Tuesday, September 20, 2016

अपनी ही स्टूडेंट की सील तोड़ी

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हैल्लो दोस्तों मेरा नाम लोकेश है और में 25 साल का हूँ. सभी तड़पती चूत वाली भाभियों और आंटियों को मेरे लंड का नमस्कार, दोस्तों मुझे कुंवारी लड़कियों और सेक्सी आंटियों की प्यासी चूत को अपने लंड से संतुष्ट करना बहुत अच्छा लगता है, मेरा लंड 6 इंच लंबा है. दोस्तों बहुत लंबे समय में इतनी सारी सेक्सी कहानियां पढ़कर एक दिन मेरा भी मन हुआ कि में भी अपनी एक सच्ची कहानी आप सभी लोगो को सुना दूँ जिसमे मैंने एक स्टूडेंट के साथ सेक्स किया और उसकी तड़पती हुई चूत को अपने लंड से चोदकर शांत किया, वो मेरी चुदाई से इतनी संतुष्ट हुई कि उसने मुझे उस पहली चुदाई के बाद भी अपनी चुदाई के बहुत मौके दिए और मैंने उस कुंवारी चूत को अपने लंड से चोद चोदकर भोसड़ा बना दिया और अब में आप सभी को अपनी स्टूडेंट के साथ मेरी वो student sex story पूरी विस्तार से सुनाता हूँ जिसको पढ़कर आप सभी को बहुत मज़ा आएगा.
दोस्तों यह कहानी करीब दो साल पहले की है जब में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके में खुद भी एक अच्छे से कॉलेज में पार्ट टाईम नौकरी करने लगा. मुझे उस नौकरी से अपने खर्चो में थोड़ा सा सहारा मिल जाता था और में उस नौकरी को करके बहुत खुश था. दोस्तों वहां पर मुझे हर दिन तीन क्लास लेनी होती थी, लेकिन मेरी क्लास में बहुत कम स्टूडेंट थे जो मेरी क्लास में बैठने आते थे और ज़्यादातर लड़कियां ही मुझसे क्लास लेती थी, लड़को को मेरी क्लास में बैठना अच्छा नहीं लगता था.
फिर जब में पहले दिन उस कॉलेज में क्लास लाने गया तो वहां पर इतनी सुंदर सुंदर लड़कियों को देखकर में बहुत खुश हो गया, वो सभी लड़कियां अपनी 12th की पढ़ाई पूरी करके कॉलेज में आई थी और वो सब कच्ची कलियाँ थी, लेकिन वो सब लड़कियां दिखने में एक से बढ़कर एक थी और उसी क्लास में एक लड़की सबसे हटकर थी जिसका नाम टीना था, वो दिखने में सबसे ज्यादा सुंदर, गोरी, उसकी बड़ी बड़ी गोल आखें, पतली सुराहीदार गर्दन, एकदम गुलाबी रस भरे होंठ, घने काले लंबे बाल जो उसकी गांड से भी नीचे तक लटके हुए थे, उसकी वो पतली कमर जिस पर थोड़ी सी उभरी हुई गांड और पूरे उस सेक्सी बदन पर छोटे आकार के कसे हुए बूब्स जिनको देखकर उसके अब तक कुंवारे होने का अंदाजा लगाया जा सकता था. दोस्तों उसने अभी अभी अपनी जवानी की पहली सीड़ी पर अपना पहला कमद रखा था, शायद उसकी चूत पर अभी ठीक तरह से बाल भी नहीं निकले होंगे और उसकी चूत अब तक वर्जिन थी.
यह सब मुझे उसकी पहली चुदाई करने के बाद पता चला. दोस्तों वो बहुत मासूम भोली भाली लड़की थी, लेकिन मैंने उसके ऊपर गौर किया कि वो हमेशा क्लास में बस चोरी छिपे मुझे ही घूरती रहती थी. उसका ध्यान अपनी किताब की पढ़ाई में कम और मेरे चेहरे पर कुछ ज्यादा रहता था इसलिए मुझे उसका इस तरह से लगातार घूरकर देखना बहुत अजीब लगता था, लेकिन यह मेरी पहली नौकरी थी इसलिए में उससे इस बारे में खुलकर बात भी नहीं कर सकता था और मुझे बहुत थोड़ा डर भी लगता था कि कहीं किसी को पता चलेगा तो मेरी बहुत बदनामी होगी और कॉलेज के मालिक भी मेरे पापा के एक बहुत अच्छे दोस्त थे, यह बात मेरे घर पर भी पहुंचने का मुझे बहुत डर था इसलिए में हमेशा बिल्कुल चुप रहा और मैंने उससे कभी भी कुछ नहीं कहा और ऐसे ही दिन बीतने लगे.
वो मेरी हर बात का मुस्कुराकर जवाब देती और क्लास में सबसे ज्यादा बार वो मुझसे हर कोई सवाल पूछती. उसका मेरी तरफ झुकाव अब धीरे धीरे कुछ ज्यादा बढ़ने लगा था और वो कॉलेज केंटिन में भी मेरे साथ बैठकर बातें करने के नए नए मौके देखने लगी और हर कभी मुझे देखकर हंसने लगी थी दोस्तों वैसे तो अब मुझे भी उसका यह सब करना बहुत अच्छा लगने लगा था और मुझे भी अब उसके साथ बैठना, बातें करना अच्छा लगने लगा था. फिर एक दिन की बात है टीना ने किसी से मेरा मोबाईल नंबर लेकर मुझे फोन किया और वो मुझसे कहने लगी कि सर आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में आपको मन ही मन चाहने लगी हूँ और आपको देखे बिना मेरा दिन नहीं बीतता, में आपको बहुत प्यार करती हूँ.
फिर मैंने उसे उसकी पूरी बात सुनकर डांट दिया और मैंने उससे कहा कि तुम मेरी स्टूडेंट हो और तुम्हे मेरे बारे में यह सब गलत बातें नहीं सोचना चाहिए. तुम्हारा मेरे लिए यह बात सोचना बहुत गलत बात है और मैंने उसे बहुत देर तक समझाया, लेकिन फिर वो भी नहीं मानी. फिर मैंने उससे कहा कि ठीक है हम बैठकर इस बारे में बात करेंगे और वैसे तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो, लेकिन में तुमसे यह बात कहने में बहुत समय से डरता था. में यह बात सोचता था कि इससे मेरी बहुत बदनामी होगी.
तभी उसने तुरंत कहा कि सर आप इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो. में आपके साथ हूँ और आपसे कोई भी कुछ नहीं कहेगा और उससे कुछ देर बात करने के बाद मैंने फोन कट कर दिया. फिर उसके दूसरे दिन हम दोनों कॉलेज केंटिन में मिले और हमने बैठकर बहुत देर तक बातें की उसने मुझे अपने मन की पूरी बात बताई और में भी सही मौका देखकर उसे अपने मन की सभी बातें बताने लगा और उस दिन के बाद से अब हम दोनों धीरे धीरे फोन सेक्स करने लगे. दोस्तों जितनी वो खुबसूरत थी उतनी ही उसकी आवाज़ मीठी थी.
apni student ki seal todi student sex story
वो मस्त कमसिन कलि
दोस्तों उसके बाद हमारे बीच अब बातचीत और मिलना बहुत हद तक बढ़ चुका था. अब हम दोनों घंटो तक फोन पर बातें चेटिंग करने लगे थे, इस बीच में उसे ब्लूफिल्म की डीवीडी दे देता था और वो उसे देखकर बहुत गरम हो जाती थी. फिर एक दिन की बात है उस दिन हमारी किस्मत से कॉलेज प्रॅक्टिकल क्लास में बस हम दोनों ही अकेले थे और मैंने सही मौका देखकर उसे किस किया, उसके गाल और होंठो को चूसा. दोस्तों उसके वो गुलाबी गुलाबी होंठ बहुत ही रसीले थे और फिर मैंने उस मौके का पूरा पूरा फायदा उठाते हुए ज्यादा देर ना करते हुए बूब्स भी दबाए. उसने लाल कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी.
मैंने दबाते समय महसूस किया कि उसके बूब्स बहुत छोटे, लेकिन एकदम कसे हुए थे. मेरा ऐसा करने से हम दोनों बहुत जोश में आ चुके थे, लेकिन कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और हमने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया, क्योंकि हम उस समय कॉलेज में थे और वहां पर कोई भी किसी भी समय आ सकता था, लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे को पाने के लिए बहुत बेकरार थे और बस हम एक दूसरे की प्यास बुझाना चाहते थे. हम कोई अच्छे मौके की तलाश में थे और हम इस बीच मौका देखकर किस करते और में कभी कभी बूब्स भी दबा देता था, लेकिन बहुत दिन तक अपने आप पर कंट्रोल करने के बाद भी हमें कोई भी अच्छा मौका नहीं मिल रहा था और हम ऐसे ही थोड़ा बहुत एक दूसरे को चूमना, बूब्स को दबाना और फोन सेक्स करके अपनी आग को थोड़ा थोड़ा ठंडा करने लगे थे.
फिर एक दिन भगवान ने हमारी मन की बात को सुनकर हमें वो सबसे अच्छा मौका दे दिया जिसमें हमने वो सब कुछ किया जो हमें इतने दिनों पहले ही करना था. दोस्तों उस दिन उसका मेरे पास फोन आया और वो मुझसे कहने लगी कि आज मेरे सभी घर वाले दोपहर के समय बाहर किसी शादी में जा रहे है तो में आपको उनके चले जाने पर फोन कर दूंगी और आप उनके चले जाने के बाद मेरे घर पर आ जाना.
अब में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया और भगवान को मन ही मन धन्यवाद देने लगा, क्योंकि में तो बहुत पहले से ही उसकी चूत चुदाई करने के लिए तैयार था. मेरा लंड कब से उसकी चूत को अपना बनाना चाहता था और फिर मैंने बहुत खुश होकर उससे कहा कि ठीक है में तुम्हारे बताए हुए समय पर आ जाऊंगा, लेकिन तुम अपनी चूत को साफ करके रखना और अपना पूरा रूम हमारे मिलन के लिए सज़ाकर रखना. दोस्तों वो भी मुझसे अपनी चुदाई करवाने के लिए एकदम तैयार थी. उसने मेरे कहने पर अपनी चूत को पूरी तरह से चमका दिया जिसकी वजह से उसकी छोटी सी चूत पर चार चाँद लग गए.
उसने अपने बालों में शेम्पू किया और बाल खुले ही रखे. में बिल्कुल ठीक समय पर उसके घर पर पहुंच गया और मेरे घंटी बजाते ही उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया, जैसे वो मेरा ही इंतजार कर रही हो. फिर मैंने दरवाजा खुलते ही देखा कि वो एक लाल कलर की फ्रोक पहने हुई थी और उसमे वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. में लगातार उसे बाहर खड़ा खड़ा घूरता रहा और उसके बुलाने पर अंदर आ गया. फिर हमने थोड़ी देर बैठकर पहले इधर उधर की बातें की और उसके बाद मैंने उसे किस किया.

वो भी बहुत गरम थी इसलिए उसने मुझे हर जगह किस किया और मेरा पूरा पूरा साथ दिया. कुछ देर बाद उसने मेरी शर्ट को उतार दिया और वो अब मेरी छाती पर किस करने लगी. फिर में उसके होंठो को चूसने लगा तो वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी. फिर तभी मैंने जोश में आकर उसके मुहं में अपनी जीभ को डाल दिया और वो मेरी जीभ को बहुत प्यार से चूसने लगी. करीब दस मिनट बाद हम एक दूसरे से अलग हुए. अब मैंने जल्दी से उसकी फ्रोक को खोल दिया, क्योंकि में अब ज्यादा देर नहीं रुक सकता था. फ्रोक को खोलने की वजह से वो ब्रा और पेंटी में बहुत सेक्सी लग रही थी. अब में तुरंत उसकी ब्रा को खोलकर उसके कच्चे नींबू जैसे छोटे छोटे बूब्स चूसने, दबाने लगा. वो अब ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और अब मेरा लंड मेरी पेंट से बाहर निकलने के लिए बहुत तड़प रहा था. फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि तुम अब मेरा लंड चूसो तो उसने मेरे इतना कहते ही जल्दी से नीचे बैठकर मेरी पैंट के बटन खोलकर पेंट को नीचे खींच दिया और वो अब अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे खड़े लंड को किस करने लगी. मेरा लंड अब तक बहुत टाईट हो चुका था.
फिर उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उसके सुपाड़े पर और आंड पर किस करने लगी. फिर उसने मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और वो उसे बहुत देर तक धीरे धीरे चूसती रही, कभी किस करती तो कभी मेरा पूरा लंड अपने मुहं में ले लेती. मुझे उसका मेरे लंड के साथ खेलना बहुत अच्छा लग रहा था और अब हम कुछ देर बाद 69 की पोज़िशन में आ गए. दोस्तों मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत छोटी और अब तक बिल्कुल कुंवारी थी. मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत में डाली तो वो थोड़ा सा उछली, क्योंकि उसकी चूत बहुत टाईट थी और मेरे ऊँगली डालने से उसे थोड़ा दर्द सा हुआ. अब में उसके चूत के दाने को चूसने लगा तो वो बहुत आवाज़ कर रही थी. उसके मोन करने की आवाज धीरे धीरे अब बढ़ने लगी थी, लेकिन फिर भी में उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा रहा था, जिसकी वजह से उसे दर्द के साथ साथ मेरी गरम जीभ से चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
दोस्तों कुछ देर बाद में उसे जीभ के साथ साथ अपनी एक उंगली से भी चोद रहा था. उसकी चूत का रस अब बहने लगा था और उसे मैंने चखकर देखा और वो अब झड़ चुकी थी. दोस्तों मैंने आज पहली बार किसी लड़की को झड़ते हुए देखा था और बहुत देर तक उसकी चूत को चूसने के बाद अब हम दोनों चुदाई के लिए एकदम तैयार थे. उसकी चूत बहुत टाईट थी और में उसके ऊपर आ गया. फिर मैंने अपने लंड को चूत के मुहं पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का मार दिया, लेकिन मेरा लंड फिसल गया. दोस्तों में अब ज्यादा देर अपने लंड को बाहर नहीं रख सकता था, क्योंकि मेरा लंड अब ज्यादा जोश में आने की वजह से थोड़ा दर्द करने लगा था.
फिर मैंने दोबारा से लंड को चूत के मुहं पर उसके एक हाथ से सेट करवाकर डालने की कोशिश की तो मेरे बहुत ज़ोर लगाने पर मेरा सुपाड़ा अंदर चला गया, जिसकी वजह से उसे बहुत दर्द होने लगा और अब मैंने महसूस किया कि मेरे मोटे लंड के जबरदस्ती अंदर घुसने की वजह से उसकी चूत की सील अब टूट चुकी थी और उसकी चूत से खून निकलने लगा था. फिर में उसे लगातार किस करने लगा और उसके बूब्स को सहलाने लगा.
मैंने अपने लंड को एक ही जगह पर रहने दिया और जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने एक बार फिर से एक और ज़ोर का धक्का मार दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड अब उसकी छोटी कुंवारी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया, लेकिन वो उस दर्द से अब तड़पने लगी और उसने मुझसे लंड को बाहर निकालने को कहा और मेरी कमर पर अपने नाख़ून से उसने कई बार निशान किए, लेकिन मैंने उसकी बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया क्योंकि में उस समय बहुत जोश में था और अब में बहुत धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा और कुछ देर धीरे धीरे धक्कों से चूत में अपने लंड की जगह बनाने के बाद उसका दर्द कम होने लगा और हमने अपनी पोज़िशन को बदल लिया. मैंने अब टीना को उठाकर अपने लंड पर बैठा दिया और में उसके नीचे लेट गया और उसे चोदने लगा. वो मेरे लंड पर उछलते हुए बहुत सेक्सी लग रही थी और उसके उछलने की वजह से मेरा लंड उसकी चूत के आखरी हिस्से तक छू रहा था.
फिर मैंने कुछ देर बाद उसे मेरे ऊपर से उतरकर घोड़ी बनने को कहा और वो तुरंत मेरे सामने घोड़ी बन गई. मैंने अपने लंड को ज्यादा देर ना करते हुए पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा. वो भी अब मेरे साथ अपनी चुदाई के पूरे पूरे मज़े ले रही थी, लेकिन अब कुछ देर की चुदाई के बाद अब हम दोनों एक साथ ही झड़ गए. मैंने पूरा वीर्य लंड को बाहर निकालकर उसकी कमर पर डाल दिया और हम दोनों एक दूसरे चिपक गए. दोस्तों कुछ देर बाद एक बार फिर से उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया और जब मेरा लंड दोबारा चुदाई के लिए तैयार हो गया तो वो मुझसे बोली कि इस बार धक्के थोड़ा ज़ोर से मारना.
फिर मैंने उससे कहा कि ठीक है और हम एक बार फिर से चुदाई करने लगे. इस बार में बहुत ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को धक्के मारकर चोदने लग और वो बहुत उछल उछलकर मज़े लेकर मुझसे चुदवा रही थी और बोल रही थी कि हाँ आज फाड़ दो मेरी चूत को, यह आपके लंड के लिए बहुत तरसी है, आज आप इसकी प्यास बुझा दो आह्ह्ह्हह आईईईई हाँ थोड़ा और ज़ोर से चोदो मुझे करने लगी.
फिर कुछ देर की चुदाई के बाद हम दोनों एक बार फिर से एक एक करके झड़ गये और में वहीं पर थककर उसके पास लेट गया. कुछ देर बाद हमने अपने कपड़े पहने और में वहां से अपने घर पर आ गया और घर पर आकर में उसकी चुदाई को कई घंटो तक सोचता रहा और फिर बहुत बार कोशिश करने के बाद भी हमें चुदाई करने के लिए कोई अच्छा मौका नहीं मिला, लेकिन हमारे बीच की दोस्ती ऐसे ही लगातार चलती रही और हम एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे.
——-समाप्त——-
दोस्तों यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव और एक कुंवारी लड़की की चुदाई की कहानी. कैसी लगी आपको ये student sex story? कमेंट्स करके बताओ..kahaniya024@gmail.com

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टीचर की बीवी की क्लास ली

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दोस्तों, मैं जानता हूँ की हर स्कूली लड़के की ख्वाहिश होती है कि अपनी किसी माल teacher ki chudai करे। किस्मत से मेरी ये ख्वाहिश पूरी हो गयी और मैंने उस प्यासी औरत की क्या धुआंधार चुदाई की। एक धमाकेदार teacher sexy story आपके लिए..
बात उस समय की है जब मैं १२वीं में पढ़ा करता था। मैं अंगरेजी के ट्युशन के लिये एक सर के घर जाता था। हम लोग ५ दोस्त एक साथ जाते थे। टीचर हम सब को दोपहर ३ बजे बुलाते थे और ५ बजे छोड़ते थे। हम लोग रोज ट्युशन जाते थे। सर भी शादी शुदा थे और सर की बीवी एक दम मस्त थी और बहुत ही खूबसुरत थी। जिस दिन से मैने उसे देखा था, मैं बस उसी के बारे में सोचता था। उसका नाम शिल्पा था। वो एक बंगाली टीचर था। मैं आपको बता दूं कि शिल्पा हर दोपहर अपने बेडरूम में सोती थी और सर हमें होल मे पढ़ाते थे।
उसके उठने का समय ४.३० शाम था। वो हर रोज ४.३० के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम के लिये जाती थी जो एक कोमन बाथरूम था, होल में। हम जहां पढ़ते थे वो प्लेस बाथरूम के जस्ट पास ही था। और वो टोइलेट करती थी तो उसका मूत इतना प्रेसर के साथ निकलता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक जाती थी। बस यही तमन्ना मन में होती थी कि एक बार उसके साथ सेक्स करने को मिल जाये तो ज़िंदगी हसीन हो जाये।
ऐसे ही दिन गुज़रते गये, और कुछ दिन बाद हमारे सर जो वहां के एक स्कूल में टीचर थे, उनका ट्रांसफ़र हो गया। तभी सर ने हमें कहा कि उनका ट्रांसफ़र हो गया है इस लिये हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर लें। फ़िर सर ने एक ओप्शन और रखा कि उनकी बीवी भी वोही सब्जेक्ट पढ़ाती है, अगर हम चाहे तो उनसे ट्युशन ले सकते हैं। क्योंकि सर का ट्रान्सफर टैमपरेरी बसिस पर हुआ था और उन्हें अभी फ़ैमिली ले जाने का ओर्डर और फ़्लैट नहीं मिला था। इस लिये सर अकेले जा रहे थे।
मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर को ज्वोइन कर लिये। मगर मैं शिल्पा मैडम से ट्युशन लेने को राजी हो गया। सर ने भी मुझे थेंक्स कहा। जब सर जाने लगे तो उन्होने मुझे कुछ बाते बताईं कि मैं अपनी टीचर का ध्यान रखुं, अगर उन्हे कोई चीज़ चाहिये तो उन्हे ला दूं,। और मैने सर को भरोसा दिलाया कि मैं ऐसा ही करुंगा। फ़िर सर चले गये। मैडम घर में एक दम अकेली। उनको कोई बच्चा भी नहीं था। फ़िर मैं मैडम से ट्युशन लेना शुरु कर दिया और कुछ ही दिन में मैं मैडम का दोस्त भी बन गया और मैडम मेरी दोस्त बन गयी। मैं मैडम का बहुत ख्याल रखता था और मैडम मुझे एक स्टुडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी। धीरे धीरे १ महीना बीत गया। फ़िर एक दिन मैने मैडम से कहा मैडम आपको सर की याद नहीं आती, मैडम ने कहा याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नहीं है। फ़िर मैने मैडम को हिम्मत करके कहा मैडम एक बात पूछूं तो मैडम ने कहा तुम मुझसे कुछ बोलो उससे पहले मैं तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूं। तो मैडम ने कहा कि “जब हम दोनो एक दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं तो फ़िर आजसे तुम मुझे मैडम नहीं बल्कि शिल्पा बोलोगे। और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो इसलिये मुझे मैडम सुनना अच्छा नहीं लगता।” मैं राज़ी हो गया।
फ़िर शिल्पा ने कहा कि तुम कुछ पूछ रहे थे तो मैने बहुत हिम्मत कर के कहा कि शिल्पा …। फ़िर मैं चुप हो गया और आधी बात में ही रुक गया। तो शिल्पा बोली क्या बात है और मैने कुछ नहीं कहा। फ़िर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली कहो ना नहीं तो मुझसे बात मत करना और मुझसे ट्युशन भी मत पढ़ने आना। मैने फ़िर कहा कि तुम बुरा तो नहीं मानोगी तो उसने कहा नहीं फ़िर मैं बोला कि तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नहीं करता। ऐसा केहने पर शिल्पा चुप हो गयी और मेरी तरफ़ आश्चर्य से देखी। मैं डर गया था और मैने उसे सोरी कहा तो उसने कहा कि तुम्हे सोरी नहीं बल्कि मुझे तुम्हे थैंक्स कहना चाहिये। तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नहीं। और उसने मुझे मेरे गाल पर एक किस दिया। फ़िर हमने साथ में डिनर किया और मैं अपने घर चला गया।
फ़िर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन शिल्पा के घर गया मगर वो घर में दिखाई नहीं दे रही थी। मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कहीं नहीं थी फ़िर मैने एक बाथरूम का गेट खोला और मैने वो देखा जो मैने कभी सोचा भी नहीं था। बाथरूम का गेट लोक नहीं था और जैसे ही मैने गेट खोला तो देखा कि शिल्पा अपने बाथरूम के कमोड पेन में बैठी थी। उसका गाउन, ब्रा और पेंटी पास ही में रखी थी। वो एक दम न्युड थी और उसने अपने लेफ़्ट हैंड की तीन उंगलियां अपनी चूत में घुसा रखी थी और राइट हैंड से अपनी चूची को दबा रही थी। उसकी आंखें बंद थी और वो मज़ा ले रही थी। मैं करीब ५ मिनट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा। मेरा लंड पूरा खड़ा और हार्ड हो गया था और मेरा मन कर रहा था कि अभी उसे चोद दूं। मगर मैने अपने आप को सम्भाल कर रखा। कुछ देर बाद मैने कहा “शिल्पा – यह क्या!” शिल्पा बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ़ देखती हुई अपने रूम में चली गयी। मैं होल में एक सोफ़े पर बैठ गया।
teacher ki biwi ki class li teacher sexy story
मखमली बदन की मालकिन शिल्पा मैम
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आयी और मेरे पास बैठ गयी और कहने लगी “तुम्हे क्या पता एक शादी शुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है। सेक्स तो हर एक को चाहिये” और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी। फ़िर मैने उसे सम्भाला। फ़िर उसने मुझे यह बात किसी से नहीं कहने को कहा, उसके पति से भी नहीं। मैं राज़ी हो गया। फ़िर मैने कहा कि अगर तुम्हे सेक्स कि इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूं। ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी और मुझे फ़िर से एक चुम्मी दी और कहा “सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे। और मेरे पति को भी नहीं बताओगे। तुम कितने अच्छे हो”। ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाहों में दबाने लगा। और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे। फ़िर मैं जाने की लिये उठने लगा तो उसने कहा कहां जा रहे और। मुझे कब प्यार करोगे। मैने कहा मैं शाम को ८ बजे आउंगा। और फ़िर चला गया।
मैं शाम को उसके घर पहुंचा और अंदर गया तो देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी है। उसकी बड़ी बड़ी चूची उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रही थी। उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था। क्योंकि वो शादी शुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा भरा था। और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी। उसकी कमर बड़ी बड़ी थी और गोल भी थी। वो पूरी गोरी नहीं थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था। वो बहुत ही सुंदर और गरम औरत थी। उसका होंठ बड़े बड़े और आंख मोटी मोटी थी। उसकी उंगली लम्बी लम्बी थी। वो सर से पैर तक चोदने लायक थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिये बिल्कुल तैयार है।
वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और अपना बेडरूम लोक कर लिया। उसके बाल खुले थे। मैने उसे कहा, कि आज मैं उसे हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गरमी को थंडा कर दूंगा। वो मुस्कुरा कर बोली चलो देखते हैं। उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और गरम हो गया। और मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमने लगा। फ़िर मैने उसे बेड पर बिठाया और उसके पेट पर अपना हाथ फ़ेरने लगा। वो भी फ़िर जोश में आने लगी और मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी। मैने उसकी चूंचियों को अपने एक हाथ से जोर से पकड़ लिया और दबाने लगा। वो पहले तो थोड़ा दर्द से कंराहने लगी फ़िर शांत हो गयी और मैं उन्हे दबाता रहा और ऐसा करते करते उसके साड़ी के पल्लू को ऊपर से गिरा दिया। और धीरे धीरे उसकी साड़ी खोल दी। वो अपने लहंगे में और ब्लाउज में थी। फ़िर उसने मेरे शर्ट और पैंट को उतार दिया। मैं सिर्फ़ अंडरपैंट में था। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर सो गयी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी। उसके ऐसा करने पर मुझे लगा कि ये पूरी अनुभवी है।
और मुझे फ़िर उसके चूत की गर्मी का भी अंदाजा हो गया। वो मुझे कुछ देर तक चूमती रही और कहा कि तुम मेरी चूची का मज़ा नहीं लेना चाहते और ऐसा कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूची को देख कर मैं हैरान रह गया। उसके निप्पल ब्राउन रंग की थे और उसकी चूची का रंग बिल्कुल गोरा था। मैने उसे एकबार में बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसकी एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा। वो ज़ोर से आहैं भरने लगी और मुझे और ज़ोर से दबाने को कहा। मैने ऐसा ही किया। उसने मेरे सिर को पीची से पकड़ कर जोर से अपनी चूची पर रगड़ने लगी। ऐसा लगता था जैसे वो अपनी पूरी चूची मेरे मुंह में भर देना चाहती हो। कुछ देर बाद मैने उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर फ़ेंक दिया।

दो ठरकी बुड्ढ़े और मैं बेचारी – II

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मेरी योनि गीली होने लगी। मुझे लग गया कि आज इन बूढो से अपना दामन बचाकर निकलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है। सोनी जी अपने हाथों से मेरी कक्षी को एक ओर सरका कर मेरे एक नितंब को सहलाने लगे। सोनी जी ने मेरे दोनो नितंब सहलाने और मसलने के बाद अब उंगलिया मेरी कक्षी के भीतर डालने की कोशिश करने लगे। मैं उनके चंगुल से निकलने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी। मुझे लग रहा था मानो उनका ये किस सारी जिंदगी ख़त्म नही होगा लेकिन उन्होने आख़िर में मुझे आज़ाद कर ही दिया। मैं उनकी गोद में बैठे बैठे ही लंबी लंबी साँसे लेने लगी। अपने हार्ट बीट्स को कंट्रोल करने लगी जो कि किसी राजधानी एक्सप्रेस की तरह दौड़ा जा रहा था।गुप्ता अंकल ने मेरी बाहों के नीचे से हाथ ले जाकर मेरे बदन को ठीक मेरे बूब्स के नीचे से पकड़ा। जिससे मेरे बड़े बड़े बूब्स सोनी अंकल की तरफ उँचे हो गये। सोनी अंकल ने ये देखकर मेरे बूब्स की चोटियों पर एक एक किस दिया। गुप्ता अंकल ने मुझे उनकी गोद से उठाया।
” सोनी उठ अब मेरी बारी है।”
मैं उनके सामने सिर झुकाए हुए खड़ी थी। सोनी अंकल चेयर से उठ गये। उन की जगह गुप्ता अंकल कुर्सी पर बैठ गये। मैं वापस अपने पैरों को फैला कर उनकी गोद में जा बैठी। मैने अपने होंठ अब गुप्ता अंकल के होंठों पर लगा दिए। इनके मुँह से सोनी अंकल की तरह मिंट की स्मेल नही बल्कि बियर की बदबू आ आ रही थी। मैने अपनी साँस को रोक कर उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। गुप्ता अंकल के सीने से अब मेरे उँचे उँचे शिखर दबे हुए छटपटा रहे थे। सोनी अंकल मेरे पीछे ज़मीन पर बैठ गये और मेरी पेंटी के दोनो टाँगों के बीच के जोड़ को खींच कर तोड़ दिया। मेरी पेंटी के दोनो पल्ले अलग हो कर मेरे कमर से झूल रहे थे। उन्होंने मेरे निवस्त्र नितंबों के ऊपर से पेंटी के झूलते टुकड़े को ऊपर उठा कर मेरे नितंबों पर अपने होंठ लगा दिए। उनके होंठ अब मेरे नितंबों पर फिर रहे थे। कंदार अंकल के हाथ मेरे टॉप को ऊपर उठा कर मेरी नग्न पीठ पर हाथ फिराने लगे। उनके हाथ मेरे ब्रा के हुक पर आकर ठहरे और मेरे ब्रा के हुक को खोल कर मेरे बूब्स को आज़ाद कर दिया। फिर सामने की तरफ हाथ लाकर मेरे ब्रा को सीने से ऊपर कर के मेरे नग्न बूब्स को अपने हाथों में लेकर मसलने लगे। मेरे बूब्स को बुरी तरह मसलते हुए मेरे खड़े हो चुके निपल्स को अपनी उंगलियों के बीच लेकर ज़ोर ज़ोर से दबाने और खींचने लगे। मेरे मुँह से कराह की आवाज़ निकल कर उनके होंठों के बीच क़ैद हो जा रही थी।
उधर सोनी अंकल की जीभ अब मेरी योनि के दोनो ओर फिर रही थी। गुप्ता अंकल ने बैठे बैठे अपने दोनो पैरों को फैला दिया था जिसके कारण मेरे पैर भी फैल गये थे और मेरी योनि अब सोनी अंकल की हरकतों के लिए बेपर्दा थी। मैं उनकी हरकतों से गर्म हो गयी थी। अब मेरा अंग अंग छटपटा रहा था इनके लंड के लिए। कुछ देर तक इसी तरह मुझे किस करते रहने के बाद हम तीनो उठे। दोनो ने सबसे पहले मुझे पूरी तरह नग्न किया। मैंने उनका किसी तरह भी विरोध किए बिना उनके काम में मदद की जब मैं पूरी तरह नग्न हो गयी तो मैने पहले सोनी अंकल के और उसके बाद गुप्ता अंकल के सारे कपड़े उतार दिए। मैने पहली बार दोनो के लिंग को देखा। दोनो के लिंग इस उम्र में भी किसी 30 साल के नौजवान से बड़े और मोटे ताजे थे। सोनी अंकल का लिंग तो पूरी तरह ताना हुआ झटके खा रहा था। उनके लिंग से एक एक बूँद लासा निकल रहा था। गुप्ता अंकल का लिंग अभी तक पूरी तरह खड़ा नही हुआ था। मैने दोनो के लिंग अपने हाथों से थाम लिए और बारी बारी से दोनो के लिंग के टिप को अपने होंठों से चूमा। उनके लिंग को सहलाते हुए मैने नीचे लटकते हुए उनकी गेंदों को भी अपनी मुट्ठी में भर कर सहलाया।फिर हम तीनो बेड रूम की ओर बढ़े मानो हमारे बीच पहले से ही तय हो की अब क्या होने वाला है। बेडरूम में जाकर मैं पलंग पर लेट गयी। अपने हाथों को उठा कर मैने उन्हे बुलाया। दोनो कूद कर बिस्तर पर चढ़ गये।
” एक एक करके।” मैने दोनो से कहा।”ठीक है” कहते हुए सोनी अंकल मेरी टाँगों के बीच आ गये और उन्होंने अपने हाथों से मेरी दोनो टाँगों को फैलाया। फिर आगे बढ़कर झुकते हुए मेरी योनि पर अपने होंठ रख दिए। उनकी जीभ पहले मेरी योनि के ऊपर फिरी फिर उन्होंने अपने हाथों से मेरी योनि की फांकों को अलग किया और मेरी रस टपकाती हुई योनि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगे। मैं उत्तेजना में उनके अधपके बालो को सख्ती से अपनी मुट्ठी में भर कर उनके मुँह को अपनी योनि पर दबा रही थी। साथ साथ अपनी कमर को ऊपर उठाकर उनके जीभ को जितना अंदर तक हो सके उतना अंदर घुसा लेना चाहती थी। इस प्रकार का सेक्स मैने पहले कभी महसूस नही किया था। राहुल के लिए सेक्स भी एक तरह से ऐसा काम था जिसे पूरी गंभीरता से अपनी मर्यादा में रहकर करना चाहिए। जब की सेक्स चीज़ ही ऐसी है की इसमें जितनी सीमाओं का उल्लंघन होता है उतना ही मज़ा आता है।
do tharki buddhe aur mai bechari sex hindi stories
अंकल का बुड्ढा लंड मेरे मुंह में..
“आआआआअहह….म्*म्म्ममममममम म………उंकलीईई…….ऊऊफोफ़ फ्फूफ्फ………नहियीईईईई…….म्*म्म्मममममाआआ………क्य्आअ काआरररर रहीई हूऊऊऊओ…..चछूड्डू………मुझीईए”इस तरह की आवाज़ें मेरे मुँह से निकल रही थी।गुप्ता अंकल कुछ देर तक हम दोनो के खेल देखते रहे। उनका लिंग पूरी तरह तन चुका था। पूरी तरह तना हुआ उनका लिंग काफ़ी मोटा और लंबा था। वो अपने लिंग को हाथों में लेकर सहला रहे थे। मुझे उनपर दया आ गयी और मैने हाथ बढ़ा कर उनके लिंग को अपने हाथों में थाम लिया। अब मैं अपने हाथों से उनके लिंग को सहला रही थी। मेरी आँखें उत्तेजना से बंद हो गयी थी। गुप्ता अंकल मेरे बूब्स को सहला रहे थे। फिर उन्होंने झुक कर मेरे निपल को अपने मुँह में भर लिया और हाथों से उस बूब को मसलते हुए मेरे निपल को चूसने लगे। मानो मेरे स्तन से दूध पी रहे हों।अचानक मेरे बदन में ऐसा लगा मानो किसी ने बिजली का तार छुआ दिया हो। मैं ज़ोर से तड़पी और मेरी योनि से रस बह निकला। मैं खल्लास हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी। अब गुप्ता अंकल ने आगे बढ़ कर मेरे सिर को बालो से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने लिंग को रगड़ने लगे।
” ले मुँह खोल। इसे मुँह में लेकर चूस” मैने अपना मुँह खोल दिया और उनका मोटा लिंग मेरे मुँह में घुस गया। मैने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ रखा था जिससे एक बार में पूरा लिंग मेरे मुँह में ना ठूंस दें। पहले वो धीरे धीरे अपने कमर से धक्के मार रहे थे लेकिन कुछ ही देर में उनके धक्कों की गति बढ़ती गयी। वो अब ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह में धक्के लगाने लगे। मेरे हाथ को अपने लिंग से उन्होंने हटा दिया जिससे उनका लिंग जड़ तक मेरे मुँह में घुस सके। उनका लिंग मेरे मुँह को पार करके मेरे गले के अंदर तक घुस रहा था। लेकिन आगे कहीं फँस जाने के कारण लिंग का कुछ भाग बाहर ही रह रहा था। मैं चाह रही थी की वो मुँह में ही खल्लास हो जाए जिससे मेरी योनि को करने लायक दम नही बचे। लेकिन उनका इरादा तो कुछ और ही था।” सोनी तू रुक क्यों गया फाड़ दे साली की चूत।” गुप्ता अंकल ने कहा। सोनी अंकल कुछ देर सुस्ता चुके थे सो अब वापस मेरी टाँगों के बीच आकर उन्होंने अपने लिंग को मेरी योनि के छेद पर सटाया और एक धक्के में पूरे लिंग को जड़ तक अंदर डाल दिया। अपने लिंग को पूरा अंदर करके वो मेरे ऊपर लेट गये। उनके बॉल्स मेरी योनि के नीचे गाँड़ के छेद के ऊपर सटे हुए थे। मैने उनके लिंग को अपनी योनि में काफ़ी अंदर तक महसूस किया। गुप्ता अंकल मेरे मुँह में अपना लिंग ठूंस कर धक्के मारना कुछ समय के लिए भूल कर सोनी अंकल के लिंग को मेरी योनि के अंदर घुसता हुआ देख रहे थे। फिर दोनो एक साथ धक्के लगाने लगे। दोनो दो तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे। मेरा बदन दोनो के धक्कों से बीच में आगे पीछे हो रहा था। कुछ देर इसी तरह करने के बाद गुप्ता अंकल का लिंग फूलने लगा। मुझे लगा की अब उनका रस निकलने वाला ही है। मैं उनके लिंग को अपने मुँह से उगल देना चाहती थी लेकिन उन्होंने खुद ही अपना लिंग मेरे मुँह से निकाल लिया। वो मेरे मुँह में नही शायद मेरी चूत में अपना रस डालना चाहते थे। दो मिनिट अपने उत्तेजना को काबू में कर के वो सोनी अंकल के करीब आए।
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” सोनी ऐसे नही दोनो एक साथ करेंगे।” गुप्ता अंकल ने कहा।” दोनो कैसे करेंगे एक साथ।” सोनी अंकल ने मेरी योनि में ठोकते हुए कहा। ” मैं इसकी गाँड़ में डालता हू और तू इसकी चूत फाड़” कह कर गुप्ता अंकल मेरे बगल में लेट गये। सोनी अंकल ने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया।मैं बिस्तर से उठी। मैने देखा की गुप्ता अंकल का मोटा लंड छत की ओर ताने हुए खड़ा है।” आजा मेरे ऊपर आजा।” गुप्ता अंकल ने मुझे बाँह से पकड़ कर अपने ऊपर खींचा। मैं उठ कर उनके कमर के दोनो ओर पैर रख कर बैठ गयी। उन्होंने मेरी दोनो नितंबों को अलग कर मेरे आस होल के ऊपर अपना लिंग टिकाया।” अंकल मैने कभी इसमें नही लिया। बहुत दर्द होगा। ” मैने उनसे हल्के से मना किया। मुझे मालूम था की मेरे मना करने पर भी दोनो में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नही होगा।
मुझे कमर से पकड़ कर उन्होंने नीचे खींचा। लेकिन उसका लिंग थोड़ा भी अंदर नही घुस पाया।” सोनी तेल लेकर आ। साली इस होल में अभी भी कुँवारी है। काफ़ी टाइट छ्ल्ला है।”सोनी अंकल बिस्तर से उतर कर किचन में जाकर एक तेल की कटोरी ले आए। गुप्ता अंकल ने ढेर सारा तेल अपने लिंग पर लगाया और एक उंगली से कुछ तेल मेरे गुदा के अंदर भी लगाया। एक उंगली जाने से ही मुझे दर्द होने लगा था। मैं “आआहह” कर उठी।वापस उन्होंने मेरे दोनो चूतरों को अलग करके मेरे गुदा द्वार पर अपना लिंग सेट करके मुझे नीचे की ओर खींचा। इसमें सोनी अंकल भी मदद कर रहे थे। मेरे कंधे पर अपना हाथ रख कर मुझे नीचे की ओर धकेल रहे थे। मुझे लगा मानो मेरी गुदा फट जाएगा। लेकिन इस बार भी उनका लिंग अंदर नही जा पाया। अब उन्होंने मुझे उठा कर चौपाया बनाया और पीछे से मेरे छेद पर अपना लिंग टीका कर एक ज़ोर का धक्का मारा। दर्द से मेरी चीख निकल गयी। लेकिन इस बार उनके लिंग के आगे का सूपाड़ा अंदर घुस गया। मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गई-“उईईईईईई माआआआआ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गैईईईईईईईईईईईईईईईईई””माआआअ…………ऊऊऊफफफफफफफफ्फ़……माआआअ” मैं कराह उठी।
धीरे धीरे उनके लिंग में हरकत आ गयी और वो मेरी गुदा के अंदर आगे पीछे होने लगी। धीरे धीरे दर्द भी कम हो गया। कुछ देर बाद मैने अपने हाथ से छू कर देखा तो पाया उनका लिंग पूरा मेरे होल में समा चुका था। अब इसी तरह मेरे गुदा में धक्के मारते हुए उन्होंने मेरी कमर को अपनी बाहों में लिया और पीछे की ओर लुढ़क गये। अपनी गुदा में उनका लिंग लिए-लिए ही मैं उनके ऊपर लेट गयी। अब सोनी अंकल ने मेरी टाँगों को उठा कर मेरे सीने पर मोड़ दिया। इससे मेरी चूत उनके सामने हो गयी। उन्होंने अब मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरे अंदर अपना लिंग प्रवेश कर दिया। अब दोनो आगे और पीछे से मेरे दोनो होल में धक्के मारने लगे। मैं उनके बीच में सॅंडविच बनी हुई थी। दोनो इस तरह ज़्यादा देर नही कर पाए। कुछ ही देर में गुप्ता अंकल ने अपना रस मेरी गुदा के अंदर डाल दिया और नीचे से निकल कर अलग हो गये। अब सोनी अंकल ही सिर्फ़ धक्के लगा रहे थे। काफ़ी देर तक धक्के देने के बाद उनके लिंग ने मेरी योनि में पिचकारी की तरह रस छोड़ दिया। हम तीनो अब बिस्तर पर लेटे लेटे हाँफ रहे थे। गुप्ता अंकल उठ कर फ्रीज से ठंडे पानी की बॉटल निकाल कर ले आए। हम तीनो अपनी अपनी प्यास बुझा कर थोड़े शांत हुए। मगर मैं इतनी जल्दी शांत होने वाली थी नही। मैं दोनो के लिंग सहला कर वापस उन्हे उत्तेजित कर रही थी। दोनो शांत पड़े हुए थे। मुझे गुस्सा तो तब आया जब मैने गुप्ता अंकल के ख़र्राटों की आवाज़ सुनी।
” क्या अंकल इतनी जल्दी सो गये क्या।” मैने उन्हे हिलाया मगर उनकी आँख नही खुली।” चल छोड़ इन्हे। मैं हूँ ना। तू तो मेरे लिंग से खेल। ” कह कर वो मेरे बूब्स को मसल्ने लगे। मैं करवट बदल कर पूरी तरह उनके बदन के ऊपर लेट गयी। मेरा सिर उनके बालों भरे सीने पर रखा हुआ था चूचिया उनके छाती की ऊपर चपटी हो रही थी। और योनि के ऊपर उनका लिंग था। इसी तरह कुछ देर हम लेटे रहे। फिर मैने अपनी दोनो कोहनी को मोड़ कर उनके सीने पर रखी और उसके सहारे अपने चेहरे को उठाया। कुछ देर तक हमारी नज़रें एक दूसरे में खोई रही फिर मैने पूछा।”अब तो आपकी मुराद पूरी हो गयी?” मैने पूछा” हां… जब से तुम इस बिल्डिंग में रहने आई हो मैं तो बस तुम्हे ही देखता रहता था। रात को तुम्हारी याद कर के करवटें बदलता रहता था। लेकिन तुम मेरी बहू के उम्र की थी इसलिए मुझमें साहस नही हो पाता था कि मैं तुम्हे कुछ कहूँ।…… मुझे क्या मालूम था कि गीदड़ की किस्मत में कभी अंगूर का गुच्छा टूट कर भी गिर सकता है।””एक बात बताओ? अंजलि भी तो इतनी खूबसूरत और सेक्सी है। उसे चोदा है कभी?” मैने उन्हे उनकी पुत्रवधू के बारे में पूछा।”नही, कभी मौका ही नही मिला। एक बार कोशिश की थी। लेकिन उसने इतनी खरी खोटी सुनाई की मेरी पूरी गर्मी शांत हो गयी। उसने नवीन से शिकायत करने की धमकी दी थी। इसलिए मैने चुप रहना ही उचित समझा।””बेचारी…उसे क्या मालूम कि वो क्या मिस कर रही है।” मैने उनके हल्के हल्के से उभरे निपल्स पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा।
फिर हम दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे बिस्तर से उठाया और अपने साथ लेकर ड्रेसिंग टेबल के पास गये। मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा करके मेरे बदन से पीछे की ओर से लिपट गये। हम दोनो एक दूसरे में हमारे गूँथे हुए अक्स देख रहे थे। मुझे बहुत शर्म आ रही थी। उनके हाथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे, मेरे निपल्स को खींच रहे थे, मेरी योनि में उंगलियाँ डाल कर अंदर बाहर कर रहे थे। मैने महसूस किया कि उनका लिंग अब वापस खड़ा होने लगा है। फिर वो मुझे लेकर बिस्तर के किनारे पर आकर मुझे झुका दिया। उनके झुकने से मैं बिस्तर पर सोए हुए गुप्ता अंकल पर झुक गयी थी। मेरे पैर ज़मीन पर थे। पीछे से सोनी अंकल ने अपने लिंग को मेरे योनि के द्वार पर सेट किया। एक धक्का देते ही उनका लिंग योनि में घुस गया। अब तो योनि में घुसने में उसे कोई भी तकलीफ़ नही हुई। वो पीछे से धक्के लगाने लगे। साथ साथ वो अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को भी मसल रहे थे। मेरा सिर गुप्ता अंकल के लिंग के कुछ ऊपर हिल रहा था। मैने एक हाथ से उनके ढीले पड़े लिंग को खड़ा करने की नाकाम कोशिश की मगर मेरे बहुत चूसने और सहलाने के बाद भी उनके लिंग में कोई जान नही आई। सोनी अंकल ने उसी तरह से काफ़ी देर तक धक्के मारे। मेरा वापस रस बह निकला। मैं निढाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी। सोनी अंकल ने अपने हाथों से पकड़ कर मेरी कमर को अपनी ओर खींचा और वापस धक्के मारने लगे। कुछ ही देर में उनका भी रस निकल गया। हम वापस बिस्तर पर आकर सो गये। सुबह सबसे पहले गुप्ता अंकल की नींद खुली। मैने अपने शरीर पर उनकी कुछ हरकत महसूस की तो मैने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा की वो मेरी टाँगों को अलग कर के मेरी योनि को देख रहे थे। मैं बिना हीले दुले पड़ी रही। कुछ देर बाद वो मेरे निपल्स को चूसने लगे। उनके चूसे जाने पर नरम पड़े निपल्स फिर से खड़े होने लगे। कुछ देर बाद वो उठ कर मेरे सीने के दोनो तरफ अपनी टाँगे रख कर मेरे दोनो बूब्स के बीच अपने लिंग को रखा फिर मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर अपने लिंग को उनके बीच दाब लिया फिर अपने कमर को आगे पीछे करने लगे। मानो वो मेरी दोनो चूचियो के बीच की खाई नही होकर मेरी योनि हो। उनकी हरकतों से मुझे भी मज़ा आने लगा। मैं भी फिर से गर्म होने लगी। लेकिन मैने उसी तरह से पड़े रहना उचित समझा।
कुछ देर बाद वो उठ कर मेरे दोनो टाँगों के बीच आ गये। अब तक उनके उस मोटे लिंग को मैने अपनी योनि में नही लिया था। मैं उनके लिंग का अपनी योनि में इंतजार करने लगी। वो शायद जान गये थे कि मैं जाग चुकी हूँ इसलिए वो मेरी योनि और गुदा के ऊपर अपने लिंग को कुछ देर तक फिराते रहे। मैं हार मान कर अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी। लेकिन उन्होंने अपने लिंग को मेरी योनि से हटा लिया। मैने तड़प कर उनके लिंग को अपने हाथों में थाम कर अपनी योनि में डाल लिया। उनके लिंग को लेने एक बार में हल्की सी दर्दीली चुभन महसूस हुई लेकिन उसके बाद उनके धक्कों से तो बस आनंद आ गया। मैं भी उनका पूरी तरह सहयोग देने लगी। वो मेरे ऊपर लेट गये। उनके होंठ मेरे होंठों पर फिरने लगे। उनके मुँह से बासी मुँह की बदबू आ रही थी। लेकिन इस समय उस बदबू की किसे परवाह थी। मुझे तो सिर्फ़ उनके धक्के याद रहे। काफ़ी देर इसी तरह करने के बाद उन्होंने अपना रस छोड़ दिया।तब तक सोनी अंकल भी उठ गये थे। वो भी हम दोनो के साथ हो लिए। शाम तक इसी तरह खेल चलते रहे। हम तीनो एक दूसरे को हराने की पूरी कोशिश में लगे हुए थे। उस दिन उन बूढो ने मुझे वो मज़ा दिया जिस की मैने कभी कल्पना भी नही की थी। गुप्ता अंकल के साथ फिर तो कभी सहवास का दुबारा मौका नही मिला लेकिन जब तक मैं उस अपार्टमें ट में रही तब तक मैं सोनी अंकल से चुदवाती रही। आखिर दोंनों ही एक नम्बर के हरामी बूढ़े थे।

Thursday, September 15, 2016

दो ठरकी बुड्ढ़े और मैं बेचारी


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कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसमें आदमी खूद-ब-खुद खिंचता चला जाता है। चाहे वो चाहे या न चाहे। आदमी कितना भी समझदार हो लेकिन कभी-कभी उसकी समझदारी उसे ले डूबती है। ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई थी। जिसे आज तक मेरे अलावा कोई नही जानता है। आज मैं यही sex hindi story आपसे शेयर करती हूँ-
मैं कोमल, मेरे पति का नाम है राहुल, उम्र 32 साल, मुम्बई के विले पारले में रहती हूँ। मेरे पति एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में काम करते हैं। मैं भी एक छोटी सी सॉफ्टवेर कंपनी में काम करती हूँ। ये बात काफ़ी साल पहले की है तब हम शहर से दूर मलाड के पास एक फ्लैट में रहते थे। हमारी शादी उसी फ्लैट में हुई थी। मीया बीवी अकेले ही उस फ्लैट में रहते थे। उस फ्लैट में हमसे ऊपर एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक जवान कपल थे नाम था अंजलि और नवीन। उनके कोई बच्चा नही था। साथ में उनके ससुर जी भी रहते थे। उनकी उम्र कोई 60 साल के आस पास थी उनका नाम महेश सोनी था मैं अंजलि से बहुत जल्दी काफ़ी घुल मिल गयी। अक्सर वो हमारे घर आती या मैं उसके घर चली जाती थी। मैं अक्सर घर में स्कर्ट और टी शर्ट में रहती थी। मैं स्कर्ट के नीच छोटी सी एक कक्षी पहनती थी। मगर टी शर्ट के नीचे कुछ नही पहनती थी। इससे मेरे बड़े बड़े बूब्स हल्की हरकत से भी उछल उछल जाते थे। मेरे निपल्स टी शर्ट के बाहर से ही सॉफ सॉफ नज़र आते थे।
अंजलि के ससुर का नाम मैं जानती थी। उन्हे बस सोनी अंकल कहती थी। मैने महसूस किया सोनी अंकल मुझ में कुछ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेते थे। जब भी मैं उनके सामने होती उनकी नज़रें मेरे बदन पर फिरती रहती थी। मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। मैं उनकी बहू की उम्र की थी मगर फिर भी वो मुझ पर गंदी नियत रखते थे। लेकिन उनका हँसमुख और लापरवाह स्वाभाव धीरे धीरे मुझ पर असर करने लगा। धीरे धीरे मैं उनकी नज़रों से वाकिफ़ होती गयी। अब उनका मेरे बदन को घूरना अच्छा लगने लगा। मैं उनकी नज़रों को अपनी चूचियो पर या अपने स्कर्ट के नीचे से झाँकती नग्न टाँगों पर पाकर मुस्कुरा देती थीअंजलि थोड़ी आलसी किस्म की थी इसलिए कहीं से कुछ भी मंगवाना हो तो अक्सर अपने ससुर जी को ही भेजती थी। मेरे घर भी अक्सर उसके ससुर जी ही आते थे। वो हमेशा मेरे संग ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारने की कोशिश में रहते थे। उनकी नज़रे हमेशा मेरी टी शर्ट के गले से झाँकते बूब्स पर रहती थी। मैं पहनावे के मामले में थोड़ा बेफ़िक्र ही रहती थी। अब जब भगवान ने इतना सेक्सी शरीर दिया है तो थोड़ा बहुत एक्सपोज़ करने में क्या हर्ज़ है। वो मुझे अक्सर छुने की भी कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हे ज़्यादा लिफ्ट नही देती थी।
अब असल घटना पर आया जाय। अचानक खबर आई कि मम्मी की तबीयत खराब है। मैं अपने मायके इन्दौर चली आई। उन दिनो मोबाइल नही था और टेलिफोन भी बहुत कम लोगों के पास होते थे। कुछ दिन रह कर मैं वापस मुंबई आ गयी। मैने राहुल को पहले से कोई सूचना नही दी थी क्योंकि हमारे घर में टेलिफोन नही था। मैं शाम को अपने फ्लैट में पहुँची तो पाया की दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। वहीं दरवाजे के बाहर समान रख कर राहुल का इंतजार करने लगी। राहुल शाम 8 बजे तक घर आ जाता था। लेकिन जब 9 हो गये तो मुझे चिंता सताने लगी। फ्लैट में ज़्यादा किसी से जान पहचान नही थी। मैने अंजलि से पूछने का विचार किया। मैने ऊपर जा कर अंजलि के घर की कालबेल बजाई। अंदर से टी.वी. चलने की आवाज़ आ रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। मैने देखा सामने सोनी जी खड़े हैं।” नमस्ते…वो अंजलि है क्या?” मैने पूछा।” अंजलि तो नवीन के साथ हफ्ते भर के लिए गोवा गयी है घूमने। वैसे तुम कब आई?”” जी अभी कुछ देर पहले। घर पर ताला लगा है राहुल…?”” राहुल तो गुजरात गया है अफीशियल काम से कल तक आएगा।” उन्होंने मुझे मुस्कुरा कर देखा- “तुम्हे बताया नही”” नही अंकल उनसे मेरी कोई बात ही नही हुई। वैसे मेरी प्लानिंग कुछ दिनो बाद आने की थी।””तुम अंदर तो आओ” उन्होंने कहा मैं असमंजस सी अपनी जगह पर खड़ी रही।
“अंजलि नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ। तुम अंदर तो आओ।” कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींचा। मैं कमरे में आ गयी। उन्होंने आगे बढ़ कर दरवाजे को बंद करके कुण्डी लगा दी। मैने झिझकते हुए ड्रॉयिंग रूम में कदम रखा। जैसे ही सेंटर टेबल पर नज़र पड़ी मैं थम गयी। सेंटर टेबल पर बियर की बॉटल्स रखी हुई थी। आस पास स्नॅक्स बिखरे पड़े थे। एक सिंगल सोफे पर गुप्ता अंकल बैठे हुए थे। उनके एक हाथ में बियर का गिलास था। जिसमें से वो हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहे थे। मैं उस महौल को देख कर चौंक गयी। सोनी अंकल ने मेरी झिझक को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा-” अरे घबराने की क्या बात है। आज भारत-पाकिस्तान मैच चल रहा है ना। सो हम दोनो दोस्त मैच को एंजाय कर रहे थे।” मैने सामने देखा टीवी पर भारत-पाकिस्तान का मैच चल रहा था। मेरी समझ में नही आ रहा था कि मेरा क्या करना उचित होगा। यहाँ इनके बीच बैठना या किसी होटेल में जाकर ठहरना। घर के दरवाजे पर इंटरलॉक था इसलिए तोडा भी नही जा सकता था। मैं वहीं सोफे पर बैठ गयी। मैने सोचा मेरे अलावा दोनो आदमी बुजुर्ग हैं इनसे डरने की क्या ज़रूरत है। लेकिन रात भर रुकने की बात जहाँ आती है तो एक बार सोचना ही पड़ता है। मैं इन्ही विचारों में गुमसुम बैठी थी लेकिन उन्होंने मानो मेरे मन में चल रहे उथल पुथल को भाँप लिया था।
“क्या सोच रही हो? कहीं और रुकने से अच्छा है रात को तुम यहीं रुक जाओ। तुम अंजलि और नवीन के बेड रूम में रुक जाना मैं अपने कमरे में सो जाउन्गा। भाई मैं तुम्हे काट नही लूँगा। अब तो बूढ़ा हो गया हूँ। हा..हा..हा..”उनके इस तरह बोलने से महौल थोड़ा हल्का हुआ। मैने भी सोचा कि मैं बेवजह एक बुजुर्ग आदमी पर शक कर रही हूँ। मैं उनके साथ बैठ कर मैच देखने लगी। भारत बैटिंग कर रही थी। खेल काफ़ी काँटे का था इसलिए रोमांच पूरा था। मैने देखा दोनो बीच बीच में कनखियों से स्कर्ट से बाहर झाँकती मेरी गोरी टाँगों को और टी शर्ट से उभरे हुए मेरे बूब्स पर नज़र डाल रहे थे। पहले पहले मुझे कुछ शर्म आई लेकिन फिर मैने इस ओर गौर करना छोड़ दिया। मैं सामने टीवी पर चल रहे खेल का मज़ा ले रही थी। जैसे ही कोई आउट होता हम सब खुशी से उछल पड़ते और हर शॉट पर गलियाँ देने लगते। ये सब भारत-पाकिस्तान मैच का एक कामन सीन रहता है। हर बॉल के साथ लगता है सारे हिन्दुस्तानी खेल रहे हों।कुछ देर बाद सोनी अंकल ने पूछा, “कोमल तुम कुछ लोगी? बियर या जिन…?”मैने ना में सिर हिलाया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने पर मैने कहा, “बियर चल जाएगी….”उन्होंने एक बॉटल ओपन कर के मेरे लिए भी एक गिलास भरा फिर हम “चियर्स” बोल कर अपने अपने गिलास से सीप करने लगे।सोनी अंकल ने दीवार पर लगी घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा” अब कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम किया जाय”-उन्होने मेरे चेहरे पर निगाह गढ़ाते हुए कहा-” तुमने शाम को कुछ खाया या नही?”मैं उनके इस प्रश्न पर हड़बड़ा गयी- ” हां मैने खा लिया था।””तुम जब झूठ बोलती हो तो बहुत अच्छी लगती हो। पास के होटेल से तीन खाने का ऑर्डर दे दे और बोल कि जल्दी भेज देगा” गुप्ता अंकल ने फोन करके खाना मंगवा लिया। एक गिलास के बाद दूसरा गिलास भरते गये और मैं उन्हे सीप कर कर के ख़तम करती गयी। धीरे धीरे बियर का नशा नज़र आने लगा। मैं भी उन लोगों के साथ ही चीख चिल्ला रही थी, तालियाँ बजा रही थी।
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गुप्ता अंकल मेरे बूब्स चूसते हुए
कुछ देर बाद खाना आ गया । हमने उठकर खाना खाया फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गये। सोनी अंकल और गुप्ता अंकल अब बड़े वाले सोफे पर बैठे। वो सोफा टीवी के ठीक सामने रखा हुआ था। मैं दूसरे सोफे पर बैठने लगी तो सोनी अंकल ने मुझे रोक दिया-“अरे वहाँ क्यों बैठ रही हो। यहीं पर आजा यहाँ से अच्छा दिखेगा। दोनो सोफे के दोनो किनारों पर सरक कर मेरे लिए बीच में जगह बना दिए। मैं दोनो के बीच आकर बैठ गयी। फिर हम मैच देखने लगे। वो दोनो वापस बियर लेने लगे। मैं बस उनका साथ दे रही थी। बातों बातों में आज मैने ज़्यादा ले लिया था इसलिए अब मैं कंट्रोल कर रही थी जिससे कहीं बहक ना जाउ। आप सब तो जानते ही होंगे कि भारत-पाकिस्तान के बीच मैच हो तो कैसा महौल रहता है। शारजाह के मैदान में मैच हो रहा था। इंडियन कैप्टन था अज़हरुद्दीन।” आज पाकिस्तानी जीतना ही नही चाहते हैं।” सोनी जी ने कहा” ये ऐसे खेल रहे हैं जैसे पहले से सट्टेबाज़ी कर रखी हो।” गुप्ता अंकल ने कहा।”आप लोग इस तरह क्यों बोल रहे हैं? देखना पाकिस्तान जीतेगी।” मैने कहा” हो ही नही सकता। शर्त लगा लो पाकिस्तान हार कर रहेगी” सोनी अंकल ने कहा।तभी एक और छक्का लगा। ” देखा…देखा…. ” सोनी अंकल ने मेरी पीठ पर एक हल्के से धौल जमाया ” मेरी बात मानो ये सब मिले हुए हैं।”
खेल आगे बढ़ने लगा। तभी एक विकेट गिरा तो हम तीनो उछल पड़े। मैं खुशी से सोनी अंकल की जाँघ पर एक ज़ोर की थपकी दे कर बोली “देखा अंकल? आज इनको कोई नही बचा सकता। इनसे ये स्कोर बन ही नही सकता।” मैं इसके बाद वापस खेल देखने में बिज़ी हो गयी। मैं भूल गयी थी कि मेरा हाथ अभी भी सोनी अंकल की जांघों पर ही पड़ा हुआ है। सोनी अंकल की निगाहें बार बार मेरी हथेली पर पड़ रही थी। उन्होंने सोचा शायद मैं जान बूझ कर ऐसा कर रही हूँ। उन्होंने भी बात करते करते अपना एक हाथ मेरा स्कर्ट जहाँ ख़त्म हो रहा था वहाँ पर मेरी नग्न टांग पर रख दिया। मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मैने जल्दी से अपना हाथ उनकी जांघों पर से हटा दिया। उनका हाथ मेरी टाँगों पर रखा हुआ था। कंदार अंकल ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख दी। मुझे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा।अब लास्ट तीन ओवर बचे हुए थे। खेल काफ़ी टक्कर का हो गया था। एक तरफ जावेद मियाँदाद खेल रहा था। लेकिन उसे भी जैसे इंडियन बौलर्स ने बाँध कर रख दिया। खेल के हर बॉल के साथ हम उछल पड़ते। या तो खुशियाँ मनाते या बेबसी में साँसें छोड़ते। उछल कूद में कई बार उनकी कोहनियाँ मेरे बूब्स से टकराई। पहले तो मैने सोचा शायद ग़लती से उनकी कोहनी मेरे बूब्स को छू गयी होगी लेकिन जब ये ग़लती बार बार होने लगी तो उनके ग़लत इरादे की भनक लगी।
आख़िरी ओवर आ गया अज़हर ने बॉल चेतन सोनी को पकड़ाई।” इसको लास्ट ओवर काफ़ी सोच समझ कर करना होगा सामने मियाँदाद खेल रहा है।”” अरे अंकल देखना ये मियाँदाद की हालत कैसे खराब करता है।” मैने कहा “नही जीत सकती पाकिस्तान की टीम नही जीत सकती लिख के लेलो मुझसे। आज भारत के जीतने पर मैं शर्त लगा सकता हूँ।” सोनी अंकल ने कहा।” और मैं भी शर्त लगा सकती हूँ की पाकिस्तान ही जीतेगी” मैने कहा। आख़िरी दो बॉल बचने थे खेल पूरी तरह पाकिस्तान के फेवर में चला गया था।”मियाँदाद कुछ भी कर सकता है। कुछ भी। इसे आउट नही कर सके तो कुछ भी हो सकता है।” सोनी अंकल ने फिर जोश में कहा।” अब तो मियाँदाद तो क्या उसके फरिश्ते भी आ जाएँ ना तो भी इनको हारने से नही बचा सकते।””चलो शर्त हो जाए।” सोनी अंकल ने कहा।
” हां हां हो जाए।।” गुप्ता अंकल ने भी उनका साथ दिया। मैने पीछे हटने को अपनी हार मानी और वैसे भी पाकिस्तान की जीत तो पक्की थी। लास्ट बॉल बचा था और जीतने के लिए दो रन चाहिए थे। पाकिस्तान का जीतना लगभग तय था
“बोलो अब भगोगे तो नहीं। आख़िरी बॉल और मियांदाद। दो रन तो ले ही लेगा।” मैने गर्व से गर्दन अकड़ा कर सोनी जी की तरफ देखा। सोनी अंकल ने अपने कंधे उचकाय कहा कुछ नही। उनको भी लग गया था कि आज पाकिस्तान ही जीतेगी। फील्डर्स सारे जगह पर लगा दिए गये थे। मैने उनसे पूछा-“सोच लो…। अब शर्त लगाओगे क्या। 99% तो पाकिस्तान जीत ही चुकी है।””शर्त तो हम लगाएँगे ही। देखना मियाँदाद बैटिंग कर रहा है। वो पूरी जान लगा देगा।” सोनी अंकल ने अपनी हाथ से फिसलती हुई हेकड़ी को वापस बटोरते हुए कहा।”ठीक है हो जाए शर्त।” कह कर मैने अपने एक हाथ सोनी अंकल के हाथ में दिया और एक हाथ गुप्ता अंकल के हाथ में दिया।”अगर पाकिस्तान जीती तो……………….?” सोनी अंकल ने बात मेरे लिए अधूरी छोड़ दी।
“तो आप दोनो अलग अलग मुझे ट्रीट देंगे। साथ में हम लोगों की फॅमिली भी रहेगी। मक्डोनल्ड्स मे। मंजूर?” मैने उनसे कहा। दोनो ने तपाक से हामी भर दी।”और अगर भारत जीत गयी तो……?”-गुप्ता अंकल ने भी शर्त में शामिल होते हुए कहा।”तो कोमल वही करेगी जो हम दोनो कहेंगे। मंजूर है?” सोनी अंकल ने कहा”क्या करना पड़ेगा?” मैने हंसते हुए पूछा। मैं सोच भी नही पा रही थी कि मैं किस तरह इन दोनो बूढो के चंगुल में फँसती जा रही हूँ।”कुछ भी जो हमें पसंद होगा।” गुप्ता ने कहा।”अरे गुप्ता छोड़ शर्त-वर्त ये लगा नही सकती।” सोनी अंकल ने कहा।
“ठीक है हो जाए शर्त।” कह कर मैने अपना एक हाथ सोनी अंकल के हाथ में दिया और एक हाथ गुप्ता अंकल के हाथ में दिया। दोनो ने अपने हाथ में मेरे हाथों को पकड़ लिया। दोनो मेरे बदन से सॅट गये। मैं दोनो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी। ऐसे महौल में चेतन सोनी ने दौड़ना शुरू किया। कमरे में महौल गर्म हो गया था। कुछ तो मैच के रोमांच से और कुछ हमारे बदन के एक दूसरे से सटने से। चेतन सोनी दौड़ता हुआ आया और उसने पता नही क्यों एक फुलटोस गेंद जावेद मियाँदाद को फेंकी। हमारी साँसे थम गयी थी। जावेद मियाँदाद ने आख़िरी बॉल के पीछे आते हुए अपने बैट को लिफ्ट किया और बॉल तेजी से नीचे आती हुई बैट से टकराई। सब ऐसा लग रहा था जैसे स्लो मोशन में चल रहा हो। बॉल बैट से लग कर आसमान में उछली और लाखों करोड़ों दर्शक सिर्फ़ साँस रोके देखते ही रह गये। बॉल सीधे फील्डर के हाथो में.. भारत जीत गयी। मुझे तो समझ में ही नही आया कि ये सब क्या चल रहा है। मैं बस मुँह फाडे टीवी की तरफ देख रही थी। यकीन तो मेरे साथ बैठे दोनो बुजुर्गों को भी नही हो रहा था कि ऐसे पोज़िशन से पाकिस्तान हार भी सकती है। कुछ देर तक इसी तरह रहने के बाद दोनो चिल्ला उठे,
“हुरर्राह….हम जीत गये।” मैने मायूसी के साथ दोनो की ओर देखा।”हम जीत गये।” मैं उनकी तरफ देख कर एक उदास सी मुस्कान दी “अब तुम हमारी शर्त पूरी करो।” सोनी जी ने कहा।”ठीक है बोलो क्या करना है।” मैने उनसे कहा।”सोच लो फिर से बाद में अपने वादे से मुकर मत जाना।” सोनी अंकल ने कहा।” नही मैं नही मुकुरूँगी अपने वादे से। बोलो मुझे क्या करना पड़ेगा।” सोनी जी ने मुस्कुराते हुए गुप्ता अंकल की तरफ देखा। दोनो की आँखें मिली और संवादों का कुछ आदान प्रदान हुआ।”तू बोल गुप्ता…….इसे क्या करने को कहा जाए।” सोनी अंकल ने गुप्ता अंकल से कहा।” नही तूने शर्त लगाया है सोनी तू ही इसके इनाम की घोषणा कर।”
सोनी अंकल ने मेरी तरफ मुड़कर अपनी आवाज़ में रहस्यमयता लाते हुए कहा-” तुम हम दोनो को एक एक किस दोगी। फ्रेंच किस। तब तक जब तक हम तुम्हारे होंठों से अपने होंठ अलग नही करें।”मुझे अपने चारों ओर पूरा कमरा घूमता हुआ सा लगा। मुझे समझ में ही नही आ रहा था कि क्या करूँ। मैं इन दोनो आदमियों के चंगुल में फँस गयी थी। मैने कुछ देर तक अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए रखीं फिर धीरे से कहा, “सिर्फ़ किस” दोनो ने एक साथ कहा, “ठीक है।” मैं उठ कर खड़ी हो गयी।” ठहरो इस तरह नही। जिंदगी में पहली बार इतना हसीन मौका मिला है तो इसका पूरा एंजाय करेंगे। ” सोनी अंकल ने कहा “गुप्ता पहले ये मुझे किस देगी” गुप्ता अंकल ने सिर हिलाया।सोनी अंकल डाइनिंग टेबल के पास से एक कुर्सी खींच कर उस पर बैठ गये। बिना हत्थे वाली कुर्सी पर बैठ कर मुझ से कहा, ” आओ तुम मेरी गोद में बैठ कर मुझे किस करो।”
मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी। ऐसी बुरी स्थिती में अपने आप को पहली बार महसूस कर रही थी। वैसे तो मेरे पति के अलावा भी मेरे एक और आदमी से संबंध थे और मैं शादी से पहले ही अपने बॉयफ़्रेंड से सेक्स का मज़ा ले चुकी थी, लेकिन इतने बुजुर्ग आदमियों के साथ इस तरह का मौका पहली बार ही आया था।मैं आकर उनकी गोद में बैठने लगी तो उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही। अपने दोनो पैरों को फैला कर मेरी टाँगों के दोनो ओर अपने पैर रख कर मेरी गोद में बैठो। मैने वैसा ही किया। स्कर्ट पहना होने की वजह से टाँगें चौड़ी करने में किसी प्रकार की भी परेशानी नही हुई।
जैसे ही मैं उनकी गोद में बैठी उन्होंने मेरे कमर की इर्द-गिर्द अपनी बाहें डाल कर मुझे खींच कर अपने बदन से सटा लिया। मेरी तनी हुई चूचियाँ उनके सीने से दब गयी। मेरी कक्षी में छिपि योनि उसके लिंग से जा सटी। मैने महसूस किया की उनका लिंग तन चुका था। ये जानते ही मेरी नज़रें झुक गयी। मैने अपने काँपते हुए होंठ आगे बढ़ा कर उनके होंठों के सामने लाई। कुछ पल तक हम एक दूसरे के चेहरों को देखते रहे फिर मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उन्होंने अपने हाथों से मेरे चेहरे को सम्हाल रखा था। मैने भी अपने हाथों से उसके सिर को पीछे से पकड़ कर अपने होंठों पर दबा दिया। कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों पर अपने होंठ फिराते रहे। सोनी अंकल मेरे होंठों को हल्के हल्के अपने दन्तो से चबाते रहे। फिर मैने अपनी जीभ निकाली और उनके मुँह में डाल दिया। मेरी जीभ वहाँ उनकी जीभ से मिली। उनके मुँह से फ्रेश मिंट का स्मेल आ रहा था। हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ लिपटने खेलने लेगे। उनके हाथ मेरे पूरे पीठ पर फिर रहे थे। एक हाथ से उन्होंने मेरे सिर को अपने मुँह पर दाब रहा था और दूसरा हाथ मेरी पीठ पर फिराते हुए नीचे की ओर गया। अचानक सोनी अंकल के हाथ को मैने अपनी स्कर्ट के भीतर महसूस किया। उनके हाथ मेरी कक्षी के ऊपर फिर रहे थे। मैंने अचानक अपने दोनो बगलों के पास से दो हाथों को हम दोनो के बदन के बीच पहुँचा कर मेरे बूब्स को थामते हुए महसूस किया। ये गुप्ता अंकल के हाथ थे। उनके हाथ मेरे बूब्स को सहलाने लगे।मेरी योनि गीली होने लगी। मुझे लग गया कि आज इन बूढो से अपना दामन बचाकर निकलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है। सोनी जी अपने हाथों से मेरी कक्षी को एक ओर सरका कर मेरे एक नितंब को सहलाने लगे। सोनी जी ने मेरे दोनो नितंब सहलाने और मसलने के बाद अब उंगलिया मेरी कक्षी के भीतर डालने की कोशिश करने लगे। मैं उनके चंगुल से निकलने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी। मुझे लग रहा था मानो उनका ये किस सारी जिंदगी ख़त्म नही होगा लेकिन उन्होने आख़िर में मुझे आज़ाद कर ही दिया। मैं उनकी गोद में बैठे बैठे ही लंबी लंबी साँसे लेने लगी। अपने हार्ट बीट्स को कंट्रोल करने लगी जो कि किसी राजधानी एक्सप्रेस की तरह दौड़ा जा रहा था।गुप्ता अंकल ने मेरी बाहों के नीचे से हाथ ले जाकर मेरे बदन को ठीक मेरे बूब्स के नीचे से पकड़ा। जिससे मेरे बड़े बड़े बूब्स सोनी अंकल की तरफ उँचे हो गये। सोनी अंकल ने ये देखकर मेरे बूब्स की चोटियों पर एक एक किस दिया। गुप्ता अंकल ने मुझे उनकी गोद से उठाया।
” सोनी उठ अब मेरी बारी है।”
——–क्रमशः——-

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आगे क्या होगा? क्या ये दोनों ठरकी बुड्ढ़े सिर्फ यहीं तक रुकेंगे.. जवाब मिलेगा इस sex hindi story के अगले और आखिरी भाग में-