Tuesday, September 13, 2016

chudii apne chahchre se

aap bhi apni story muje send kre ap ki story bhi likhunga   helik024@gmail.com

(ANY GIRL OR HOUSE WIFE MAIL ME FOR SEX AND HOW IS MY STORY HELIK024અઁટ ર્ધ રૈટ જી મૈલ.કૌમ )


मित्रो, यह घटना दो साल पुरानी है।
मेरा नाम रुद्र है। मेरी ऊँचाई 5′ 8″ है। मैं ना ज्यादा मोटा.. न ही पतला हूँ.. दिखने में स्मार्ट हूँ। मेरे लंड का नाप 6.3” लंबा और 2.5” गोलाई में मोटा है। हर लड़के की तरह मुझे भी चुदाई का शौक है।
मैं अपनी आगे की पढ़ाई के लिए नया-नया ही पुणे में रहने आया था।
जिसके साथ मेरी ये घटना हुई.. थोड़ा उसके बारे में लिख रहा हूँ, वो दिल्ली की रहने वाली थी और वो भी यहाँ अपनी पढ़ाई करने के लिए आई थी, वो मेरी क्लास में ही पढ़ती थी, उसका नाम नेहा था, उसका 32-24-30 का मदमस्त फिगर.. एकदम दूध सा गोरा बदन.. जान निकल जाए.. ऐसी कातिलाना मुस्कान.. और पतले मदभरे गुलाबी होंठ..
कॉलेज का हर लड़का उसका दीवाना था। मैं भी था.. मगर मैं कभी भी उसके पीछे नहीं जाता था और ना ही उस पर ज्यादा ध्यान देता था क्योंकि मुझे हमेशा लगता था कि वो मुझे ‘हाँ’ कहना तो दूर.. मेरी तरफ देखेगी तक नहीं..
फिर भी कभी-कभार मैं उसे चोरी-चोरी देखता था। उसके उठे हुए चूचे.. मुझे बहुत ज्यादा पसंद थे, जब वो चलती तो उसके चूतड़ बड़े ही मस्त तरह से हिलते थे.. जिसे देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
कभी-कभार मैं उससे बात कर लेता था। जैसे कि नोट्स के लिए पूछना।
ऐसे ही पहले साल के इम्तिहान ख़त्म हो गए और छुट्टियाँ शुरू हो गईं लेकिन छुट्टियों में हमारे टीचर ने हमें प्रोजेक्ट बनाने के लिए कहा और हमें प्रोजेक्ट पार्टनर चुनने को बोला।
उस वक़्त कुछ ऐसा हुआ कि मैं सोच भी नहीं सकता था। नेहा कॉलेज के बाद मुझसे मिलने आई और मुझे अपना पार्टनर बनाने के लिए रिक्वेस्ट की।
मैं प्रोग्रामिंग में काफी अच्छा हूँ, शायद इसीलिए नेहा मेरी पार्टनर बनना चाहती थी।
जाहिर सी बात थी.. मैं ‘ना’ नहीं कर सकता था।
नेहा भी यहाँ पीजी में रहती थी.. तो कोई परेशानी नहीं थी।
मतलब बिना किसी रोक-टोक के हम जितना वक़्त चाहें.. साथ रह कर प्रोजेक्ट पूरा कर सकते थे।
खैर दो दिन बाद हम मिले और कौन से प्रोजेक्ट पर काम करेगा.. यह तय किया, फिर हमने अगले दिन से काम शुरू किया।
ज्यादातर हम दोनों मेरे फ्लैट पर ही काम करते थे क्योंकि मैं उस वक़्त अकेला था, मेरे सारे दोस्त अपने घर गए हुए थे।
एक दिन ना जाने कैसे बिन बादल बरसात हो गई।
उस वक़्त मैं अपने कमरे में ही था और नेहा आने वाली थी.. पर मुझे लगा कि बारिश की वजह से वो नहीं आएगी.. मैं मायूस हो गया। क्योंकि आज मैं उसे मिल नहीं पाता। उसके खूबसूरत जिस्म का दीदार ना कर पाता।
मैं ये सब सोच ही रहा था कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। जब मैंने दरवाजा खोला.. तो एक पल के लिए तो जैसे मेरी धड़कन ही रूक गई, सामने नेहा थी जो बारिश की वजह से पूरी भीग गई थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े उसके बदन से चिपक गए थे।
उसने सफ़ेद रंग की चुस्त लैगी.. और सफ़ेद कुर्ता पहना हुआ था।
बारिश में भीगने की वजह से उसके अन्दर की ब्रा-पैन्टी साफ़ दिख रही थी जो कि गुलाबी रंग की थी और उस पर सफ़ेद फूल बने थे। साथ ही साथ उसकी मम्मों के बीच की गहरी घाटी भी नुमाया हो रही थी।
ये सब देख कर मेरा लंड टाइट हो गया था.. पर नेहा का ध्यान नहीं गया।
मैं ज्यादातर अन्दर चड्डी नहीं पहनता हूँ, उस दिन भी मैंने सिर्फ शॉर्ट्स पहनी थी।
मेरा ध्यान कहीं और पाकर नेहा ने मुझे झंझोड़ा- कहाँ खो गए? मुझे अन्दर आने भी दोगे या दरवाजे पर ही खड़ा रखोगे?
और अचानक ही मुझे होश आया और ‘सॉरी..’ कहकर दरवाजे से थोड़ा हटकर खड़ा हुआ.. लेकिन ऐसे कि उसे अन्दर आने के लिए मुझसे सट कर ही आना पड़ा।
उसके जिस्म की वो भीनी-भीनी खुशबू ने तो मुझे पागल ही कर दिया। लेकिन मैंने खुद पर काबू पाते हुए उसे अपना बदन पौंछने को तौलिया दिया।
फिर वो बोली- यार मेरे तो सारे कपड़े भीग गए.. रूद्र तुम्हारे पास कुछ पहनने को हो तो दो.. वरना मुझे इन कपड़ों में तो मुझे सर्दी लग जाएगी।
तब मैंने बोला- सॉरी.. लेकिन मेरे पास तुम्हारे पहनने लायक कपड़े नहीं है।
वो बोली- जो भी है दे दो.. मैं काम चला लूँगी।
मैंने उसे जानबूझ कर मेरी पुरानी टी-शर्ट और एक शॉर्ट्स दे दी, वो बाथरूम में चेंज करने चली गई।
थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो… माँ कसम.. वहीं पटक कर चोदने का मन किया.. लेकिन यह मुमकिन ना था।
ये सब सोचने की वजह से मेरा लंड अब ज्यादा ही फूल गया और इस बार नेहा ने ‘उसे’ फूलते हुए देख लिया।
वो धीरे से मुस्कुरा दी और जा कर बिस्तर पर बैठ गई। बैठ क्या गई.. लेट सी गई।
काफी देर से मेरा लंड खड़ा था.. जिससे मुझे जोर से पेशाब आ गई और मैं बाथरूम में घुसा और दरवाजा बंद किया और मैं मूतने लगा।
अचानक ही मेरी नजर वहाँ पड़े नेहा के कपड़ों पर गई और जैसे ही मैंने उन्हें उठाया.. उसकी ब्रा और पैन्टी नीचे गिरी।
यह देख मैं समझ गया कि नेहा अन्दर से बिलकुल नंगी है और इस बात से मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मैंने उसकी पैन्टी अपने लंड पर रगड़ते हुए मुठ्ठ मार ली।
जिंदगी में आज पहली बार मेरे लंड ने बहुत सारा माल गिराया।
फिर मैं थोड़ा संयत हो कर बाहर आया।
बाहर आकर जैसे ही मैंने नेहा की ओर देखा.. तो वो मुझे घूर रही थी। मुझे लगा शायद मेरी चोरी पकड़ी गई। मैं कुछ कहता.. उतने में नेहा ने कहा- यार रूद्र मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है.. कुछ खाने को दो।
मैंने राहत की साँस ली और उसे वहीं बैठने का कह कर मैं मैग्गी बनाने के लिए रसोई में आ गया। जब मैं मैग्गी लेकर हॉल में आया.. तो वो वहाँ नहीं थी।
जैसे ही मैंने उसे आवाज लगाई कि तभी वो बाथरूम से हड़बड़ाती हुई बाहर निकली और अचानक ही मुझे याद आया कि मैंने मुठ्ठ मार कर अपना माल उसकी पैन्टी पर ही गिरा दिया था। मेरे को तो मानो काटो तो खून नहीं.. कि अब क्या होगा? नेहा मेरे बारे में क्या सोचेगी..? वगैरह-वगैरह..
पर उसने कुछ ना कहा और मेरे हाथों से मैग्गी की एक प्लेट ले ली और खाने लगी।
मैं भी उसके पास बैठ कर मैग्गी खाने लगा। लेकिन वो बार-बार मुझे देखे जा रही थी और मुस्कुरा भी रही थी।
मुझे कुछ गड़बड़ लगी।
फिर मैंने मैग्गी जल्दी ख़त्म की और बाथरूम में हाथ धोने गया।
जब वापस आया तो नेहा ने सीधे मुझे चमात मारी और बोली- क्यों जी.. तुमने मेरी पैन्टी क्यों गन्दी की?
मैं कुछ ना बोल सका.. बस गर्दन झुकाए खड़ा रहा।
इस पर वो बोली- मुठ्ठ मारते वक़्त तो तुम्हें कोई शर्म ना आई.. तो अब क्यों शर्मा रहे हो..?
मेरा तो बस रोना बाकी था.. लेकिन इतने में नेहा ऐसा कुछ बोल गई कि मैं बस उसके मासूम से दिखने वाले चहरे को देखता ही रहा।
उसने कहा- जो तुमने किया वो गलत नहीं था। लेकिन मुठ्ठ मारने क्या जरूरत थी.. जब चूत घर में ही मौजूद थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
एक पल तो दिमाग में ये आया कि यार इतनी सीधी दिखने वाली लड़की को यह सब कैसे पता? वो मुझे देखे जा रही थी और मैं बेवकूफ की तरह वहीं खड़ा रहा।
लेकिन अचानक ही मैंने उसे उसकी गर्दन से पकड़ा और सीधे उसके होंठों को अपनी गिरफ्त में लेकर चूसने लगा और वो भी जैसे इस हमले के लिए पहले से ही तैयार थी, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, जितना मैं उसे बाँहों में कस रहा था, उससे कहीं ज्यादा वो मुझे कसे जा रही थी।
जाहिर है आग दोनों तरफ लगी थी, ऐसा जन्नत का मज़ा आ रहा था कि मैं लफ्जों में बयां नहीं कर सकता। मानो लग रहा था कि वो चुदाई के लिए मुझसे ज्यादा प्यासी थी।
एकाएक हमारी सांसें फूल गईं.. तब जाकर हम एक-दूसरे से अलग हुए, फिर हम दोनों एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।
उसने कहा- रूद्र.. मैं तो कब से तेरे नीचे आने को रेडी थी.. लेकिन खुद कैसे कहती? और तुम भी इतने बुद्धू हो कि समझ ना सके.. पर जो भी हो आज तो मुझे चुदना ही है।
इस पर मैंने कहा- यार मेरी तुम्हें देख कर ही फटती थी.. फिर कैसे कुछ कहता या करता?
‘तो फिर आज मेरी फाड़ दो मेरी जान..’ यह कहकर उसने मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे बुरी तरह से चूमने-चाटने लगी, मैंने भी उसकी टी-शर्ट में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ पकड़ लीं और जोरों से मसलने लगा।
वो बस.. ‘आह्ह्ह्ह.. !!’ करते हुए सिसिया उठी।
लेकिन उसने कहा कुछ भी नहीं.. जबकि उसे दर्द हुआ था।
फिर मैंने भी सोचा कि माँ चुदाये ये सब.. सीधे चूत ठोकने पर ध्यान दो। मैं भी उसे जानवरों की तरह काटने-चाटने लगा, उसने मुझसे अलग होते हुए मेरी शॉर्ट्स उतार दी। तो मेरा लंड उछल कर उसके सामने आ गया।
मेरा लम्बा लंड देखते ही उसकी आँखों में चमक आ गई, वो बोली- अरे वाह.. इतना मस्त तगड़ा लौड़ा.. तूने छुपा के क्यों रखा है यार? लगता है आज तो मेरी फ़ुद्दी बुरी तरह फटने वाली है।
अब मुझसे भी रहा ना गया तो मैंने पूछ लिया- ये सब तू कैसे जानती है?
इस पर वो बोली- मैं तो 20 साल की उम्र में ही चुद गई थी.. वो भी अपने चचेरे भाई से.. और वैसे भी मुझे चुदाई के वक़्त ऐसे ही गन्दी बातें करना पसंद हैं क्योंकि मैं इससे काफी गर्म हो जाती हूँ।
ये सब सुनकर मैंने अब चुप हो करके मजा लेना ही बेहतर समझा। फिर नेहा मेरा लंड अपने मुँह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.. तो मैं तो मानो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था।
वो कभी मेरा लंड पूरा अन्दर लेकर चूसती और कभी मेरी गोटियों को चूसती जिससे मेरा लंड उसके थूक से पूरा सन गया।
जब मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा.. मैंने उसे रुकने को कहा और उसे लिटाकर उसकी शॉर्ट्स उतार दी और ये क्या..? इसकी चिकनी चूत तो पहले ही इतना सारा पानी छोड़ रही है।
मैंने पहले नाक से उसकी चूत की खुशबू को सूँघा.. मैं तो जैसे नशे से भर गया और अपने आप ही मेरा मुँह नेहा की गुलाबी चूत को चूसने लगा, मेरी जुबान उसके अंदरूनी भाग को चाटने लगी.. तो वो तड़प कर रह गई।
वो चुदास से भर कर मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी.. और बहुत बुरी तरह चीखने लगी।
‘आह्ह… ऊह्ह्ह… ऊम्म्माआआ.. साले रूद्र.. तूने तो आज मेरी जान ही निकाल देनी है।’
यह कहते कहते नेहा के पैर कांपने लगे और मुझे उसके छूटने का इशारा मिल गया.. तो मैं और जोरों से उसकी चूत चूसने लगा और उसने गर्म-गर्म लावा मेरे मुँह में ही झाड़ दिया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत चाटकर साफ की.. उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरा पूरा चेहरा चाटने लगी और अपनी चूत का पानी भी चाट लिया।
‘ऊह्ह मेरी जान.. आज तो तूने मुझे जन्नत दिखा दी.. क्या मस्त चूत चूसता है रे तू..!’
मुझे नीचे लिटा कर वो मेरे ऊपर आ गई और एक ही झटके में वो मेरे लवड़े पर ‘घप्प..’ से बैठ गई।
इस बार मैं चिल्लाया.. लेकिन उसने मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर रखे थे क्योंकि मेरा पहली बार होने से मेरा लंड छिल गया था।
मुझे दर्द तो हो रहा था.. लेकिन मजे की सोच कर चुपचाप उसे चोदने दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने लगा और मैं भी नीचे से उसकी पानी से लबालब भरी चूत में धक्के मारने लगा।
पूरे कमरे में हम दोनों की मादक सिसकारियाँ और चीखें गूंज रही थीं और साथ ही साथ लंड पर उसके चूतड़ों की थपकी.. और चूत में ‘फच.. फच..’ करके अन्दर-बाहर होते मेरे लंड की तान बज रही थी। इन सबकी आवाजों से हम दोनों पूरे पागलों की तरह जोरों से धक्के मारे जा रहे थे।
मैंने उसे वैसे ही बिस्तर पर लिटाकर चुदाई का मोर्चा संभाल लिया और पूरी ताकत के साथ उसकी चिकनी चूत को अन्दर तक खोदने लगा.. जिससे नेहा पागल हुए जा रही थी।
‘छोड़ना मत मेरी फ़ुद्दी को.. फाड़ दे साली को.. जब देखो तब लौड़ा मांगती रहती है.. आह्ह.. चोद मेरे राजा.. और जोर.. से..इऊई.. ले मैं गई.. आह्ह..।’ बोलते-बोलते वो बुरी तरह झड़ गई और उसके गरम माल से मेरा लंड भी पिघल गया और मैंने उसे कस कर पकड़ लिया।
‘आह्ह्ह.. मेरी रंडी.. साली.. मैं भी गया।’ और मैंने उसकी चूत को अपने माल से भर दिया।
थोड़ी देर हम दोनों वैसे ही एक-दूसरे की बाँहों में पड़े रहे, फिर उठकर बाथरूम जा कर खुद को साफ़ किया।
बाहर निकल कर देखा तो पूरा बिस्तर हमारे माल से गीला हो गया था। यह देखकर वो शर्मा गई और मेरे सीने में अपना चेहरा छुपा लिया। फिर मैंने चादर बदली.. तब तक उसने 2 कप चाय बनाई और बैठ कर हम पीने लगे।
अब तो हम पूरी तरह खुल गए थे, नेहा बोली- आज काफी दिनों बाद किसी ने मुझे इतना जबरदस्त चोदा है.. मैं इतना बुरी तरह से झड़ी हूँ और अब तो मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे अब से ऐसे ही चोदते रहना, जब भी तुम्हारा दिल करे मुझे बुला लेना।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम अपने ही चचरे भाई से कैसे चुद गई?
‘वो मैं फिर कभी बताऊँगी..’ ऐसा बोलकर उसने बात टाल दी, मैंने भी ज्यादा जोर देना मुनासिब ना समझा।
फिर मैंने उसे इस चुदाई के लिए शुक्रिया कहा।
ऐसे ही थोड़ी देर बाते करने के बाद हमने फिर से जोरदार चुदाई की.. जो कि करीब-करीब 45 मिनट चली.. जिसमें हमने अलग-अलग तरीके से चुदाई की।
लेकिन इस बार मैंने अपना माल उसके मुँह में छोड़ा.. जिसे वो मजे से पी गई और मेरा लंड चाट कर साफ कर दिया। फिर वो कल फिर आने का बोल कर चली गई और मैं सिगरेट का सुट्टा मारते हुए इस चुदाई को सपनों में दोबारा देखने लगा।

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