपड़ा तो है नहीं, मैं कपड़े कैसे सुखाऊँगी?
मैंने उसे कहा- तुम मेरी शर्ट पहन लेना, वैसे भी तुम जीन्स और शर्ट ही पहनती हो, रात को सोने के लिए भी मेरा ही नाईट सूट पहन लेना! ये गीले कपड़े रात को धो कर डाल देंगे, कल तक ये सूख जायेंगे, कल रविवार है, तुम कल को जाते हुए यही कपड़े पहन लेना।
तो वो मेरे पास ही रुकने को तैयार हो गई।
अनुष्का ने नीचे मेरी पैंट की तरफ देखा तो वो मेरा खड़ा लंड देखकर थोड़ी शर्मा सी गई।
हम कुछ देर और वहीं पे रुके, परन्तु जब देखा कि बरसात नहीं रुक रही है तो हम बारिश में ही अपने रूम की तरफ निकल गए।
मेरा रूम जिस एरिया में था, वहाँ आबादी कम थी, और मेरे रूम के अलावा वहाँ दो रूम और थे, परन्तु वो अभी किसी ने भी नहीं लिए थे, इस लिए वहाँ ताला लगा हुआ था।
रूम में पहुँच कर मैंने अनुष्का को अपने कपड़े बदलने के लिए दिए। अनुष्का नहाने और कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में चली गई।
मैं भी अपने कपड़े बदल कर किचन चला गया, मैंने चाय के साथ स्नैक्स बना लिए।
जब वो वापिस आई, मैंने चाय के साथ स्नैक्स उसके सामने रख दिए, तो वो बोली- ओह सर, इसकी क्या जरूरत थी।
अनुष्का का बदन बहुत सेक्सी लग रहा था।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये लो!
हमने चाय पी और उसके बाद मैं खाना बनाने लगा तो अनुष्का बोली- अरे सर, आप खुद बनाते हो खाना?
मैंने कहा- खाना तो यहाँ पर टिफन सर्विस से आता है लेकिन जैसे आज बरसात का मौसम है, मुझे नहीं मालूम कि टिफिन सर्विस आएगी यहाँ पर! वो फ़ोन भी पिक नहीं कर रहे हैं इसलिए इमरजेंसी के लिए खुद भी तैयार करना पड़ जाता है।
तो अनुष्का बोली- नहीं सर, आप रहने दीजिये, खाना आज मैं बनाऊँगी, आप जाओ नहा लो।
अनुष्का के जोर देने पर मैं मान गया।
मैं जब तक नहा कर आया, तब तक अनुष्का ने खाना बना लिया था, हम दोनों ने एक साथ खाना खाया।
बाहर बरसात लगातार हो रही थी, बिजली भी बंद हो चुकी थी, हमारे रूम में इनवर्टर की वजह से रोशनी तो थी, परन्तु टी वी नहीं चल रहा था, तूफ़ान और बरसात की वजह से केबल टूट चुकी थी।
मेरे रूम में एक ही बैड लगा हुआ था, मुझे कभी दूसरे बैड की जरूरत ही महसूस नहीं हुई थी।
अनुष्का हिचकचाते हुए बोली- सर, हम दोनों एक ही बैड पर…!
मैंने कहा- नहीं अनुष्का, तुम ऊपर सो जाओ, मैं नीचे चटाई पर सो जाता हूँ।
वो बोली- नहीं, मैं नीचे सो जाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं, तुम काँप रही थी, तुम्हें सर्दी लग जायेगी, वैसे भी आज तुम मेरी मेहमान हो, हम मेहमानों को नीचे नहीं सुलाते। मैं ही नीचे सोऊंगा।
वो बोली- नहीं, आपको भी सर्दी लग सकती है।
खैर ऐसे ही कुछ देर बहस करने के बाद यह तय हुआ कि हम दोनों ही बैड पे सोयेंगे, आखिर हम एक ऑफिस में काम करते हैं तो हम एक दूसरे के दोस्त भी तो हैं।
अब अनुष्का की जवानी का रस मेरे होंठों पे गिर चुका था, मैंने उसका स्टायल बदल दिया और उसको अपने लंड पे बिठा लिया, अनुष्का मेरा पूरा साथ दे रही थी, हम बीच बीच में बातें भी कर रहे थे।
अनुष्का बोली- सर आप ऊपर आओ!
मैंने कहा- नहीं, तुम ऊपर बैठो, मैं तुम्हारे निप्पल चूसते हुए तुझे मज़ा देता हूँ!
मेरी बात मान कर अनुष्का मेरे लंड पे बैठ गई। अनुष्का की चूत में मैंने जैसे ही लंड डाला तो मैंने पहले दो झटके तो धीरे लगाए। जब तीसरा झटका लगाया तो अनुष्का को थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए।
अब अनुष्का की बच्चेदानी तक मेरा लंड जा चुका था, मेरे लंड का हर झटका अनुष्का की बच्चेदानी को छू रहा था।
अनुष्का को भी अब मज़ा आ रहा था, वो खुद अपनी गांड उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी, वो अपनी गांड को कभी ऊपर करती और कभी नीचे।
मैं भी उसे बोल रहा था ‘उन्म्ह… साली… कु.ति.या.. कैसा… लग.. र.हा.. है. आ..ज?
वो बोली- बहुत.. म.ज़ा.. आ.. र.हा. है. जा.नू…
मैंने कहा- ये. ले.. फिर. चु.द सा.ली.. अ.प.ने.. या.र… से… ते.री. .ब.ह.न.. की… चूत.. चो.दुं. तुझे.. क.भी.. दो .दो.. लं.डों.. से.. चु.द.वा.उ.न.. कुति.या.. ते.री.. गां.ड.. औ.र.. चू.त.. में.. ए.क. सा…थ… लं.ड… डा.लू.. ये… चू.त.. ये… ले.. औ.र.. झ.ट…का.. ते.री. .चू.त.. में.. कु.ति.या.. ले.. चु.द.. आ.ह.. उ.ई.. आ.ह. चु.द… चु.द… चु.द.. आ.ह…
अनुष्का भी मजेदार सिसकारियाँ लेती हुई कराहती हुई चुदाई के मज़े ले रही थी और बोल रही थी- उ..ई.. आ.ह. आ.ह.. उई.. चोद.. चो…द.. दो.. आ.ह .लो.. चो.दो.. मे..री .ज.वा..नी .मे.री.. बह.न.. चो.दो. .मे.री.. गां.ड.. और.. चूत.. में .लं.ड.. डा.लो .2.. क्या.. ती.न. .ती.न.. लंड.. डा..ल. दो.. .मेरे..अं.द.र.. लो. मे.री… ज.वा.नी. की.. आ.ग. बु..झा.. दो. मे.रे.. मर्द..उ.ई .अ.ह.. आह.. आ.ह. उ..ई.. ले .चो.द. चो.द.. मे.री. ज.वा.नी. के.. म.र्द. ले.. चो.द .दे.. आज.. अ.प.नी.. कु.ति..या. को.. आ.ह. आ.ह आ.ह. .आः .उ.ई. उ.ई. उई. उ.ई…
अनुष्का इस तरह बोलती हुई चुद रही थी।
एक बार फिर मुझे लगा जैसे अनुष्का की चूत में बाढ़ आ गई हो, मैंने अनुष्का की चूत में जोरदार दो तीन झटके लगाये तो उसकी चूत का पानी मेरे लंड पे निकल गया, आखिर वो फिर झड़ चुकी थी।
मैंने भी लंड को तेजी उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था, आखिर मेरे लंड का दरवाजा भी खुल गया, मेरा लंड रस भी फ़ूट पड़ा, मेरे लंड की पहली धार जैसे ही निकलने लगी तो मैंने तुरंत अपना लंड अनुष्का की चूत से खींचा और उसके मम्मों पे कर दिया, मेरा रस अनुष्का के मम्मों पर गिर रहा था।
अनुष्का मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चाटने लगी थी, मेरा पूरा लंड रस अनुष्का ने चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
आखिर हम दोनों चुद चुके थे।
अनुष्का बोली- साले बेशर्म… आज मुझे भी अपने सामने बेशर्म बना ही लिया?
मैंने उसे किस की और कहा- साली अब तो एक साथ काम करने का भी मज़ा आएगा।
ऐसे बातें कारते हुए हम हँसते खेलते एक साथ नहाए और दूसरे दिन इतवार को भी हमने दिन में कई बार चुदाई की तो फिर शाम को अनुष्का अपने पीजी चली गई।
दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मेल करनी मत भूलियेगा, मेल आई डी याद है न।
आपका दोस्त
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